गंगा नदी पर यहां बन रहा है बिहार का पहला फोरलेन सेतु, निर्माण कार्य तेजी पर

खगडिया|मुकेश कुमार मिश्र: बिहार  में ( भारत में दुसरा ) पहला गंगा नदी पर अगुवानी और सुलतानगंज घाटों के बीच विगत ढेड वर्षों से बनाये जा रहे फोर लेन पुल का काम एक बार फिर तेजी पकड़ने लगा है। विगत अगस्त माह में आयी बाढ के बाद से पुल निर्माण का कार्य बाधित हो गया था। इसके अलावा बाढ में निर्माण सामग्री मिश्रण के लिये लगाये गये मिनी प्लांट के साथ साथ बड़े मात्रा में निर्माण सामग्री डूब गया था। बहरहाल निर्माण के लिये चयनित कंपनी एस पी सिंगला कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के अधिकारी व कर्मी अब इन परेशानियों से निबटकर अब फिर से काम को गति देने के लिये सक्षम हो गयी है।

निर्माण कार्य जारी है

स्थानीय को प्राथमिकता की मांग
गंगा नदी के उपर चल रहे इस पुल निर्माण के कार्य में प्रतिदिन सैंकड़ों  कुशल और अकुशल मजदूर तथा विभिन्न स्तर के कर्मी काम करते हैं। इसमें पश्चिम बंगाल,पंजाब,उत्तर प्रदेश समेत अन्य प्रदेशों के मजदूर शामिल हैं।इतने बड़े प्रोजेक्ट के चलते रहने के बावजूद स्थानीय मजदूरों को इसमें काम नहीं मिल पा रहा है।स्थानीय मजदूरों में इस बात को लेकर आक्रोश बढ रहा है।विगत वर्ष 2016 के आखिरी दिन स्थानीय मजदूरों ने पुल निर्माण में काम में स्थानीय मजदूरों को प्राथमिकता के आधार पर लगाने को लेकर प्रदर्शन किया। हलाँकि इस प्रदर्शन को कंपनी के अधिकारियों ने शांत कर दिया। किन्तु यह कहना कठिन है कि यह कब तक शांत रह पायेगा।
धीमी है भुमि अधिग्रहण की रफ्तार
गंगा नदी पर पुल के निर्माण ने तो तेजी पकड़ लिया है।किन्तु भुमि अधिग्रहण की रफ्तार धीमी ही है।इस वजह से इस पुल निर्माण को उम्मीद की नजर से देखने वाले लोग इस बात को लेकर आशंकित हैं कि पुल निर्माण हो जाने के बावजूद एप्रोच पथ के अभाव में लोगों को पुल का फायदा मिलने में देर लग सकती है। जानकारों का कहना है कि दीघा पुल,मुंगेर पुल तथा विजय घाट पुल में एप्रोच नहीं रहने के कारण इन पुलों के बन जाने के बावजूद यह आम लोगों के लिये उपयोगी नहीं हो पा रहा है। कहीं वही हाल अगुवानी सुलतानगंज पुल का हो गया तो सारी उम्मीदें धरी रह जायेगी।
कहते हैं अंचल अधिकारी
इस संबंध में पूछने पर अंचल अधिकारी शिवशंकर गुप्ता ने बताया कि पुल निर्माण कंपनी द्वारा चिन्हित भुमि के अधिग्रहण को लेकर प्रक्रिया चल रही है। समय समय पर कंपनी द्वारा दिये गये सूचना को संज्ञान में लेकर काम को आगे बढाया जा रहा है।चिन्हित भुमि के प्रकृति की जाँच प्रक्रियाधीन है। जाँच प्रतिवेदन आने के बाद ही स्पष्ट तौर पर कुछ कहा जा सकता है। परंतु प्रथम दृष्टया किसानों और सरकार के पास उपलब्ध अभिलेख में अंतर होने का दावा किया जा रहा है। सभी अभिलेखों को देखने एवं परीक्षण करने के बाद ही स्पष्ट निर्णय लिया जा सकेगा।भुमि अधिग्रहण की प्रक्रिया चलती रहेगी। इससे परियोजना का कार्य प्रभावित नहीं होगा।

 

क्या होगी पुल की विशेषता

* फोर लेन पुल जिसमें दो- दो लेन का दो अलग-अलग पुल बनेगा
* गंगा की मुख्यधारा में पीलर की बजाय
केबुल पर झूलता हुआ पुल होगा
* बीच के दो पिलरों के बीच 125 मीटर की दूरी होगी।
* पुल की कुल लंबाई -3160 मीटर
* पुल का प्रकार – केबल स्टेड आधारित
* इन्टेलीजेन्ट ट्रॉफिक प्रणाली
* पहुँच पथ की लंबाई-25 कि मी
* डॉल्फिन वेधशाला
* पुल प्रदर्शिनी एवं रेस्ट एरिया
* प्रकाश प्रणाली
* व्हेकिल अंडरपास
* रोटरी ट्रॉफिक
* 4×4 टॉल प्लाजा
* पेसेन्जर अंडरपास

महत्वाकांक्षी है यह परियोजना
बिहार सरकार की इस परियोजना को काफी महत्वाकांक्षी माना जाता है।इस परियोजना की लागत का आरंभिक मूल्यांकन 1710.77 करोड़ किया गया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को परबत्ता के एम डी कॉलेज मैदान में इसका शिलान्यास किया था तथा 9 मार्च 2015 को मुरारका कॉलेज सुलतानगंज के मैदान से पुल निर्माण का कार्यारम्भ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया। इस पुल के निर्माण से उत्तर तथा दक्षिण बिहार के बीच का फासला काफी कम हो जायेगा।इसके अलावा प्रति वर्ष श्रावणी मेला में देवघर जाने वाले लाखों काँवरियों को इससे फायदा होगा।इस पुल तथा सड़क के निर्माण से एन एच 31 तथा एन एच 80 आपस में जुड़ जायेंगे।

Search Article

Your Emotions