विधानसभा में जीएसटी पास करवाने वाला पहला गैर-भाजपाई राज्य बना बिहार
पटना : बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों ने मंगलवार को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक को पारित कर दिया. इसके साथ ही संसद के बाद बिहार जीएसटी विधेयक को पारित करनेवाला दूसरा राज्य बन गया है. विधानमंडल के दोनों सदनों में जीएसटी विधेयक पर अपनी बात रखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि यह बिहार जैसे कंज्यूमर राज्य के लिए आवश्यक है. इससे राज्य को कोई नुकसान नहीं होगा. जीएसटी की कैपिंग को लेकर उनकी असहमति है.
गौरतलब है कि पूरे देश में एक समान कर व्यवस्था लागू करने के लिए जीएसटी विधेयक को पहले लोकसभा में पास करवाया गया था. लोकसभा के बाद इसे कुछ संसोधन के साथ राज्यसभा में भी सफलता पूर्वक पास करवाने में सरकार सफल रही.
जीएसटी विधेयक को कानून का रूप देने के लिए इसे आधे से अधिक राज्यों के विधानसभा से इसे पास करवाना अनिवार्य है. असम विधानसभा ने सहसे पहले जीएसटी विधेयक को पास किया.
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, इस विधेयक को लागू करने के पहले आधे राज्यों के विधानमंडल का समर्थन आवश्यक है. उन्होंने कहा कि नये संशोधन विधेयक के संदर्भ में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने केलकर कमेटी का गठन टैक्स सुधारों के लिए किया था. 2006-07 में केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस प्रस्ताव को संसद में रखा. वे प्रारंभ से ही इस सिद्धांत का समर्थन करते रहे हैं. करों में एकरूपता आनी चाहिए. पहले सेवा कर केंद्र के दायरे में था. अब केंद्र व राज्य के दायरे में आयेगा. उपभोक्ता राज्यों की आबादी बड़ी है. नयी व्यवस्था से लाभ होगा. इस मामले में तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे मैन्युफैक्चरिंग वाले राज्यों को आपत्ति थी. इस विधेयक का अध्ययन कराया गया, तो यह साफ हुआ कि इसका समर्थन किया जाना चाहिए.
इस अधिनियम से पहला लाभ करों की पारदर्शिता में आयेगी. बिहार एक उपभोक्ता राज्य है. घोषित करों पर ही टैक्स वसूल पाता था. अन्य करों का लाभ ही नहीं मिलता था. नयी व्यवस्था से राज्यों को सेवाओं पर भी टैक्स लेने का अधिकार प्राप्त होगा. टेलीकम्युनिकेशन, रेल सेवा जैसे करों का लाभ राज्य को होगा. यहां कितने मोबाइल के उपभोक्ता हैं और कितने यात्री बिहार से सफर करते हैं.
उसका टैक्स बिहार को मिलेगा. इस व्यवस्था में पारदर्शिता के साथ सेवा कर लगाने का अधिकार मिल जायेगा. अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न टैक्स लगता था, उससे छुटकारा मिल जायेगा. सामान कर प्रणाली विकसित होगी, तो बाजार का विस्तार होगा. बिजनेसमैन सहूलियत की मांग करते थे, तो उनको अब कई जगह नहीं जाना पड़ेगा. इससे कर अधिकारियों का काम घटेगा. चेकपोस्ट बनाने की आवश्यकता नहीं होगी. माल का मूवमेंट पारदर्शी तरीके से हो जायेगा.