2158 Views

विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के ‘व्याकुलता’ से क्यों परेसान हैं बिहार सरकार के मंत्री?

अध्यक्ष ने सारे मंत्री से आग्रह किया है कि विधायक जो सवाल सदन के पटल पर रखते हैं उनका जवाब विभाग से समय मिल जाना चाहिए

बिहार विधानसभा में कल जो कुछ भी हुआ वो होना तय था, क्योंकि सरकार विधानसभा अध्यक्ष के कार्यशैली से नाराज है। वजह अध्यक्ष ने सत्र के दौरान सारे मंत्री से आग्रह किया था कि विधायक जो सवाल सदन के पटल पर रखते हैं उनका जवाब विभाग से समय मिल जाना चाहिए ।

विवाद की वजह यही है, मैं 2009 से बिहार विधानसभा की कार्यवाही को कवर करते आ रहा हूं बिहार सरकार को कोई भी मंत्री विधायक के सवालों को लेकर कभी गंभीर नहीं दिखे और मंत्री के इस रवैये पर अध्यक्ष ने भी कभी नाराजगी व्यक्त नहीं किया ।
इस बार स्थिति थोड़ी बदली बदली है विपक्ष सदन में हंगामा करने के बजाय सवालों के सहारे सरकार को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है ,वही सदन ठीक से चले इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष विधायकों के सवालों का शत प्रतिशत जवाब आये इसके लिए मंत्री पर इन दिनों वो तल्ख टिप्पणी करने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं ।

मंत्री सम्राट चौधरी के गुस्सा होने की वजह यही है उनके विभाग से जुड़ा 16 सवाल विधायकों ने किया था लेकिन विभाग मात्र 11 सवालों का ही जबाव दिया था, अध्यक्ष विभाग के इसी रवैये को लेकर मंत्री को हिदायत दिया था कि विभाग के अधिकारियों को कहे शतप्रतिशत सवालों का जबाव दे इसी बात को लेकर मंत्री गुस्से में आ गये।

हालांकि मंत्री के इस व्यवहार को भी जातिगत रंग देने की पूरी कोशिश हुई साथ ही विधानसभा अध्यक्ष के कार्यशैली को लेकर भी सवाल खड़े किये जाने लगे कि मंत्री से सदन में इस तरह से व्यवहार नहीं करनी चाहिए ।

विधायक के सवालों को लेकर इस सत्र के दौरान बिहार सरकार के सबसे सीनियर मंत्री विजेंद्र यादव, उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को भी विभाग की ओर से विधायक के सवाल का जवाब नहीं आने पर अध्यक्ष ने मंत्री को फटकार लगा दिये थे । इतना ही नहीं कई बार अध्यक्ष के आदेश की वजह से सरकार को सदन में परेशानी हो रही थी । इसको लेकर सरकार परेशान थी|

अध्यक्ष के इस रवैये को लेकर जानकार कह रहे थे कि बीजेपी विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा का अध्यक्ष इसलिए बनाया है कि ताकि नीतीश कुमार को परेशानी हो सके । लेकिन मामला उल्टा पड़ गया बीजेपी कोटे से मंत्री ही अध्यक्ष पर भड़क गये खैर दो घंटे के हाईवोल्टेज ड्रामा के बाद मंत्री और सरकार को अध्यक्ष से माफी मांगनी पड़ी।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अध्यक्ष की जिम्मेवारी क्या है सरकार के अयोग्य अधिकारी को बचाना या फिर विधायक के सवालों के साथ खड़ा रहना है?

क्योंकि विधायक अपने क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं को लेकर कहां आवाज उठाएगा क्यों कि उनके पास विधानसभा ही एकमात्र फोरम है जहां वो सवालों के सहारे अधिकारियों पर काम करने को लेकर दबाव बना सकते हैं लेकिन सरकार इससे बचना चाहती है और यही टकराव की वजह है।

हालांकि विधानसभा अध्यक्ष के इस स्टैंड से अधिकांश विधायक खुश हैं जो सवालों के सहारे अपने क्षेत्र का विकास चाहते हैं, और यही वजह है कि मैं पहली बार देख रहा हूं कि मुख्य सचिवालय से लेकर प्रखंड स्तर तक और पुलिस मुख्यालय से लेकर थाना स्तर तक देर रात तक विधानसभा के सवालों का जवाब तैयार करने में अधिकारी लगा हुआ है।

इतना ही नहीं मंत्री भी देर शाम तक अपने दफ्तर में बैठ कर सवालों के बारे में जानकारी लेते रहते हैं साथ ही जवाब में मंत्री जी फंसे नहीं इसके लिए अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया गया है कि सवालों का स्पष्ट जवाब दे ।

साथ ही जिस अधिकारी के जवाब में स्पष्टता नहीं रहेगी वो अधिकारी नपेंगे ये खौफ वर्षो बाद अधिकारियों में देखा जा रहा है औऱ यही वजह है कि सारा विभाग ऊपर से नीचे तक एलर्ट मुद्रा में है कि कही कार्रवाई ना हो जाये ।

ये स्थिति तो लोकतंत्र के सेहत के लिए अच्छा ही है ना भले ही अध्यक्ष का आवाज मधुर हो या ना हो क्यों कि सदन के सवालों के सहारे ही विपंक्ष सरकार पर पांच वर्षो तक लगाम लगा कर रखता है ।उसका हथियार सवाल ही हा ना स्थिति तो यह हो गयी है कि सरकार से ज्यादा तल्ख सवाल सत्ता पक्ष के विधायक करने लगे हैं ।

Search Article

Your Emotions