स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करना मेरे लिए गर्व की बात : प्रणव मुखर्जी
चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा, स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति अपना आभार प्रकट किया। उन्होंने कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार सरकार की यह पहल सराहनीय है और इस समारोह में शामिल होना मेरे लिए भी गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि बापू की याद में आयोजित कार्यक्रम से पूरा देश फिर से जाग उठा है। बिहार की धरती का अपना एतिहासिक महत्व है। महात्मा गांधी ने जो देश के लिए किया है उसे लोग भुला नहीं सकते।
वहीं राज्यपाल ने कहा की गांधी को महात्मा बनाने वाला बिहार ही है बापू के लिए चंपारण की धरती महत्वपूर्ण रही है। दक्षिण अफ्रीका से आने के बाद वे बिहार आए और यहीं से उन्होंने अपने सत्याग्रह की शुरूआत की। गांधी को महात्मा बनाने वाली धरती बिहार के चंपारण की ही धरती है।
“राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रपति को हमने जब भी आमंत्रित किया, उन्होंने सहर्ष हमारा आमंत्रण स्वीकार कर लेते हैं। यह इनका बड़प्पन है कि अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बावजूद हमारे आमंत्रण पर बिहार आ जाते हैं। आज की यात्रा तो एतिहासिक यात्रा है जो महामिहम को याद रहेगी।”
कुल 818 सेनानियों को सम्मानित किया गया सम्मानित: चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष पर राज्य सरकार सोमवार को देश के 2,972 स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया गया। पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित समारोह में जहां 818 सेनानियों को सम्मानित किया गया, वहीं 2154 सेनानियों को जिलों के डीएम उनके घरों पर जाकर सम्मानित किया।
सम्मान में बापू की तस्वीर और टोपी: राज्य सरकार सेनानियों को चार प्रतीक चिन्ह प्रदान कर रही है। इसमें बापू की तस्वीर और गांधी टोपी के अलावा चंपारण आंदोलन की मिथिला पेंटिंग से सजी भागलपुरी सिल्क की चादर तथा केले के थम के रेशे से बना एक थैला है।
कुल 2,708 स्वतंत्रता सेनानियों में से 2,154 स्वतंत्रता सेनानी कार्यक्रम में शामिल होने में असमर्थ थे। सरकार ने इन सेनानियों को उनके घर पर ही सम्मानित करने का फैसला किया। जिलाधिकारी 17 अप्रैल की दोपहर 12 बजे पटना नहीं पहुंच सकने वाले सेनानियों को उनके घरों पर सम्मान देंगे।