आज कल सोशल मीडिया के तथाकथित इंटेलेक्चुअल लोगो की प्रजाति बिहार बोर्ड के Toppers के बारे में लंबा चौड़ा आलेख लिख कर, भाँति-भाँति की टिप्पणियॉ से सोशल मीडिया को भर रखा है। और होना भी चाहिए इतनी बड़ी घटना जो हुयी हैं। लेकिन सबसे ज्यादा आश्चर्य कई सारे महानुभाव की लेखों को पढ़कर ये हुआ की इनमे से ज्यादा प्रजाति बिहारियों को गरिया रहे है, कोई बिहार के सारे आइएस, आईपीएस, डॉक्टर्स और इंजीनियर को फ़र्ज़ी बता रहा है तो कुछ लालू जी के नौंवी पास लल्लन की बखिया उदेरने में लगे है कुछ बिहारियों को सिर्फ इसलिए गाली दे रहे है की उन्होंने बीजेपी को वोट नही दिया और लालू और नितीश की सरकार वहां आ गयी।
कोई ये मनवाने में लगा है की बिहार के सभी बोर्ड (CBSE, ICSE) का भी यही हाल है और सभी नक़ल कर ही आईआईटी और आईआईएम में एडमिशन हासिल करते आये है। बिहार बोर्ड के Toppers की पोल खुलने के बाद सभी लोग इस खबर को शेयर करके ऐसे पोस्ट कर रहे है जैसे पता नही क्या हो गया।
जो हुआ बहोत बुरा हुआ और ये बिहार में शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलता नज़र आ रहा है लेकिन इस बारे में कोई भी बात नही कर रहा है या कहना चाह रहा है की इन Toppers के Oral और written Reassessment में 13 में से 11 बिलकुल पास हुए!
इसका मतलब ये की जिन बिहार के Toppers की पुरे देश में चर्चा हो रही है उनमे सभी फर्ज़ीवाड़े से टॉप नही किया है। सिर्फ दो छात्र पास नही हुए इसके बावजूद कुछ लोग सभी toppers को शर्मशार कर रहे है, पता नही उनकी प्रॉब्लम क्या है या किस्से है?
बिहार से नफरत है, बिहारियों से उनकी जलती है या चारा खाने वाले परिवार से उनको प्रॉब्लम है या जो भी कारक हो!
इससे लोगो की घटिया मानसिकता के अलावा कुछ और नज़र नही आता दिख रहा है। सभी लोगो को एक ही रंग में रंगने का कोई मतलब नही निकलता। अगर बिहार में नितीश या अरविन्द केजरीवाल द्वारा सत्यापित लालू जी की सरकार आई भी तो क्या सभी लोगो ने आँख मूँद कर सिर्फ महागठबंधन को वोट दिया ???
नही न। Ias, Ips, Ifs, IIT, Medical, Bank PO या कोई भी ऐसा Recruitment Exam नही है जहाँ सिर्फ Marks के basis पर लोगो का चयन होता हो। हर प्रतियोगिता परीक्षा के लिए इनके dedicated domain की परीक्षाये होती है फिर भी कुछ पढ़े लिखे गवाँर जिनको की Intellectual गँवार बुलाना चाहूँगा वो बार बार अपने दो कौरी के आलेखों में बार बार इस बात का जिक्र कर रहे है जैसे की Ias, Ips की जॉब 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद मिल जाती है।
पटना में कुछ दिनों पहले बिहार से Indian Foreign Service की सेवा देने वाले बिहार बोर्ड Toppers की मीटिंग हुयी जिसमे Columbia, Senegal, Ukraine, Argentina जैसे देशो के राजनयिकों ( Indian Ambassador) ने एक Joint Statement दिया जिसमे उन्होंने बिहार बोर्ड से निकले हुए अभी तक के सभी लोगो पर सवाल उठाने वाले महानुभावो के आरोपों पर दुःख व्यक्त किया और साथ में ये भी कहा की हम भी अपने समय में बिहार बोर्ड से निकले हुए छात्र रहे है।
कुछ चिन्दिचोरो और राजनेताओ के सह पर काम कर रहे है शिक्षा माफियाओ के वजह से सभी बिहारी छात्रो पर संदेह करना बिलकुल भी सही नही है।
टॉपर का रिजल्ट रद्द कर दिया गया, सम्बंधित कॉलेज का मान्यता भी रद्द कर दिया।
मगर अशोक चौधरी जी सबसे बड़ा दोषी बिहार बोर्ड पर मौन क्यों है?
क्या बोर्ड की कोई गलती नहीं?
नकल मुक्त परीक्षा कराने की जिम्मेदारी किसकी है?
कॉपियों के मूल्यांकन की जिम्मेदारी किसकी है?
सिर्फ बच्चों पर दोष मढ़ कर शिक्षा विभाग अपने नाकामी पर पर्दा डाल रहीं है। कौन छात्र नहीं चाहता कि परीक्षा में उसको अच्छा अंक प्राप्त हो और अगर उसको काबलियत से ज्यादा अंक किसी तरह आ भी गया तो उसका जिम्मेदार कौन????
किसी IAS के इंटरव्यू से कम नहीं था। हर कदम पर टॉपरों को देना पर रहा है अग्निपरीक्षा। कभी मिडिया के सामने तो कभी बोर्ड के सामने। अगले साल से बच्चे टॉपर बनने से भी डरेंगे।
नोट : इस पोस्ट का मक़सद बिहार बोर्ड के फ़र्ज़ी Toppers, बिहार के CM या नेताओ को डिफेंड नही करना बल्कि फेसबुक पर और मिडिया में सक्रीय भाँति भाँति के प्रजातियों को ये सन्देश देना है की जो की आइएस, आईपीएस और आईआईटियंस सिर्फ 10वीं के सर्टिफिकेट दिखने से नही बन जाते है और बिहार बोर्ड के अलावा CBSE और ICSE बोर्ड से भी 10वीं की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियो की भी भरमार है इस प्रदेश में।