शराबबंदी के बाद बिहार में बहार, हत्या के मामलों में आयी 39% की कमी
विपक्षी पार्टी भले ही बिहार में पूर्ण शराबबंदी और सख्त कानून पर सरकार को घेरने की कोशिश में लगी है, पर आंकड़े बताते हैं की राज्य में शराबबंदी के लागू होने के बाद राज्य में हत्या के मामलों में भारी कमी आयी है, यही कारण है की मुख्यमंत्री के इस अभियान को महिलाओं ने पूर्ण समर्थन किया है।
बिहार में शराबबंदी एक अप्रैल 2016 से लागू हुई है। इस रिपोर्ट में हम आपको बिहार में शराबबंदी के सोशल इम्पैक्ट बताने जा रहे हैं।
बिहार में शराबबंदी का तात्कालिक प्रभाव बिहार में शराबबंदी का प्रभाव तब देखने को मिला, जब इसे लागू करने के दो महीने बाद ही अपराध में कमी देखने को मिली। बिहार में इस कानून के आने के बाद हत्या के मामलों में 39 फीसदी की कमी, संज्ञेय अपराध में 20 फीसदी की कमी, डकैती में 54 फीसदी कमी, लूट के मामले में 25 फीसदी की कमी और सड़क हादसे में 31 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
इसके अलावा धार्मिक जुलूसों के बहाने शराब पीकर उन्माद करने वाले लोगों में भी बहुत कमी आई है। इतना ही नहीं अगर सामाजिक परिवर्तन की बाते करें तो राज्य की सीमाओं के बाहर भी इसका असर देखने को मिल रहा है।
बिहार का असरबिहार के बाद झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी महिलाओं द्वारा शराबबंदी की मांग ने जोर पकड़ लिया है। खुद नीतीश कुमार ने एक बयान जारी कर कहा था कि अब महाराष्ट्र के वर्धा जिले से एक संदेश द्वारा वहां महिलाएं शराब की बिक्री और इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश देने के लिए मुझे धन्यवाद देने के वास्ते बिहार आना चाहती हैं।
शराबबंदी को लेकर बिहार में कब क्या हुआ:- मार्च 2016- में बिहार में शराब पर आंशिक पाबंदी लगाई गई।- अप्रैल 2016- बिहार एक्साइज अमेंडमेंट बिल 2016 पारित होने के बाद पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई।- पाबंदी के बाद तीस से ज्यादा लोग मर चुके हैं।- पाबंदी तोड़ने से 4707 लोग गिरफ्तार हुए।- 3719 पुलिस शिकायतें दर्ज हुई अब तक।- 12% कमाई राज्य को शराब की बिक्री से मिलती थी।- 3300 करोड़ औसत टैक्स कमाई बिहार को शराब बिक्री से होती थी।- इस कमी की भरपाई के अलग टैक्स लगाया गया है।- 13.5 वैल्यू एडेड टैक्स समोसे और मिठाई पर।- 5% 2000 रुपये की साड़ी या उससे ज्यादा की खरीद पर।- 8-13.5% टैक्स बढ़ा इलेक्ट्रिकल आइटम पर।- 1-1.5 % पेट्रोल और डीजल पर वैट बढ़ा।
नए कानून के प्रमुख प्रावधान- शराबबंदी से जुड़े मामलों के लिए हर जिले में विशेष न्यायालय की स्थापना।- बिना वारंट गिरफ्तार करने की शक्ति पुलिस को, डीएम को तुरंत देनी होगी सूचना।- शराब या मादक द्रव्य का विज्ञापन देने पर 3 से 5 वर्षों तक जेल या 10 लाख तक जुर्माना।- घर में शराब मिली तो किसी एक के दोषी प्रमाणित होने तक सभी बालिग सदस्य जवाबदेह होंगे।- शराबबंदी कानून का बार-बार उल्लंघन करने वालों को जिला बदर किया जाएगा।