अटल बिहारी वाजपेयी के कारण ही नीतीश बने थे बिहार का मुख्यमंत्री
राजनीति में विरले ही एसे नेता होते हैं जिसको पक्ष से लेकर विपक्ष तक के लोगों का भी प्यार और सम्मान मिलता है| भारतीय राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी वैसे ही विरले नेताओं में से एक हैं| गुरुवार को अटल जी के निधन के बाद पूरा देश शोक मना रहा है| बिहार में भी शोक की लहर है| सभी पक्ष के नेताओं ने इस घटना पर दुःख जाहिर की है|
अटल जी के बारे में खबर मिलते ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी काम छोड़कर दिल्ली के लिए रवाना हो गये| बताया जाता है कि मुख्यमंत्री आवास पर जेडीयू की अहम बैठक होनेवाली थी| दिल्ली जाने से पहले वह अटल बिहारी वाजपेयी के लिए एक भावुक संदेश दिया और उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए कामना की| उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी से हमें सदैव मार्गदर्शन मिलात रहा है. मैंने उनके जीवन से सामाजिक जीवन की बारीकियां सीखी है|
गौरतलब है कि नीतीश कुमार अटल जी के मंत्रिमंडल में रेल मंत्री थे| उनको हमेसा से अटल जी का विशेष स्नेह मिलता रहा है| बीजेपी के अन्य नेता को इसकी हमेसा शिकायत रहती थी| इस बात को खुद नीतीश कुमार स्वीकारते हैं|
अभी कुछ दिनों पहले ही नीतीश कुमार ने बिहार की विभिन्न रेल परियोजनाओं का उद्घाटन करने पटना पहुंचे रेलमंत्री पीयूष गोयल के सामने कहा कि जब मैं रेल मंत्री था, तो देश के कई जगहों पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होता था और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी भी इन कार्यक्रमों में सहर्ष शामिल होते थे।
नीतीश ने कहा कि उस दौरान कैबिनेट से पारित कराने के बाद कई तरह की परेशानियां होती थीं, लेकिन अटल जी का ऐसा आशीर्वाद प्राप्त था कि रेल मंत्रालय का कोई भी प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं अटकता था। उनकी वजह से देश की कई जगहों पर ऐसे कई महासेतु का निर्माण अपने रेल मंत्रित्वकाल में मैंने कराने की कोशिश की थी।
नीतीश को बनाया था मुख्यमंत्री
अटल जी ही नीतीश को बिहार के मुख्यमंत्री के कुर्सी तक पहुचाया है| यही कारण है कि वे चाहे किसी गठबंधन में रहे वह हमेसा अटल जी का सम्मान और तारीफ करते रहें हैं| बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार की राजनीति को बहुत गहरा प्रभावित किया है। पहली बार संयुक्त बिहार से केंद्र सरकार में 15 मंत्री बनाए गए थे। केंद्र की पांच वर्षों की अटल सरकार के दौरान बिहार की राजनीति पर राजधर्म का ऐसा असर दिखा कि लालू राबड़ी सरकार के अंत की पृष्ठभूमि भी तभी ही तैयार हो गई थी। वाजपेयी जी ही थे जिन्होंने नीतीश कुमार को कम सीटें आने के बावजूद सीएम चेहरा बनाया।