झारखंड सरकार ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में लंबे समय से अनेक समुदायों की चल रही मांग को पूरा करते हुए भोजपुरी, मैथिली, मगही एवं अंगिका…
बिहार के 106वां स्थापना दिवस के अवसर पर दिल्ली में बिहार उत्सव 2018 का आयोजन बिहार सरकार के उद्योग विभाग और बिहार सरकार के बिहार औद्योगिक क्षेत्र…
विश्व प्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग या मधुबनी पेंटिंग अब किसी पहचान की मोहताज नहीं है। बिहार के मिथिला क्षेत्र में तथा नेपाल के कुछ हिस्सों में प्रचलित इस…
कंपकपाती ठंड! गाँव में बबवा के सबसे बड़का घुरा का घमंड! बुढवा सबके दुवार पर से भी बहारन सोहारन बिटोर के अपने दुवारी पर अलाव के एवरेस्ट…
भाई बहन के अटूट प्रेम का त्योहार है सामा| मिथिला का यह सामा त्योहार बडा ही रमणीक होता है। यह कार्तिक शुक्ल द्वितीया से प्रारंभ और पूर्णिमा…
सामा-चकेवा बिहार में मैथिल लोगों का एक प्रसिद्ध त्यौहार है| भाई - बहन के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध को दर्शाने वाला यह त्यौहार कार्तिक माह के छठ के…
दरअसल आज कथन है महिला सशक्तिकरण की..... गांव घरों में लगातार 24 घंटे अष्टयाम का चलन बहुत पुराना है जो आज भी सतत निरंतर चलता रहता है।…
बिहार का लोकपर्व जो 'छठ महापर्व' है, सिर्फ नाम से महापर्व नहीं है। इसकी महानता का अंदाज़ा लगाने के लिए हमें छठ की महान परंपरा को समझना…
दुनियाभर में बिहार का मधुबनी अपने अनोखे मधुबनी पेंटिंग के लिए प्रसिद्ध है| एक बार फिर मधुबनी अपने इस गौरवपूर्ण विरासत के लिए विश्व फलक पर चमकने…
झिझिया!! सांझ का पहर! मंदिर से निकल कर सोलिंग से घर घर गुजरती हुई लड़कियों का झुण्ड, "झिझिया खेले आईनी"... गाती हुई माथे पर बेरुआ के बने दौउरे में…
मधुबनी(गुंजन कुमार): बिहार के मधुबनी जिले के सीमावर्ती क्षेत्र जयनगर में भारत- नेपाल सीमा से लगभग तीन किमी की दूरी पर मां दुर्गे की ये भव्य एवं…
खट्टर काका धर्म और इतिहास, पुराण के अस्वस्थ, लोकविरोधी प्रसंगों की दिलचस्प लेकिन कड़ी आलोचना प्रस्तुत करनेवाली, बहुमुखी प्रतिभा के धनी हरिमोहन झा की बहुप्रशंसित, उल्लेखनीय व्यंग्यकृति…
मधुबनी: मैथिली संस्था मिथिला दर्पण द्वारा मुंबई के डी.जी. खेतान इंटरनेशनल ऑडिटोरियम में शनिवार को आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में मिथिलालोक फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. बीरबल झा…
भादव माह की चतुर्थी तिथि को उदय होने वाला चन्द्रमा का दर्शन दोषयुक्त है, लेकिन मिथिला में इस दिन चन्द्रमा की विधिवाद पूजन करने की विशेष परंपरा…
100 साल पहले तक तिरहुत इलाके में शायद कोई ऐसी बसावट हो जहां धार का पानी न पहुंचता हो। कौन सा ऐसा गांव था जिसके बगल से…
रॉल्स एक गाडी नहीं है, यह समृद्धता की पहचान है. पिछले सौ साल से यह पहचान बदली नहीं है। आजादी के पहले भी रॉल्स का होना उतनी…