बिहार अभी प्रगति के दौर में चल रहा है- मुकेश खन्ना
राजधानी पटना के अधिवेशन भवन में हो रहे बोधिसत्व इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में तीसरे दिन को सबसे पहले रुचिका ओबराय की फिल्म आइलैंड सिटी का प्रदर्शन हुआ। वही फिल्म फेस्टिवल में शनिवार को बॉलीवुड अभिनेता मुकेश खन्ना पहुंचे।
अभिनेता मुकेश खन्ना ने आपन बिहार के अंकित कु. वर्मा से बातचीत में कहा कि इस तरह के फिल्म फेस्टिवल के आयोजन से दूसरे देश व राज्यों के कलाकारों को बिहार को जानने व समझने में सहूलियत होगी। फिल्मकार यहाँ से सिखेंगे और सीखा कर जाएंगे। क्षेत्रीय फिल्मों में भी निवेश की संभावना बढ़ेगी। फिल्में हमेशा ही एक सूत्र में जोड़ने का काम करती है। बच्चों पर आधारित फिल्में लाने की जरूरत है। इंटरनेशनल लेवल पर बच्चों के लायक फिल्में बनती है और अच्छी कमाई भी करती है। भारत के फिल्मकारों को भी इसके लिए प्रयास करना चाहिए। बच्चों के बीच बड़ा हुआ हूं और आज भी खुद को बच्चा समझता हूं। मैं जो कुछ भी करना चाहता हूं, वह बच्चों के लिए करना चाहता हूं। बच्चों के लिए चिल्ड्रेन वीक शुरू कर रहा हूं। पूरे भारत के बच्चों के लिए 23 से 30 जूलाई तक स्कूली बच्चों के लिए फिल्म और कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।
मुकेश खन्ना कहते है कि बिहार की प्रतिभा का लोहा सभी मानते हैं। हर क्षेत्र में यहां के लोगों का परचम हैं, लेकिन इनका सदुपयोग सूबे के बेहतरी के लिए नहीं हो पा रहा। यहां कि प्रतिभा का फायदा बिहार से ज्यादा दूसरे राज्य और देश के लोग उठा रहे हैं। सरकार को यहां की प्रतिभा का सम्मान करना और सम्मान दिलाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों में टैलेंट भरा पड़ा है क्यों यहाँ के लोग बाहर जाते है? क्यों यहां के लोग अपने फैमिली के साथ रहकर यहां के विकास में योगदान नहीं दे रहे?
उन्होंने कहा कि मैं लालू जी के दौर में आया हूँ, नितीश जी के दौर में आया हूँ, अब ये जो नया दौर है वो प्रगति का दौर चल रहा। मैं बिहार में पटना सहित कई जिलों में जा चूका हूँ। देख कर यही लगता है कि ये विकास आज से 15 साल पहले शुरू होनी चाहिए थी। विकास थोड़ी सी लेट शुरू हुई है।
मुकेश खन्ना ने कहा कि मैं इंदौर में फिल्म सिटी बनाने जा रहा हूँ इंदौर के सीएम के साथ मेरी बात होई है। बिहार में भी फिल्म सिटी बनाना चाहिए बहुत साल पहले ये बात उठी थी कि बिहार में फिल्म सिटी बन रही है। भोजपुरी का मार्केट इतना बढ़ चूका है कि यहां पर एक खुद का फ़िल्म सिटी व स्टेडियो बनाना चाहिए। मैंने बिहार में एक भोजपुरी फिल्म की है। जिसके लिए अवार्ड भी चयन किया गया था, पर मुझे अच्छी नहीं लगी। भोजपुरी में ऐसी फिल्म बननी चाहिए जिसे पूरी फैमली आकर देखे.. नदियां पार जैसी।