भगवान शिव की नगरी बिहार के पूर्वी चंपारण जिला का अरेराज सोमेश्वर नाथ महादेव के लिए प्रसिद्ध है। राष्ट्र पिता महात्मा गांधी की मूर्ति को यहां देवता…
बिहार में एक मशहूर कहावत है कि घर की मुर्गी दाल बराबर| यह कहावत बिहार के मधुबनी पेंटिंग पर सटीक बैठता है| पूरी दुनिया मधुबनी पेंटिंग की…
भारत की पूर्व विदेश मंत्री और लोकप्रिय राजनेता सुषमा स्वराज जी का कल शाम असमय मृत्यु हो गयी| उनके मौत के कारण पूरा देश शोक में है|…
आज चाची चार बजे भोरे से ही उठ के घर बुहार रही हैं, गीत गुनगुनाते हुए गोबर से दुआरी लीप रही हैं। मानो इनके भीतर समूचे संसार…
फोटुआ देखेे हैं? ई बाबाधाम का परसादी है.. थोड़ा-सा खाकर देखिएगा, करेजा जुड़ा जाएगा.. जब हम बुतरू हुआ करते थे, उस टाइम सावन में सबसे बेशी इंतजार…
बच्चे थे हम. थोड़ा-थोड़ा याद है. तब ना साइबर कैफ़े जईसा कुछ था आ ना हाथे-हाथ मोबाइल. एग्जाम का रिजल्ट जानने के लिए एक दिन रूके पड़ता…
पसीना से ओवरलोडेड गुड्डू भैया रोटी बेल रहे हैं...ऐसा लग रहा है जैसे आस्ट्रेलिया महाद्वीप का नक्शा उभर आया हो। इधर अतुल बाबू अपना चाइना मोबाइल में…
पटना के जिलाधिकारी (डीएम) रहे डॉ. गौतम गोस्वामी अब दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें और फैसले आज भी पटना के लोगों से लेकर राजनेताओं तक…
21-22 साल की छोटी सी उम्र में गाव की पगडंडियों से उठ कर, एक गठरी में दाल, चावल, आटा बांध कर जब एक लड़का खड़खड़ाती हुई बस…
"मेला दिलों का आता है.."❣ चार दिन से गाँव में मेला लागल है. गौ पूजनोत्सव. ना-ना कोनो पार्टी-ऊर्टी का चुनावी एजेंडा नहीं है. बारह साल से मनाया…
उ का है न हम बिहारी है। हम अपने माई के बारे में तो लिखते ही है, पर आज पिता जी के बारे में भी लिख रहे…
सुनने में अजीब लगे लेकिन यह सच है। आज जिस बिहार में लोग मेट्रो और बुलेट ट्रेन के लिए तरस रहे हैं उसी बिहार में कभी महराजा…
इ अंग्रेजी मीडियम के जमाना में जहां बच्चा पैदा होते ही अंग्रेजी में केकियाना शुरू करता है, पहाड़ा और खोड़हा के जगह टू फोर जा एइट बकता…
- चाची, जिलेबी कइसे दे रहे हैं? - बीस रुपे किलो! - तीन रुपैय्या का दे दीजिए! - तीने रुपा का लोगे ता एतना चिचिया काहे रहे…
आज शिवजी के घर पर हर तरफ खुशियाँ छाई थी। सालों बाद उनके घर पर किलकारी गूंजी थी और उनके घर जन्म हुआ एक सुंदर-सी बेटी का।…
"एगो फिलिम खतम हुआ त हम थोड़ा-सा लघुशंका से निपटने के लिए चापाकल के तरफ बढ़े.. वहां देखे ता चद्दर ओढ़ के "महेन चा" खड़े थे.. हम…