बिहार के कश्मीर ‘ककोलत’ में बनेगा रोप-वे
नवादा जिले सहित राज्य के लोगों के लिए खुशखबरी है। राजगीर के तरह बिहार का कश्मीर कहे जाने वाले ककोलत में भी रोप-वे का लुप्त उठा सकेंगे।
अगर सब ठीक रहा तो यहां आने वाले दिनों में रोप-वे बनाने का काम शुरू हो जाएगा। नवादा के अलावा औरंगाबाद, गया, रोहतास, कैमुर और मुंगेर में भी रोप-वे निर्माण कंपनी को पत्र लिखा जा चुका है। वहां से रिपोर्ट मिलते ही आगे का काम शुरू कराया जाएगा। पयर्टन विभाग के संयुक्त सचिव अशोक कुमार सिंह ने रोप-वे बनाने वाली गुड़गांव की कंपनी राइट्स लिमिटेड के उपमहाप्रबंधक को पत्र लिखा है कि नवादा के ककोलत जलप्रपात, गया की गुरुपा पहाड़ी समेत राज्य के अन्य पयर्टन स्थलों पर प्रस्तावित रोप-वे निर्माण स्थल की जांच कर जल्द उपलब्ध कराया जाए, ताकि इन जगहों पर रोप-वे निर्माण कराया जाए।
विदेशों से भी यहाँ पहुंचते है सैलानी
ककोलत की खुबसूरती देखने के लिए यूपी, महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि विदेशों से भी सैलानी पहुंचते हैं। पयर्टन रजिस्टर में दर्ज आंकड़ों के मुताबिक यहाँ आने वाले सैलानियों में 25 फीसदी लोग दूसरे राज्यों के होते हैं। वहीं ककोलत की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि राजगीर व बोधगया घूमने आने वाले विदेशी पयर्टक यहाँ आना नहीं भूलते। रोप-वे निर्माण होने से यहाँ आने वाले पयर्टकों की संख्या में और बढ़ोत्तरी होगी।
औषधीय गुणों से लबरेज है ककोलत
ककोलत क्षेत्र खूबसूरत दृश्यों से भरा हुआ है लेकिन इन खूबसूरत दृश्यों में भी सबसे चमकता सितारा यहाँ स्थित ठंडे पानी का झरना है। इस झरने के नीचे एक विशाल कुंड है। इसमें 80 फुट ऊंचे जलप्रपात से पानी गिरता है। झरने के चारों तरफ जंगल है। यहाँ का दृश्य अद्भुत आकर्षण उत्पन्न करता है। जलप्रपात का पानी औषधीय गुणों से लबरेज है।
प्रकृति की गोद में बसा है ककोलत जलप्रपात
शीतल जलप्रपात व नैसर्गिक छटाओं के लिए मशहूर ककोलत नवादा जिले सहित राज्य का सबसे बड़ा पिकनिक स्पॉट माना जाता है। यहाँ नये वर्ष पर हजारों सैलानी पहुंचते हैं और ककोलत की खूबसूरत वादियों का आनंद उठाते हैं। बता दें कि ककोलत एक बहुत ही खुबसुरत पहाड़ी के पास डेढ़ सौ फुट ऊंचाई पर बसा एक झरना है। प्रकृति की गोद में बसा यह जलप्रपात प्राकृतिक उपहार के अतिरिक्त पुरातात्विक एवं धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। ककोलत से तीन किमी दूर थाली मोड़ से ही जलप्रपात की शीतलता का अहसास होने लगता है। रास्ते के दोनो ओर खेत, पेड़-पौधे की हरियाली यात्रा का मजा कई गुना बढ़ा देती है। यह जिस पहाड़ी पर बसा है, उस पहाड़ी का नाम भी ककोलत है।