महिला का दुपट्टा खींचा जा रहा है, लोग मर रहे हैं और ‘धृतराष्ट्र’ अपने विरोधियों पर जुल्म ढा रहें
एक दिन नीतीश बाबू के इज़ाजत के बिना कही सांस लेना भी जुर्म न हो जाए!
भागलपुर में ईलाज के लिए गई महिला ने जब हॉस्पिटल में मदद मांगी तो उसका दुपट्टा खींचा जा रहा था, पति के मौत के बाद बेचारी पीड़िता मिडिया के कैमरों के सामने चीख – चीख कर अपनी आपबीती सुना रही थी। उस विडियो को सबने देखा मगर वह ‘धृतराष्ट्र शासक’ नीतीश कुमार को नहीं दिखा।
हॉस्पिटल है तो डॉक्टर नहीं, एंबुलेंस है तो ड्राईवर नहीं और वेंटीलेटर है तो उसे चलाने वाला नहीं है। लोगों में हाहाकार है, हर रोज मेरे जैसे छोटे प्लेटफॉर्म को चलाने वाले के पास भी दर्जनों मदद की गुहार आती है। कोई ऑक्सीजन के बिना मर रहा है तो किसी को समय पर दबाई और बेड नहीं मिल रहा है। एक आम इंसान होने के बाद भी जब उनको कोई मदद नहीं कर पाते हैं तो दिल बैठ जाता है और बेचैनी से रात को नींद नहीं आती है।
मगर जिस नीतीश कुमार को जनता ने अपना रहनुमा चुना था, जिसकी ज़िम्मेदारी बनती है लोगों के मदद करने की, वह आंखों पर पट्टी बांधकर धृतराष्ट्र की तरह अंधे हो चूके हैं –
जिनके सभा में औरतों की आबरू लूटने की कोशिश हो रही है। लोग तड़प – तड़प के मर रहे हैं और गरीबों पर जुल्म हो रहे हैं। मगर सभा में वे मौन तमाशा देख रहे हैं।
क्या नीतीश कुमार की नैतिकता के साथ मानवता की भी मौत हो चुकी है?
भागलपुर में उस महिला के साथ जिसने छेड़खानी की, जिस हॉस्पिटल के लापरवाही के कारण उसकी पति की जान चली गई, उसपर करवाई करने के लिए बिहार पुलिस ने कोई तत्परता नहीं दिखाई। मगर लोगों के मदद में लगे और सरकार के नाकमियों को उजागर कर रहे पप्पू यादव को लॉकडाउन तोड़ने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया।
उस मामले में बेल मिलने वाली थी। उसके बाद पुलिस ने 32 साल पुराने मामले में फिर उनको गिरफ्तार कर लिया गया। और अब खबर आ रही है कि पप्पू यादव द्वारा गरीबों को खाना खिलाने के लिए चलाए जा रहे पप्पू रसोई को भी सरकार ने बंद करवा दिया है। सरकार ने कहा है कि रसोई चलाने के लिए पुलिस की इजाज़त लेनी होगी।
वाह! जरा क्रोनोलॉजी को समझिए और नीतीश सरकार के नियत को जानिए। नीतीश कुमार का रवैया एक तानाशाह से कम नहीं है।
पहले भी अपनी आलोचना पर भड़कते रहे हैं, शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को लाठी के बल पर कुचलते रहे हैं और सोशल मिडिया पर सरकार के निंदा पर जेल भेजने की धमकी देते रहे हैं।
अब लगता है उनके राज में समाज सेवा करना भी जुर्म है। लोगों को खाना खिलाने के लिए भी साहब से इज़ाजत लेना होगा। अस्पताल में डॉक्टर नहीं है, मगर हो सकता है टेलीमेडिसीन की सेवा देने के लिए अपना बिहार पर पाबंदी लगाई जा सकती है। एक दिन नीतीश बाबू के इज़ाजत के बिना कही सांस लेना भी जुर्म न हो जाए!
– अविनाश कुमार (एडीटर, अपना बिहार)