ये कैसा लॉकडाउन: ट्रेन चल रही है मगर स्टेशन से घर तक पहुँचने का कोई साधन नहीं मिल रहा
सवाल है कि बिना प्रर्याप्त टेस्ट किये संक्रमण को कम किया जा सकता है क्या?
कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए सरकार ने बिहार में 16 जुलाई से 31 जुलाई तक फिर लॉकडाउन लगा दी है| लॉकडाउन के दौरान सार्वजनिक परिवहन पर भी रोक लगाई गई है मगर बिहार के लिए ट्रेनें चल रही है| यानी आप ट्रेन से बिहार तो आ सकते हैं मगर स्टेशन से घर कैसे पहुचेंगे, इसके लिए आपको खुद व्यवस्था करनी होगी|
सरकार के इस कदम के बाद स्टेशन पर पहुंचे यात्रियों को घर जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्टेशन पर उन्हें टैक्सी या ऑटो नहीं मिल रहा है| हालांकि, लॉकडाउन के प्रावधानों के तहत रेल यात्रियों के लिए ऑटो व टैक्सी के परिचालन पर रोक नही है। फिर भी ऑटो व टैक्सी की भारी कमी के कारण यात्री परेशान हैं।
पूर्व-मध्य रेल के जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) राजेश कुमार ने यात्रियों से अनुरोध किया है कि 16 से 31 जुलाई के दौरान खुद ही स्टेशन से घर तक जाने की व्यवस्था करेंगे, ताकि टैक्सी या ऑटो नहीं मिलने की स्थिति में परेशानी न हो।
वहीं इस फैसले के कारण बेचारे परेसान यात्री भड़के हुए हैं – भड़के एक रेल यात्री ने दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि वे तीन दिन से ट्रेन में थे, उन्हें तो पता ही नहीं था कि फिर लॉकडाउन लागू हो गया है। अब पटना से वैशाली जाने के लिए कोई गाड़ी नहीं मिल रही। उन्होंने कहा कि सरकार को कोई फैसला लेने के पहले सभी पहलुओं पर सोचना चाहिए।
कितना कारगर होगा यह लॉकडाउन?
कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ते ही बिहार सरकार के तैयारियों की पोल खुल गयी| लोगों के सही समय पर टेस्ट और ईलाज नहीं होने के कारण, उनकी जान जा रही है| आम आदमी का हालत तो बेहाल है ही, बड़े सरकारी अधिकारी भी संक्रमित हो चुके हैं| कुछ दिन पहले बिहार सरकार में गृह विभाग के एक अधिकारी का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो एम्स, पटना के बाहर फुटपाथ पर लेटे थे| कोरोना संक्रमित अधिकारी को एम्स में बेड बहुत देर से मिला जिसके चलते उनकी मौत हो गई| ऐसी ख़बरें और विडियो राज्य से हर दिन आ रही है|
सरकार ने लॉकडाउन तो लगा दिया है मगर राज्य टेस्ट के मामले अभी अधिकतर राज्यों से पीछे है| सवाल है कि बिना प्रर्याप्त टेस्ट किये संक्रमण को कम किया जा सकता है क्या?
बीते 5 दिनों की जांच का आंकड़ा देखे तो राज्य स्वास्थ्य समिति के आंकडों के मुताबिक 11 जुलाई को 9108, 12 जुलाई को 9251, 13 जुलाई को 9129, 14 जुलाई को 10018, 15 जुलाई को 10052 सैंपल की जांच हुई| यानी जांच लगातार बढ़ रही है मगर उसकी संख्या ऊंट के मुँह में जीरा सामान है|