बस भेजकर कोटा से अपने बच्चें को वापस ले आई योगी सरकार, लॉकडाउन का दुहाई देते रह गये नीतीश
सीएम गहलोत ने कहा है कि कोटा में छात्रों को संबंधित राज्य सरकार की सहमति पर उनके गृह राज्यों में भेजा जा सकता है
राजस्थान की कोचिंग सिटी कोटा के दो काेरोना हॉटस्पॉट में अब तक 97 लोगों में कोविड-19 संक्रमण फैल चुका है और लॉकडाउन के चलते यहां इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने आए हजारों स्टूडेंटस यहीं अटक गए हैं। कोटा में 35000 कोचिंग स्टूडेंट्स लॉकडाउन के चलते अटके हुए हैं। इनमें सर्वाधिक 7500 स्टूडेंट यूपी और 6500 स्टूडेंट्स बिहार से हैं।
मगर खास बात यह है कि यूपी की योगी सरकार अपने बच्चों के लिए 250 बसों को कोटा भेजकर उन्हें वापस लाना शुरू कर दिया है मगर बिहार की नीतीश सरकार अपने बच्चों को घर लाने के सवाल पर लॉकडाउन टूट जाने का तर्क दे रहे हैं|
राजस्थान और यूपी सरकार ने गुरुवार को यूपी के 7500 छात्रों को अपने घर भेजने का फैसला लिया था। छात्रों के लिए शुक्रवार को 102 बसें झांसी और 150 बसें आगरा से रवाना हुईं। रात में ही छात्र बसों से रवाना हो गए। हालांकि, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह नाइंसाफी है। छात्रों को लेने के लिए बसें भेजने से लॉकडाउन का महत्व ही खत्म हो जाएगा।
इससे पहले भी कोटा प्रशासन ने कई छात्रों को अपने घर लौटने के लिए पास जारी किए थे, लेकिन बिहार सहित दूसरे राज्य उन बच्चों को राज्य की सीमा में दाखिल नहीं होने दे रहे हैं। इसकी वजह से यह प्रक्रिया रोक दी गई थी|
पिछले 24 घंटे में 1 एक स्टूडेंट समेत 12 लोगों को यहां कोरोना की पुष्टि होने के बाद देशभर में अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है। लेकिन कोरोना से जंग के बीच अब कोटा पॉलिटिकल हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। करीब 35 हजार छात्रों की घर वापसी पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच कड़वाहट पैदा हो गई है।
उधर, सीएम गहलोत ने कहा है कि कोटा में छात्रों को संबंधित राज्य सरकार की सहमति पर उनके गृह राज्यों में भेजा जा सकता है। जैसा कि यूपी सरकार ने कोटा में रहने वाले छात्रों को वापस बुलाया है वैसे ही अन्य राज्य भी अपने यहां के छात्रों को बुला सकते हैं।
देश के प्रधानमंत्री के आदेश पर पुरे देश में लॉकडाउन लगाया गया है| कोटा समेत अनेक शहरों में लोग फसे हुए हैं और सभी अपने घर आना चाहते हैं| मगर देखा गया है कि बिहार के देहारी मजदूर हो या कोटा में फसे बिहारी छात्र, जब भी वे बिहार लौटने की बात करते हैं तो उन्हें लॉकडाउन की दुहाई दी जाती है मगर अन्य राज्यों के लोगों को बसों से घर पहुँचाया जा रहा है| लॉकडाउन के नाम पर यह बिहारियों के साथ नाइंसाफी है|