पटना: लोग कहते है राजनीति बहुत बुरी चीज है! मगर यही राजनीति आरोप-प्रत्यारोप से उपय उठ जाए और राजनीति अगर विकास पर होने लगे तो वही राजनीति देश या राज्य के लिए वरदान सावित होती है।
बिहार में नीतीश की नेतृत्व वाली महागठबंधन की सरकार है तो केंद्र में नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली भाजपा सरकार। दोनो की विचारधारा अलग है, दो सिक्कें के दो पहलू है मगर बिहार के विकाश के मुद्दे पर दोनों सहमत और एकमत है।
हाल में एक उदाहरण आया है। वर्षों से पटना और हाजीपुर के बीच बने गंगा नदी पर बने गाँधी सेतु का हालत केन्द्र और राज्य सरकार के लिए राजनीति राजनीति का एक अहम मुद्दा बनता जा रहा था , दोषारोपण का पुराना खेल चालू था …कोई गम्भीर पहल किसी भी ओर से होती नहीं दिख रही थी। दशकों से इस सेतू के जीर्णोद्धार की बातें हो रही थीं , कुछ काम भी निरन्तर ही हो रहा था लेकिन सेतू की स्थिति बद से बदहाली की ओर ही बढ़ रही थी।
वक्त बीतता गया और सेतू किसी भी दिन ध्वस्त हो जाने की स्थिति में आ गया , इसी दरम्यान बिहार में एक और नयी सरकार आई और बिहार के युवा उप-मुख्यमंत्री श्री तेजस्वी यादव के जिम्मे सम्बंधित विभाग आया …युवा – जोश व् जज्बे के साथ राजनीति को दरकिनार करते हुए गम्भीरता से उप-मुख्यमंत्री ने सेतू के मुद्दे पर केंद्र की सरकार पर अपने पत्राचारों के माध्यम से दबाब बनाया , तदुपरांत केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी जी के साथ अपनी मुलाकातों के माध्यम से समन्वय स्थापित किया और साथ ही राजनीतिक मतभेद होने के वाबजूद केंद्रीय मंत्री ने भी इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाई और आज परिणाम सबके सामने है।
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को पटना और हाजीपुर को जोड़ने वाली महात्मा गांधी सेतु के जर्जर हालत के पुनरोद्धार के लिए 1742 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं. बैठक के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि साढ़े तीन साल में सेतु के पुनरोद्धार को कम्पलीट करने का लक्ष्य रखा गया है और इसपर कुल 1742 करोड़ रुपए की लागत आएगी.
इस से पहले का भी कई उदाहरण जो बताने के लिए काफी है कि राज्य और केंद्र सरकार मिल कर बिहार के विकाश में लगी है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यह कह चुके है कि बिहार के विकाश से कोई समझौता नहीं होगा, और हम केंद्र के साथ मिल कर बिहार के विकाश के लिए काम करेंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने पिछले बिहार दौरे पर बिहार सरकार के सहयोगातमक रवैये की तारिफ कर चुके है। केंद्रीय मंत्री पियूस गोयल और सुरेश प्रभू ने भी सहयोगात्म रवैये का स्वागत किया है।
राजनीतिक मतभेद हो सकते है, राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप और विरोध होता रहता है। मगर देश और राज्यहित से समझौता नहीं होनी चाहिए।
बिहार के विकाश में लगे दोनों सरकार बधाई के पात्र है।