बिहार के इस बेटे ने सूरत में फसे 40 हजार प्रवासी मजदूरों को अपने घर भेजवाया
समस्त बिहार झारखंड समाज ट्रस्ट (SBJST) के प्रमुख अजय चौधरी और उनके साथियों ने 90 हजार लोगों के खाने की व्यवस्था किया और 40 हजार लोगों को गांव भेजने का भी प्रबंध करवाया
इस लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की लाचारी और दुर्दशा को पूरी दुनिया ने देखा है। महानगरों और उद्योगिक शहरों के सड़कों पर लाखों मजदूर भूखे – प्यासे अपने घर के तरफ पैदल ही भाग रहे थें। उनको बस दो वक्त की रोटी चाहिए थी और अपने घर जाने के लिए ट्रेन का टिकट। उनकी यह छोटी मांग भी पूरी नहीं हो रही थी।
वैसे तो प्रवासी मजदूर पूरे देश में फसे थे मगर कुछ शहरों में उनकी संख्या काफी अधिक थी। उनमें से एक शहर गुजरात का सूरत भी है, जहां बिहार और झारखंड के लाखों प्रवासी मजदूर फसे हुए थे। मजदूर भूखें थे और अपने घर लौटने को बेचैन थे, मगर उनके लिए जो सरकारी व्यवस्था थी वो नाकाफी था।
संकट के समय में सूरत में ही रहने वाले बिहार का एक बेटा और उनकी संस्था इन मजदूरों के लिए सहारा बन के आया। समस्त बिहार झारखंड समाज ट्रस्ट (SBJST) के प्रमुख अजय चौधरी और उनके साथियों ने न केवल इनके खाने की व्यवस्था किया बल्कि इनको अपने गांव भेजना का भी प्रबंध करवाया।
90 हज़ार लोगों को खिलाया खाना
अजय चौधरी के नेतृत्व में उनकी संस्था के द्वारा लॉक डाउन वन स्टार्ट होते ही राशन किट का वितरण और गरीब लोगों को सुबह-शाम भोजन प्रदान करने के लिए टीम बनाई गई और संस्था के पूरी टीम अपने निजी परिवार और स्वास्थ्य के चिंता किए बगैर मानव सेवा में जुटा रहा।
संस्था ने लगभग 90000 लोगों का खाना दिया तो दूसरी तरफ पंद्रह सौ परिवारों को राशन के दिया गया।
ट्रेनों से 40 हजार लोगों को घर भेजने में की मदद
दूसरा लॉकडाउन जब शुरू हो गया था तब पूरे शहर से संस्था के लोगों को विशेषकर अध्यक्ष अजय चौधरी के फोन पर गांव जाने के लिए बहुत सारे लोगों के अनुरोध आने लगे थे। अजय चौधरी ने अपना बिहार को बताया, “हमने गुजरात बिहार और झारखंड के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इससे अवगत कराया और उनसे अनुरोध किया की इन मजदूरों की गांव जाने की व्यवस्था की जाए।”
उन्होंने आगे बताया कि संस्था के लिए 2 मई का दिन सबसे खुशी का था जब स्थानीय कलेक्टर के द्वारा कहा गया कि बिहार और झारखंड की ट्रेन की लिस्ट बनाई जाए और 4 तारीख को एक ट्रेन बिहार और एक ट्रेन झारखंड के लिए रवाना की गई।
संस्था के द्वारा लगभग 40,000 से अधिक लोगों को उनके घर पहुंचाने में मदद किया गया। लॉकडाउन के दौरान सूरत से उत्तर भारत की पहली रेल सेवा के लिए पहली संस्था के रूप में पहली रेल भेजी गई।
आज यानी 27 मई को आखरी दो ट्रेनें, जिसमें एक बिहार और झारखंड रवाना की गई। इन दोनो ट्रेनों के किराया माफ कर दिया गया।
अजय चौधरी ने कहा, “हमने कूपन बनवाया और लोगों को बस के पिकअप पॉइंट पर ही टिकट दिया ताकि कोई भी गरीबों का शोषण न कर सके। आज दोनों ट्रेन के यात्रियों को हमने सेफ्टी के लिए मोदी मास का वितरण किया और उनके सुखद यात्रा की कामना की।”
संस्था के अध्यक्ष अजय चौधरी ने इस बड़े राहत कार्य के संपन्न होने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री एवं समस्त सरकारी तंत्र को आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि संस्था भविष्य में हर आपदा में सेवा देने के अपने दायित्व को अजय चौधरी के नेतृत्व में निभाने को कटिबद्ध है।
ज्ञात हो कि समस्त बिहार झारखंड समाज ट्रस्ट द्वारा स्लम विस्तार में ओपीडी चलाया जा रहा है, जिसका लाभ अभी तक हजारों श्रमिक उठा चुके हैं। साथ ही यह संस्था सामाजिक सांस्कृतिक आयोजनों से प्रवासी समाज के बीच सेतु की भूमिका निभा रही हैं ।