पल दो पल का शायर हूं मैं, पल दो पल मेरी कहानी है- अलविदा- ए- धौनी
जब भी गेम आखिरी ओवर में फसेगा तब कोई नहीं होगा तस्सली के लिए कि माही है ना..
स्वतंत्रता दिवस की शाम थी, जब पूरा देश आजादी दिवस मना रहा था तभी 7:29 मिनट पर करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को एक झटका सा लगा। जी हां यह वो वक़्त था जब माही अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके थे। इंस्टाग्राम के रील वीडियो के जरिए उन्होंने दुनिया को बताया कि अब वह नीली जर्सी में नहीं दिखेंगे। करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को यह समझ नहीं आ रहा था इस न्यूज पर खुश हो या उदास। सोशल मीडिया मिश्रित भावनाओं से सराबोर था। एक तरफ उनके करोड़ों फैन्स उनके बेहतरीन क्रिकेट यात्रा को सेलिब्रट कर रहे थे तो एक तरफ सभी की आंखे भी नम थी कि धौनी अब कभी भी नीली जर्सी में नहीं दिखेंगे।
जब भी गेम आखिरी ओवर में फसेगा तब कोई नहीं होगा तस्सली के लिए कि माही है ना। कई लोगों के लिए क्रिकेट का महत्व तभी तक था जब तक महेंद्र सिंह धौनी क्रिकेट में थे।
माही के अलविदा कहते ही सोशल मीडिया पर#dhoniretires ट्रेंड करने लगा। फिल्म जगत से लेकर राजनीति जगत तक उनके कारनामों को याद किया और यह पल सबसे ज्यादा भावुक था खेल जगत के लिए जहां भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भावुक होते यह लिखा कि दुनिया ने कारनामे देखे है लेकिन उन्होंने इंसान देखा है। धौनी का व्यक्तिव शब्दों से परे है, वह एक बेहतरीन बल्लेबाज, सर्वश्रेष्ठ कप्तान, सर्वश्रेष्ठ विकेट कीपर के साथ साथ धैर्य एवम् शालीनता के भी प्रतीक हैं। धोनी सिर्फ क्रिकेट जगत के लिए ही प्रेरणादायक नहीं है। धोनी का व्यक्तिव एक बेहतर जीवन जीने में भी सहायक है। उन्होंने अपने स्वभाव से दुनिया को धैर्य और शालीनता का पाठ पढ़ाया। उनके शांत स्वभाव के मुरीद पूरा विश्व है नतीजन उन्हें कैप्टन कूल भी कहा जाता है।
वैसे तो धौनी को ले कर बिहार और झारखंड में लड़ाई होते रहती हैं कुछ बिहार के लोग उन्हें बिहार का बताते हैं और झारखंड के लोग बोलते है कि जब धौनी खेलना शुरू किया है तब झारखंड बिहार से अलग हो चुका था। पर धोनी सिर्फ एक राज्य का हिस्सा ना हो कर पूरे देश के सपूत बने।
उनके कप्तानी के अलविदा कहने के बावजूद भी लोग उन्हें ही कैप्टन मानते रहे, यहां तक कि वर्तमान कप्तान विराट कोहली आज तक उन्हें अपना कप्तान मानते हैं।
आज उनके सम्मान में शब्द कम पड़ रहे हैं। धोनी ने हर छोटे शहरों के लोगों को सपना देखना सिखाया और जिंदगी में रिस्क लेना सिखाया। धोनी ने पूरे देश को हर समय गौरवान्वित महसूस कराया। 3-3 विश्व कप जीत कर उन्होंने दुनिया को यह बताया कि अरमानों को कैसे पूरा करते हैं। उन्होंने अपने क्रिकेटिंग कैरियर में भारतीय क्रिकेट को वह सब कुछ दिया जो भारतीय क्रिकेट को चाहिए था। उनका अलविदा कहना भारतीय क्रिकेट में एक रिक्त स्थान पैदा कर दिया है क्यूंकि यह बहुत ही मुश्किल है कि एक विकेट कीपर, एक बल्लेबाज और एक कप्तान किसी एक व्यक्ति में मिलना।
भावनाओं का अभी उधेड़- बुन चल ही रहा था कि एक और क्रिकेटर सुरेश रैना ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया। रैना धोनी दौर के एक बेहतरीन बल्लेबाज थे जिन्होंने हर फॉरमेट में शतक बनाए। रैना ने इस कथन को सत्य कर दिखाया – follow your captain।
