पटना: अब बिहार में गुहार नहीं, फरियादियों को अधिकार से न्याय मिलेगा. फरियादियों को अपनी समस्याओं के निदान को लेकर जनता दरबार में गुहार नहीं लगानी होगी. न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें नहीं खानी पड़ेंगी. लोगों की समस्याओं का निर्धारित अवधि में निबटारा कर न्याय दिलाये जाने को लेकर सरकार के द्वारा नयी व्यवस्था लागू किये जाने की पहल की गयी है. इसके लिए बिहार सरकार ‘बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम- 2015’ को तैयार कर 6 जून से पूरे राज्य में लागू कर रही है।
6जून को लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम जमीन पर उतर जाएगा। उस दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस योजना की शुरुआत करेंगे। हालांकी इसे पहले 1 मई से ही लागू करना मगर तैयारी पूरी नहीं हो पाने के कारण तिथि को आगे बढा दिया गया।
क्या है लोक शिकायत निवारण अधिनियम??
इस अधिनियम को 2015 में ही बनाया गया था। फरियादी से परिवाद पत्र प्राप्त करने के साथ ही उन्हें पावती रसीद दी जायेगी. साथ ही निर्धारित समयसीमा 60 दिनों में सुनवाई करते हुए आवेदक को न्याय दिलाये जाने की व्यवस्था की गयी है.
लोग चाहें तो डाक,ई-मेल,एसएमएस,ऑनलाइन पोर्टल और कॉल सेंटर के माध्यम से भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायतकर्ता को आवेदन के साथ अपना नाम,पता,मोबाइल या फोन नंबर,ई-मेल,आधार कार्ड संख्या दर्ज करना होगा। जांच करके आवेदन के स्वीकृत या अस्वीकृत होने की सूचना दे दी जाएगी। इसके बाद हर लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सप्ताह में कम से कम एक दिन परिवादों पर जरूर सुनवाई करेंगे। परिवाद,प्रथम अपील या दूसरी अपील के साथ आवेदक को कोई फीस नहीं देनी पड़ेगी।
जन शिकायतों की अनदेखी करने वाले सरकारीकर्मियों से वसूला जुर्माना जाएगा।लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत न्याय दिलाने में विलंब करने या उचित न्याय नहीं दिलाये जाने की स्थिति में अर्थदंड का प्रावधान है. प्रथम एवं द्वितीय अपील का प्रावधान भी इस अधिनियम में बनाया गया है. न्याय में विलंब या सुनवाई से इनकार करने की स्थिति में पदाधिकारी पर अर्थदंड अधिनियम की धारा आठ के तहत लगाया जायेगा.