“..हीं हीं हीं हीं हंस देले रिंकिया के पापा” गाने को सदी का घोर गांधीवादी गाना घोषित किया है!
हम देखेंगे..
इसी बीच IIT कानपुर के कला-संगीत-साहित्य मर्मज्ञों ने “चट्ट देनी मार देली खींच के तमाचा, हीं हीं हीं हीं हंस देले रिंकिया के पापा” गाने को सदी का घोर गांधीवादी गाना घोषित किया है.
जिस प्रकार बापू का सिद्धांत था एक तमाचा खाने के बाद दूसरा गाल आगे कर दें, यह गाना इस सिद्धान्त से भी कोसों आगे है. यह तमाचे का प्रतिकार हीं हीं हीं हीं हंसकर करने को कहती है. मतलब हिंसा पर अहिंसा, प्यार, खुशी की विजय. कानों को छूकर दिल की गहराइयों में उतर जाने वाली इन पंक्तियों को अपने सुर में सुरसुराया है लोकगायक मनोज तिवारी मृदुल जी ने. गाने को क्योटो, ओ सॉरी बनारस के घाट पर फिल्माया गया है. आप देख सकते हैं गाने में तिवारी जी माथे पर लाल गमछा बांधे, स्वदेशी शेरा गोल्ड का गंजी पहने हैं. उनका यह फक्कड़पन दर्शाता है कि उनमें गाँधीभक्ति कूट-कूटकर भरी है..!
मृदुल जी के कुछ जनगीतों को बिहार सरकार ने बैन कर रखा है. उनके कालजयी गाने “बेबी बियर पीके नाचे लगलू छम्मक-छम्मक-छम्म” को 1 अप्रैल 2016 के बाद बिहार में असंवैधानिक घोषित कर दिया गया.
इस पर भी एक जांच कमिटी बननी चाहिए. अगर ऐसा ही रहा तो बिहार में “मधुशाला” जैसी अमर रचनाएं कभी नहीं रची जाएंगी.. रवींद्र कालिया सरीखे रचनाकार कभी आकार नहीं ले पाएंगे. कितने संजू बाबाओं का टाडा हो जाएगा. कितने रवि शास्त्री गुल्ली-डंडा खेलने में अपना कैरियर चौपट कर लेंगे..!
खैर मुद्दे से बिना भटकते हुए आते हैं “रिंकिया के पापा” पर. “कुंडी मत खड़काओ राजा, सीधे अंदर आओ राजा” वाले स्ट्रेट फॉरवर्ड दौर में उनका आग्रह-अनुनयपूर्ण नज़्म “सैंया जी दिलवा माँगेला गमछा बिछाई के” प्रेमियों के लिए नज़ीर है.. कास्टिंग काउच और मीटू वाली इंडस्ट्री में वो सिर्फ दिल मांग रहे हैं, कोई छोटा-मोटा त्याग है यह..!
उनका एक नज़्म “लड़की हिया हाई वोल्टेज वाली करंट मारेली” पूरी तरह से साइंटिफिक नज़्म है.
इस पंक्ति का आशय है कि ह्यूमन बॉडी इज़ अ गुड कंडक्टर ऑफ इलेक्ट्रिक करंट. उनकी एक रचना तो अलग ही लेवल का व्यंजनाशक्ति गढ़ती है. दरअसल “बगलवाली जान मारेली” दरअसल किसी स्त्रीविशेष के लिए नहीं बल्कि बगलवाली कंट्री पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन के लिए कही गयी है. अपने हरकतों से यह कंट्री हमेशा हमारी जान खतरे में डालती है तो हमें अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत करना चाहिए. यह हम नहीं कह रहे. मनोज तिवारी मृदुल जी के नज़्मों पर इस तरह का शोध सीधे IIT कानपुर से चलकर हमारे बीच आया है. सुने हैं पटना जंक्शन पर वीणा सिनेमा के मॉर्निंग शो में ससुरा बड़ा पैसावाला चलता है. जा रहें हैं “हम देखेंगे..”
– अमन आकाश