आंध्र प्रदेश के बाद बिहार से फिर उठी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग, नीतीश पर बढ़ा दवाब
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने के बाद मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और केंद्र सरकार के बीच शुरू हुए विवाद का असर बिहार की राजनीति पर भी दिखने लगा है। टीडीपी के बाद एनडीए का एक और सहयोगी जदयू भी इस मुद्दे पर टीडीपी के साथ अपना सूर मिला रहा है| बिहार में महागठबंधन तोड़कर बीजेपी की मदद से सरकार बनाने वाली जनता दल यूनाइटेड ने भी विशेष राज्य का दर्जा न मिलने पर असंतोष जाहिर किया है|
जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि बिहार को भी स्पेशल कैटिगरी स्टेटस (विशेष राज्य का दर्जा) नहीं दिया गया। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी काफी समय से विशेष राज्य के दर्जे की मांग दोहराते रहे हैं। नीतीश 2005 के विधानसभा चुनाव से ही विशेष राज्य की मांग उठाते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बिहार को जब तक विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा, उसका विकास नहीं हो पाएगा| केसी त्यागी ने कहा कि हम आंध्र प्रदेश की मांग का समर्थन करते हैं| उन्होंने कहा आज आंध्र प्रदेश की वही स्थिति है जो बिहार की थी| विभाजन के की तर्ज पर अधिकतर संसाधन आंध्र से अलग होने के बाद तेलंगाना के पास पहुंच गए| उन्होंने कहा कि बिहार भी विशेष राज्य के दर्जे का हकदार है| उन्होंने कहा कि बिहार का बंटवारा होने के बाद सारे संसाधन झारखंड के पास चले गए| केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार हमेशा पीएम मोदी इसके लिए पीएम मोदी से बात करते रहते हैं| उन्होंने हमेशा पीएम से राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है|
इधर विपक्ष भी मौका का फायदा उठाकर नीतीश कुमार पर दवाब बढ़ा रही है| नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर तंज कसा है।
तेजस्वी यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें आंध्रप्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू से सीखना चाहिए। शासन इक़बाल और स्वाभिमान से चलता है। आखिर कितने दिन डरकर बिहार का नुक़सान करते रहेंगे।
तेजस्वी ने कहा कि नीतीश कुमार ने व्यक्तिगत फ़ायदों के लिए बिहार के हितों की तिलांजलि दे दी है। अपने लिए ‘विशेष आवास’ और ‘विशेष सुरक्षा’ के समझौते के तहत बिहार की विशेष दर्जे की मांग को कूड़ेदान में डलवा दिया।
तेजस्वी ने पूछा कि नीतीश कुमार को यह हक़ किसने दिया है की अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए वो बिहार के साथ हक़मारी करें। स्वयंघोषित नैतिक पुरुष जवाब दें।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मैंने 5 फ़रवरी को पत्र लिखकर अपने नेता प्रधानमंत्री मोदी जी से बिहार के लिए विशेष राज्य की माँग करने की विनम्र विनती के साथ-साथ तन-मन-जन से पूर्ण समर्थन देने का वायदा भी किया था। लेकिन मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष को उस पत्र का जवाब देना भी उचित नहीं समझा। वे बतायें कि उन्होंने किस डर से अपनी नैतिकता, अंतरात्मा, राजनीति और बिहार के अधिकारों को भाजपा के यहाँ गिरवी रखा है?
तेजस्वी ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी जी और केंद्र सरकार बिहार की विशेष दर्जे की जायज़ माँग को अस्वीकार करते है तो नीतीश जी को अंतरात्मा की आवाज़ पर तुरंत इस्तीफ़ा देकर एनडीए से गठबंधन तोड़ना चाहिए। कुछ तो हिम्मत दिखाइए चाचा जी। हम इस मांग पर साथ है।
इधर, विधानसभा में गुरुवार को राजद सदस्य शक्ति यादव और समीर कुमार महासेठ ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया। विधानसभा अध्यक्ष ने इसे नियमानुकूल नहीं बताते हुए इसे अमान्य कर दिया।