Lockdown in Bihar: लॉकडाउन के नियम गांवों और शहरों के लिए अलग – अलग होने चाहिए
कोई साहब लोगों को बताए कि ठेला पर घूम के सब्जी शहरों में बेची जाती है। गांव में लोग सब्जी खरीदने के लिए पेठिया या बाजार जाते हैं.
शीर्ष स्तर पर नीति निर्माण में अहम भूमिका रखने वाले साहब लोगों को गांव और शहर के बीच का फर्क समझना चाहिए। बिहार में अधिकतर आबादी गांवों में रहती है मगर लॉकडाउन का दिशा – निर्देश शहरों को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है और जबरदस्ती ग्रामीण क्षेत्रों में भी उसे धोपा जा रहा है।
गांव की पूरी अर्थव्यवस्था कृषि आधारित होती है। हालांकि लॉकडाउन के दिशा – निर्देश में कृषि और इस से जुड़े कार्यों के लिए छूट दी गई है। मगर सरकार को यह समझना होगा कि कोई भी किसान खेती इसलिए करता है कि वह अपने फसल को बेच दो पैसा कमा पायेगा। कृषि कार्य करने की छूट दे दी गई है मगर गांव के आस पास लगने वाले साप्ताहिक बाजारों को पुलिस द्वारा बंद करवा दी जा रही है।
दिशा – निर्देश में लिखा है कि ठेला पर घूम – घूम के सब्जी बेचने की छूट है।
कोई साहब लोगों को बताए कि ठेला पर घूम के सब्जी शहरों में बेची जाती है। गांव में लोग सब्जी खरीदने के लिए पेठिया या बाजार जाते हैं।
अचानक से गांव में सब्जी बेचने की व्यवस्था नहीं बदली जा सकती है और हरी सब्जी को समय पर नहीं बेचा गया तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
सरकार के इस बेतुके रवैया के कारण लोगों में इतना गुस्सा है कि वे इस व्यवस्था के खिलाफ बागी रुख भी अपनाने से पीछे नहीं हट रहे। इसका एक उदाहरण दिखा मुजफ्फरपुर जिले के औराई में, जहां सोमवार को स्थानीय बाज़ार बंद करवाने गए पुलिस पर किसानों ने ईट, पत्थर, आलू और टमाटर से हमला बोल दिया। पुलिस को हालात संभालने के लिए हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी।
किसानों का कहना है कि हमलोग काफी खर्च कर सब्जी उगाए हैं। 4 बजे के बाद ही ग्राहक बाजार में पहुंचते हैं। आप लोग रोज बाजार के समय में ही आकर बंद करते हैं।
सरकार के बेतुके फैसलों के कारण किसानों के सब्जी बिक नहीं रही, वे बदहाली के कगार पे हैं। सरकार को समझना होगा कि जब जनता के सामने अपने वजूद का सवाल आयेगा तो वे सरकार के दिशा – निर्देश के खिलाफ भी जा सकते हैं!
सरकार को गांव और शहरों के हालात का अलग – अलग तरह से आकलन करके दिशा – निर्देश जारी करना चाहिए। खासकर गांव में लगने वाले साप्ताहिक बाजारों को भी कृषि कार्यों वाले छूट में सामिल करना चाहिए और प्रशासन को स्पष्ट निर्देश देना चाहिए कि किसानों को वे परेशान न करें। बाजार को पूरी तरह बंद करवाने के जगह प्रशासन को बाजार में सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य कोरोना नियम कैसे पालन करवाया जाए, इसपर काम करना चाहिए।
– अविनाश कुमार (संपादक, अपना बिहार)