आज चौरचन है: हमारे पर्व-त्योहारों में चाँद है, सूरज है, पेड़-पौधे हैं, जीव-जंतु हैं, नदी-तालाब हैं
ये त्योहार समाज की जातीय संरचना के दायरों को भी तोड़ते हैं. प्रकृति सबकी है. इसलिए प्रकृति पूजन में कोई भेदभाव नहीं है.
बिहार में आज चौरचन मनाया जाएगा. चौरचन, चौठचान या चतुर्थी का चांद. हाथों में फल लेकर, अन्न लेकर चन्द्रदेवता को सपरिवार नमन किया जाता है. कोई शोर नहीं है इन त्यौहारों में, कोई उन्माद नहीं है. कितने प्रासंगिक हैं हमारे पर्व-त्यौहार. कितनी बारीकियां हैं इनके मनाए जाने में. हमारे पर्व-त्योहारों में चाँद है, सूरज है, पेड़-पौधे हैं, जीव-जंतु हैं, नदी-तालाब हैं. प्रकृति आजीवन हमें पोषित करती है और इन त्योहारों से हम प्रकृति के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित करते हैं. मनुष्य होने के श्रेष्ठबोध को किनारे रख, विभिन्न धर्मप्रधानता के अहं को त्याग प्रकृति के आगे साष्टांग हो जाते हैं.
फगुआ, जूड़शीतल, सतुआनी, वटसावित्री, गंगा दशहरा, श्रावण महात्म्य, नागपंचमी, मधुश्रावणी, बहुला पूजा, कुशी अमावस्या, चौठ चाँद, पितृपक्ष, अनंत पूजा, गोधन, दीवाली, छठ, अक्षय नवमी, कार्तिक पूर्णिमा, सामा चकेवा, पृथ्वी पूजा. इन त्योहारों के मूल में है प्रकृति. इनके मूल में है परिवार. पेड़ की जड़ में पानी देना, सूर्य-चाँद के आगे नम्र भाव से सिर झुकाना, नाग की पूजा, गाय की पूजा, तुलसी पूजन, नदी-तालाबों का पूजन, पितरों का तर्पण, इन पर्व-त्योहारों के बहाने प्रकृति से जुड़ाव के इतने मौके शायद ही किसी अन्य देश की संस्कृति में दिखेंगे.
ये त्योहार समाज की जातीय संरचना के दायरों को भी तोड़ते हैं. प्रकृति सबकी है. इसलिए प्रकृति पूजन में कोई भेदभाव नहीं है.
किन हाथों का चढ़ावा मान्य है और किनका अमान्य, प्रकृति ने यह भेद कभी नहीं किया. देश, प्रांत, धर्म, जाति की लकीरें हमने खींची है, सीमाएं हमने तय की हैं. पर निर्विकार भाव से सब लुटा देने वाली प्रकृति उदार है. इसलिए प्रकृति के प्रति आभार भाव व्यक्त करने हेतु ये पर्व-त्योहार मानीखेज हैं.
हममें चन्द्र फतह का अहंभाव ना आ जाए, नदियों के वेग को थाम लेने का मिथ्या अहंकार ना आ जाए, आसमान की ऊंचाइयों को माप लेने का घमंड ना आ जाए, पशु-पक्षियों को पिंजरबद्ध कर उनका भाग्यविधाता बनने का दम्भ ना आ जाए, प्रकृति के लगातार दोहन के बाद भी मनुष्य एक सर्वश्रेष्ठ सामाजिक प्राणी है होने का भाव ना आने पाए, इसके लिए अत्यंत ज़रूरी है ये पर्व-ये त्योहार. ज़रूर मनाइए, घर में रहकर मनाइए, इन्हें मनाने की सारी सामग्री आपको प्रकृति ही उपलब्ध करा देगी.
आप सभी को चौरचन व गणेश चतुर्थी की मंगलकामनाएं.
– अमन आकाश ©