पंकज त्रिपाठी: एक वेटर की नौकरी से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिलने तक का सफर
हुनर की कोई किमत नहीं होती और अपने हुनर के दाम पे किस्मत बदला जा सकता है| यह कहावत हम सब बचपन से सुनते है| मगर बिहार के लाल और मशहूर फिल्म अभिनेता पंकज त्रिपाठी का जीवन उसका एक अद्भुत उदाहरण है| कभी पटना के मोर्या होटल में एक वेटर की नौकरी करने वाले पंकज त्रिपाठी को उसके दमदार अभिनय के लिए हाल ही में उनको राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है|
पंकज त्रिपाठी बिहार क गोपालगंज जिले के रहने वाले हैं और अपनी जमीन, गांव, परिवार व घर से गहरे जुड़े हैं| गैंग्स ऑफ वासेपुर एवं मसान जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुके पंकज त्रिपाठी अपनी माटी व गांव को दिल में बसाये हुए हैं| सोशल मीडिया पर उनके शेयर फोटो बताते हैं कि उनक घर व परिवार बेहद सामान्य है और आम आदमी की तरह वे लोग जीवन जीते हैं|
यह सम्मान मिलने के बाद पंकज त्रिपाठी ने कहा,
यह अवार्ड बिहार और उत्तरप्रदेश के उन युवाओं को समर्पित है जो अभाव में भी जीकर अपना एक बेहतर मुकाम बनाते हैं। बिहार और यूपी के लोग जीवन भर संघर्ष करने के आदी हैं और इसी संघर्ष में वे अपने जीवन का अक्स देखते हैं। सपना बुनते हैं और अपने सपने को साकार करने के लिए हाड़-तोड़ परिश्रम करते हैं। उनके परिश्रम का फल जब उन्हें मिलता है तो उनकी खुशी और उत्साह दोगुना हो जाता है। फिलहाल मैं उसी पल को जी रहा है। आप से कमिटमेंट करते हैं कि आगे भी मैं बढ़िया ही काम कर करूंगा।
पंकज की मैट्रिक तक की पढ़ाई गांव में ही हुई थी। उन्होंने पटना से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की। लेकिन उनके भीतर छुपा हुआ कलाकार कुछ और करना चाहता था। काफी मेहनत के बाद उनका चयन नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के लिए हुआ। इसके बाद फिर पंकज त्रिपाठी ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिलने के बाद पटना में एक कार्यक्रम में बोलते हुए पंकज त्रिपाठी भावुक हो गये| आँखों में छलकते आंसू के साथ उन्होंने कहा,
‘हम तो भाई इसी होटल में काम करते थे। पिछली गेट से आते थे और आठ घंटे की नौकरी करके चले जाते थे। जब पता चला कि जागरण की ओर से सम्मान होगा, और होटल मौर्या में होगा तो धन्य हो गए।’
आदमी जब अपनों के बीच होता है..तो जुबान खुद-ब-खुद अपनी हो जाती है। पंकज त्रिपाठी के साथ भी ऐसा ही हुआ। बोलते-बोलते भोजपुरी बोलने लगे। कहा- ‘पिछले 15 साल से हम बिहार से बाहर बानी..मगर बिहार हमर अंदर से नाहि निकलल..’ तालियां बजीं तो पंकज ने खुद को टोका- ‘अरे, यार हम भोजपुरी में काहे बोल रहे हैं।’
बिहार गौरव पुरस्कार से भी हुए सम्मानित
– पंकज त्रिपाठी को 22 मार्च को बिहार दिवस के मौके पर महाराष्ट्र में आयोजित बिहार गौरव पुरस्कार दिया गया।
– यह पुरस्कार महाराष्ट्र के मुख्य मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यह पुरस्कार दिया।
पंकज ने बॉलीवुड को कई हिट फिल्में दिए
– 2004 में फिल्म रन के साथ अभिनय की शुरूआत करने वाले पंकज त्रिपाठी ने कड़े संघर्षों से बॉलीवुड फिल्मों में अपनी अगल पहचान बनाई है।
– पंकज 40 से ज्यादा फिल्म और करीब 60 टेलीविजन सीरियल में काम कर चुके हैं। वर्ष 2012 में बनी फिल्म अग्निपथ में छोटी सी भूमिका निभा कर बालीवुड में अपने अभिनय धाक जमाई।
– इसी साल बनी फिल्म गैंग आफ बासेपुर में मुख्य अभिनय कर हिन्दी सिनेमा में अपनी धाक जमाई। फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एक-एक कर हिन्दी सिनेमा को सुपर हिट फिल्में देते गए।
– गांव से लगाव रखने वाले इस सिने अभिनेता के मशहूर फिल्मों में फकरे, मशान,रन,गैंग ऑफ बासेपुर, ओंमकारा, गुंडे, मंजिल, ग्लोबल बाबा, निल बट्टा सन्नाटा, धर्म, मांझी द माउन्टेन मैन सहित दर्जनों सुपर हिट फिल्म शामिल है।