धौनी की यात्रा को याद कर आंखे और नम हो जाती हैं जब यह हम जानते है कि जिन्होंने धोनी का दूसरा भाग दिखाया एक फिल्म के जरिए वह अब इस दुनिया में नहीं है। काश सुशांत सिंह राजपूत आज जीवित रहते और धोनी के शानदार यात्रा को हम सभी के साथ सेलिब्रेट करते।
बहरहाल, धौनी विश्व के सर्वश्रेष्ठ कप्तान थे, और उनकी ख्याति को अचानक से भूल जाना असंभव है। उनके सजदे में यह सर हमेशा झुका है और आगे भी झुकेगा।
एक नज़र धौनी के क्रिकेट करियर पर
वैसे तो धौनी के जितना क्रिकेटिंग करियर शायद ही किसी क्रिकेटर का रहा होगा और इतना बेहतरीन करियर किसी और खिलाड़ी को प्राप्त हो यह उसके लिए सौभाग्य की बात होगी।
महेंद्र सिंह धौनी ने अपने करियर की शुरूआत भी रन आउट से कि थी और अंत भी रन आउट से ही किया।
उनके करियर का सबसे महत्वपूर्ण कप 2007 T-20 वर्ल्ड कप, 2011 वन डे World Cup एवम् 2013 चैंपियंस ट्राफी है। यह कीर्तिमान विश्व का अभी तक कोई कप्तान स्थापित नहीं कर पाया है।
उनकी कुछ महत्पूर्ण पारिया जो कि हमारे दिलो में हमेशा रहेगी और जिन्होंने धौनी को विश्व का बेस्ट फिनिशर बनाया, जिनमे से एक है 2011 विश्व कप का फाइनल मैच जिसमें धौनी नंबर चार पर उतार कर 91 रन की नाबाद पारी खेलकर भारत को दूसरी बार विश्व कप जीताया था।
2006 में धौनी ने पाकिस्तान के खिलाफ 72 रन नाबाद पारी खेल कर टीम को जीत दिलाई थी। वैसे ही 2013 में धौनी ने 44 रन की नाबाद पारी खेल कर चौथा वन डे में भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ जीत दिलाई थी। उनकी करियर के शुरुवाती दौर में सन् 2005 में 183 रन श्रीलंका के खिलाफ बना कर अपने करियर का सबसे बड़ी पारी खेलने थी। कमाल की बात यह है कि यह सारे पारियां माही ने तब खेली थी जब भारतीय टीम बुरी तरह लड़खड़ा जाती थी। धौनी हमेशा नंबर 4 के बाद ही बैटिंग करने आते थे लेकिन तभी टीम को जीता कर ही जाते थे।
उनके कारनामों कि लिस्ट बहुत लंबी है, इतना शातिर विकेट कीपर शायद ही विश्व ने देखा होगा। पल भर में मैदान में जब गिल्लियां बिखर जाती थी यह बल्लेबाज के समझ के पार था।
धौनी ने टीम को सर्वोत्तम माना है और उन्होंने हमेशा खुद से पहली टीम के बारे में ही सोचा है, उनका रिटायरमेंट वीडियो भी उनके बारे में कम उनके टीम के बारे में ज्यादा था।
अपने पुराने मीडिया इंटरव्यू में धौनी ने इस बात का खुलासा किया था कि वह कभी भी नहीं चाहते थे कि उन्हें शतक मारने का मौका मिले क्योंकि वह अंत में बैटिंग करने आते थे यदि उन्हें शतक मारना पड़े तो जाहिर सी बात है कि उनकी टीम अच्छा प्रदर्शन नहीं की है जो वो बिल्कुल भी नहीं चाहते थे।
किसी भी कप को लेने का अधिकार सिर्फ कैप्टन को ना हो कर पूरे टीम का होना चाहिए, इसलिए हम हमेशा माही को पाते थे कि विनिंग कप हमेशा वो टीम के यंग प्लयेर को देकर खुद पीछे हट जाते थे। उनका टीम स्पिरिट अतुल्य है।
वह हमेशा कहते थे कि लोग उन्हें क्रिकेटर के तौर पर नहीं एक अच्छे इंसान के तौर पर जाने, आज धौनी को हम क्रिकेटर के साथ साथ एक अच्छे इन्सान के तौर पर भी जानते है। उनके बारे में जितना लिखा जाए उतना कम होगा बस हम साभी यही उम्मीद करते हैं कि माही हमें फिर से मेंटर और कोच के तौर पर नजर आए।
We miss you Mahiya।
– ऋतु