बिहार की जज बिटिया: पिता थे अदालत में चपरासी, बेटी बन गयी जज
आपकी सफलता अकेले आपकी नहीं होती| आपके सपनों के साथ उन सब लोगों के उम्मीदें होते हैं जो आपके साथ जुड़े होते हैं| उन सब लोगों में माता-पिता का योगदान सबसे अहम होता है| जाहिर है उनकी उम्मीद आपसे सबसे ज्यादा होती है| उनकी उम्मीदों पर खड़ा उतरना आसान नहीं होता मगर यह नामुम्किन भी नहीं| अगर लक्ष्य के प्रति कठिन परिश्रम और समर्पण भाव से कोई जुट जाए तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं है| बिहार की एक बेटी ने यह साबित कर दिखाया है|
बिहार में मूल रूप से धनरूआ (पटना) के गांव मानिक बिगहा की अर्चना कुमारी इन दिनो लोगों में ‘जज बिटिया’ के नाम से मशहूर हो चुकी हैं। अदालत में चपरासी की नौकरी करने वाले पिता की अर्चना बिहार न्यायिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा पास कर के जज बन गयी है| अर्चना को हालांकि इस बात का अफसोस है कि इस खुशी के मौके पर उनके पिता मौजूद नहीं हैं|
“हम लोगों का परिवार एक कमरे के सर्वेंट क्वॉर्टर में रहता था और हमारे क्वॉर्टर के आगे जज साहब की कोठी थी. पापा दिन भर जज साहब के पास खड़े रहते थे. बस वही कोठी, जज को मिलने वाला सम्मान और मेरे सर्वेंट क्वॉर्टर की छोटी सी जगह मेरी प्रेरणा बनी.”
34 साल की अर्चना के पिता पिता गौरीनंदन सोनपुर रेलवे कोर्ट में चपरासी के पद पर थे| और अब उनकी बिटिया अर्चना कुमारी ने 2018 में हुई 30वीं बिहार न्यायिक सेवक परीक्षा में सफलता हासिल की है| बीते नवंबर के आख़िरी हफ़्ते में घोषित नतीजों में अर्चना को सामान्य श्रेणी में 227वां और ओबीसी कैटेगरी में 10वीं रैंक मिली है|
अर्चना कहती हैं कि सपना तो जज बनने का देख लिया था, लेकिन इस सपने को साकार करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. शादीशुदा और एक बच्चे की मां होने के बावजूद मैंने हौसला रखा और आज मेरा सपना पूरा हो गया है|
अर्चना कहती हैं कि विवाह के बाद उन्हें लगा कि अब उनका सपना पूरा नहीं हो पाएगा| लेकिन परिस्थितियों ने करवट ली और अर्चना पुणे विश्वविद्यालय पहुंच गईं, जहां से उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई की. इसके बाद उन्हें फिर पटना वापस आ जाना पड़ा, परंतु उन्होंने अपनी जिद नहीं छोड़ी थी| साल 2014 में उन्होंने बीएमटी लॉ कॉलेज पूर्णिया से एलएलएम किया|
उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि पति राजीव रंजन पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं, और उनका सहयोग हर समय मिला| अर्चना भावुक हो उठती हैं, “कल जो लोग मुझे तरह-तरह के ताने देते थे, आज इस सफलता के बाद बधाई दे रहे हैं| मुझे इस बात की खुशी है|”
अर्चना की सफलता में उनके पूरे परिवार का सहयोग है| उनकी सातवीं तक पढ़ी मां प्रतिमा देवी कहती हैं, “बिटिया का रिजल्ट जब से निकला है नींद नहीं आई है और खाना भी खाया नहीं जा रहा है| अपनी ख़ुशी के बारे में आपको क्या बताएं और अगर इसके पापा रहते तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता|”
प्रतिमा देवी को ख़ुद अपनी पढ़ाई ना कर पाने का बहुत अफ़सोस रहा| लेकिन उन्होंने अपनी तीनों बेटियों को अच्छी शिक्षा दी|