बिहार में कोरोना की स्थिति बदहाल, स्थिति के लिए नितीश कुमार जिम्मेदार
भारत समेत दुनियाभर के कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है। बिहार में भी इसका संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है, वहीं इससे होनेवाली मौतों का आंकड़ा भी हर दिन बढ़ रहा है। बिहार में कोरोना अब विकराल रूप लेता जा रहा है, शनिवार को फिर कोरोना के 739 नए मरीज मिले हैं जिसके बाद कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर अब 24967 हो गई है। शुक्रवार को राज्य में कोरोना के रिकॉर्ड 1742 नए मामले सामने आए थे।
बिहार में कोरोना की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही हैं। दरअसल, ट्वीट पर एक वीडियो शेयर हो रहा है। इस वीडियो में एक शख्स बता रहा है कि अस्पताल में लोगों की भीड़ जमा हो गई है। जांच करने की व्यवस्था नहीं है। वीडियो में भी काफी लोग नजर आ रहे हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का कोई पालन नहीं हो रहा है। वीडियो में शख्स कहा रहा है कि कोरोना महामारी को देखते हुए यह मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों दोनों के लिए खतरनाक है।
ऐसे में यह सवाल उठता है की क्या बिहार में इस स्थिति के लिए राज्ये सरकार जिम्मेदार है? वर्तमान स्थिति के लिए आख़िर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कैसे दोषी हैं? उनके ऊपर हर दिन विपक्ष जो आरोप लगाता है आख़िर वो कितना जायज़ है?
राज्ये सरकार क्यों रही असफल
बता दें की बिहार में कोरोना का प्रकोप कम होता नहीं देख रहा है। ऐसे में राज्ये सरकार के पास प्लानिंग की कमी है। देखा जाये तोह नितीश कुमार का ध्यान सिर्फ चुनाव पर है। मौजूदा हालात के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है क्योंकि कोरोना के शुरू से उन्होंने कमान अपने हाथ में रखी।
पहली गलती सरकार से तब हुई जब मार्च के महीने में प्रवासी मजदूरों के आने पर रोक लगवाई थी। उन दिनों संक्रमण इतना नहीं फैला था, अगर सरकार उस समय सही फैसला लेती तोह आज यह स्थिति नहीं होती।
कोरोना से लड़ाई में सरकार दिशाहीन है। जब मार्च में प्रवासी अपने शेरों में वापिस जा रहे थे, तब बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग जाँच की कोई व्यवस्ता नहीं की थी ।
लॉकडाउन से सरकार को एक मौका मिलता है, लेकिन इस मौके का सरकार कोई इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। बिहार के मुकाबले अन्य बड़े राज्यों में टेस्टिंग प्रतिदिन 30 से 35 हजार होती है, लेकिन बिहार में पिछले दो दिन में केवल 10 हजार जांच हुई हैं।
मौजूदा समय में देश भर में सबसे अधिक कोरोना का कहर बिहार में है। लेकिन इसको लेकर यहां कोई तैयारी नहीं है। यहां मरीज की देखभाल परिजन ही कर रहे हैं, वही ऑक्सीजन से लेकर इंजेक्शन तक लगा रहे हैं। बार-बार कहा जा रहा है कि यहां डॉक्टर और नर्स की कमी है, लेकिन सरकार व्यवस्था करने में पूरी तरह से फेल हो चुकी है।
सरकार आंकड़ों के साथ खिलवाड़ कर रही है। लोगों को सही आंकड़ा नहीं बताया जा रहा है।
सरकार के कामों से लोगों में भारी निराशा है। बाढ़ और कोरोना के प्रकोप को देखते हुए लोगों के सब्र का बांध टूट रहा है। अगर ऐसा ही चलता रहा तोह बहुत जल्द बिहार कोरोना हॉटस्पॉट कैपिटल बन जाएगा।