आज पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव का जन्मदिन है, आधी रात को मनाया जन्मदिन…देखिए

पटना: आज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, देश के पूर्व रेलमंत्री, राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के कद्दावर नेता श्री लालू प्रसाद यादव जी का 68 वां जन्मदिन है।  

 

जन्मदिन का केक काटते लालू यादव

जन्मदिन का केक काटते लालू यादव

 

आज आधी रात को ही पूरे सादगी के साथ अपने परिवार के साथ लालू यादव ने केक काटकर अपना जन्मदिन मनाया।  मीसा भारती ने फेसबुक पर लोगों के साथ यह तस्वीर शेयर किया।  बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और लालू यादव की धर्मपत्नी राबरी देवी ने गुलदस्ता दे कर लालू यादव को जन्मदिन की बधाई दी।

जन्मदिन का बधाई देती राबडी देवी

जन्मदिन का बधाई देती राबडी देवी

 

गौरतलब है कि आज ही के दिन 11 जून 1948 को बिहार के गोपालगंज जिले के फूलवरियां गांव में एक यादव परिवार में लालू प्रसाद यादव का जन्म हुआ था।

एक बार मजाकिये लहजे में संसद में लालू प्रसाद ने कहा था कि,  1947 में अंग्रेजों को पता चल गया था कि 1948 में लालू यादव पैंदा लेने वाला है इसीलिये वे 1947 में ही देश छोड़ कर भाग गये। 

 

इस वर्ष का जन्मदिन लालू यादव के लिए कुछ खास है क्योंकि वर्षों के सत्ता से वनवास के बाद बिहार के सत्ता में उनकी पार्टी का जोरदार वापसी हुआ है। दोनो बेटा राज्य सरकार में मंत्री बन गया तो बेटी मीसा भारती भी राजद कोटे से राजसभा चली गयी।

 

11 जून 1948 को बिहार के एक गरीब परिवार में जन्म लेने वाला एक बच्चा भैंस के पीठ से बिहार मुख्यमंत्री के खुर्सी तक पहुँचेगा और गरीबों का मसीहा कहलायगा यह किसी ने सोचा भी नहीं था।

 

लालू प्रसाद बचपन के दिनों में गांव के छोटे बच्‍चों के साथ गाय और भैंसे चराया करते थे और उनके लिए चारे का व्‍यवस्‍था करते थे। ये अलग बात है कि बाद में चारा घोटाले में ही उन्हें जेल जाना पड़ा।

उन्‍हें बचपन से ही दूध और दही (माठा) खाने का बहुत शौक है। लालू प्रसाद यादव परिवार से होने के कारण उन्‍हें यादव बिरादरी के सभी कार्य करना आता है, जिसमें गायों और भैसों का दूध दूहने के साथ ही दूध-दही बेचना भी शामिल है।

 

लालू प्रसाद को बिहार का प्रमुख व्यंजन लिट्टी-चोखा तथा सत्तू (मक्‍के और चने का) खाना बेहद पसंद है। वे जब भी अपने गांव जाते हैं तो इस प्रमुख व्यंजन को खाना नहीं भूलते हैं।

 

लालू प्रसाद पटना के बीएन कॉलेज से स्‍नातक की पढ़ाई करते समय ही छात्र राजनीति में आए। जेपी के अनुयायी लालू नीतीश कुमार तथा रामविलास पासवान के राजनीतिक गुरु भी बने।

 

2003 में बिहार के कुछ हिस्‍सों में आई बाढ़ के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद का कहना था कि इतना पानी तो मेरी पाड़ी (भैंस का बच्चा) एक बार में पी जाती है। उन्‍होंने केंद्र सरकार द्वारा बाढ़ पर पूछी गई जानकारी के जवाब में यह कहा।

 

लालू प्रसाद अपने भाषणों में देहाती भाषा के शब्दों का प्रयोग बहुत ही ज्‍यादा करते हैं। देश तथा विदेशा में भी इनके इस तरह के बोलने के स्‍टाइल पर फिदा है। लोग इन्‍हें राजनीति का बहुत बड़ा कॉमेडियन भी मानते हैं। देश की मीडिया में भी इनके इस स्‍टाइल की बहुत ही चर्चा होती है।

 

2005 लालू प्रसाद केंद्र की सता में यूपीए की सरकार आने के बाद रेल मंत्री बने थे। इसी दौरान उन्‍होंने रेलवे में तथा रेलवे स्‍टेशनों पर चाय मिट्टी के बर्तन (कुल्हड़) में बेचना अनिवार्य कर दिया था, जिसके बाद रेलव तथा कुल्‍लड़ बनाने वाले की काफी कमाई हुई थी। इतना ही नहीं जब तक लालू यादव रेलमंत्री रहे उन्होंने यात्री किराया नहीं बढ़ाया।

 

लालू यादव तब भी सुर्खियों आए जब उन्होंने कहा था कि वे बिहार की सड़कों को फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी के गालों जैसी बना देंगे। उन्होंने एक चुनावी सभा में कहा था कि सभी यादवों के घर में एक गाय और भैंस होगी और जब भी मैं यहां आऊंगा तो आप मुझे दूध और दही खिलाना।

 

देश में एक बहुत ही प्रचलित कहावत है जो 2002 में आई थी जिसमें कहा गया था कि ‘जब तक रहेगा समोसे में आलू, तब तक रहेगा बिहार में लालू। उस यह कथन बहुत ही ज्‍यादा प्रचलित हुआ था।

 

3 अक्‍टूबर 2013 को लालू प्रसाद को चारा घोटाले में सीबीआई कोर्ट द्वारा सजा सुनाने वाले जज पीके सिंह कॉलेज के दिनों में लालू प्रसाद के जुनियर रह चुके हैं। हालांकि लालू प्रसाद को याद नहीं था, जज पीके सिंह ने वेलेंटाइन डे के एक मामले में केस की सुनवाई करते हुए लालू को कॉलेज के दिनों को याद कराया।

2005 में नीतीश कुमार बीजेपी के समर्थन के साथ बिहार का मुख्यमंत्री बन गये।  उसके बाद लालू यादव 10 वर्षों तक बिहार के सत्ता से दूर रहे और इसी बीच में चारा घोटाला मामले में जेल भी जाना पडा।

 

लोकसभा से पहले नीतीश कुमार का जेदयू से गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी से लालू-नीतीश बुडी तरह बिहार में हार गये।

तब लालू प्रसाद यादव अपने सबसे बडे राजनीतिक दुश्मन नीतीश कुमार से मिल कर महागठबंधन बनाया और बिहार के सत्ता में जोरदार वापसी कर फिर से बिहार के राजनीति के साथ राष्ट्रीय राजनीती में भी छा गये।

 

 

लालू यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में कोर्ट में मामला चल रहा है मगर अभी भी बिहार की जनता में उनकी जबरदस्त पकड़ है।  गरीब और पिछरे लोग लालू यादव को अपना मसीहा के रूप मानते है।  कहा जाता है अपने शासनकाल में लालू यादव ने दलितों और पिछडों को आवाज दिया था।  इस बार भी चुनाव में लालू यादव ने गरीबी और पिछरेपनको मुद्दा बना चुनाब लडा और जीता है।  तमाम आरोपों के वाबजूद लालू यादव भारतीय राजनीति में अपनी एक अलग पहचान रखते है जि

 

Search Article

Your Emotions