बिहार के बेटे को मिला न्याय, प्रधानमंत्री के हेलिकॉप्टर की तलाशी लेने वाले अधिकारी का निलंबन रद्द
जब-जब बिहारियों के साथ अन्याय होगा, Aapna Bihar जरूर बोलेगा। आप हमारा मुँह बंद नहीं कर सकते। यह सिर्फ मेरी नहीं, १० करोड़ बिहारियों की आवाज है। यही कारण है कि एक बिहारी अफसर को गलत तरीके से निलम्बित किया गया तो हम खुलकर उसका विरोध कियें| आख़िरकार हमारा प्रयास सफल रहा| बिहार के बेटे को न्याय मिला और एक बार फिर जीत सच की हुई|
पीएम मोदी के हेलीकॉप्टर की जांच करने वाले आईएएस अधिकारी मोहम्मद मोहसिन का निलंबन रद्द कर दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चुनाव आयोग ने मोहम्मद मोहसिन को फिर से बहाल कर दिया है।
जानकारी मिली है कि उनका तबादला कर दिया गया है। उन्हें ओडिशा से वापस कर्नाटक भेजा गया है। वो कर्नाटक के सीईओ के साथ अटैच किए गए है। इसके साथ ही उनकी निलंबन स्वतः ख़त्म हो गयी|
कर्नाटक कॉडर के आईएएस अधिकारी मोहसिन ओडिशा में निर्वाचन आयोग की निगरानी के तहत एक जनरल ऑब्जर्वर के रूप में तैनात थे| मोहसिन की कार्रवाईयों के कारण पीएम मोदी को करीब 15 मिनट तक वहां रूकना पड़ा था| जिसके बाद जिला कलेक्टर और पुलिस महानिदेशक की रिपोर्ट के आधार पर चुनाव आयोग ने संबलपुर के पर्यवेक्षक मोहसिन को निलंबित कर दिया था| इस निलंबन के पीछे चुनाव आयोग ने जो तर्क दिए, उसमे खुद घिर गयी थी और चारो तरफ चुनाव आयोग के इस कदम की आलोचना हो रही थी|
पीएम मोदी यहां संबलपुर और भुवनेश्वर में दो चुनावी रैलियों को संबोधित करने आए थे| उधर, मोहसिन के खिलाफ आयोग की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा था कि जिन नियमों का हवाला देते हुए उसने नौकरशाह को दंडित किया है उसके तहत प्रधानमंत्री के वाहन को जांच से छूट नहीं है|
बिहार के रहने वालें हैं मोहसिन 1969 में जन्में मोहम्मद मोहसिन बिहार की राजधानी पटना सिटी के काजी बेगम कॉलनी में रहता है इनके पिता स्कूटर मैकेनिक थे। 1996 में आईएएस अधिकारी बने। बिहार के मूल निवासी और कर्नाटक कैडर के इस आईएएस के ईमानदारी और उनके उसूलों की चर्चा पूरे साउथ में होती रही है। कहा जाता है वे एक कार्य भी गलत होने नहीं देते हैं।
एक बार फिर साबित हो गया कि झूठ को कितना बार भी बोलिए झूठ ही होता है| एक जाबाज़ बिहारी आइएएस अधिकारी जो अपनी ड्यूटी करते हुए नियम के मुताबिक प्रधानमंत्री का हेलिकॉप्टर की तलाशी करने का सहास दिखता है| उसको प्रोत्साहित करने के बजाए उसको निलम्बित कर दिया जाता है और झूठा नियम और प्रोटोकॉल का तर्क दिया जाता है| Aapna Bihar बिहारी अस्मिता का ध्वज वाहक रहा है, इसलिए हमारी जिम्मेदारी थी कि इस बिहारी पर हो रहे अन्याय का विरोध करूँ| मगर कुछ लोग मानने को तैयार नहीं कि गलत हुआ है| एक बार फिर हमारी जीत हुई| हम बिहार और बिहारी के हक की लड़ाई लड़ते हैं और लड़ते रहेंगे|
जय बिहार!