जानिए बिहार में कोरोना संक्रमण का चैन कहाँ से शुरू हुआ?
बिहार में सबसे पहले 22 मार्च 2020 को मुंगेर के 38 वर्षीय शख्स में कोरोना की पुष्टि की गई। जानकारी के अनुसार वह शख्स कुछ दिनों पहले ही क़तर की यात्रा से वापिस लौटा था।
दुनिया भर में कोरोना वायरस के कहर से मरने वालों की संख्या 5 लाख को पार कर गई हैं। भारत में अभी तक 566,840 कोरोना के मामले दर्ज किये जा चुके हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद देश में कोरोना वायरस का संक्रमण रुकने का नाम नहीं ले रहा है। देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 18,522 नए मामले सामने आए हैं। भारत के अन्य राज्यों की तरह ही बिहार में भी कोरोना वायरस महामारी अपनी चरण सिमा पर है।
बिहार में कोरोना वायरस की चैन
बिहार में सबसे पहले 22 मार्च 2020 को मुंगेर के 38 वर्षीय शख्स में कोरोना की पुष्टि की गई। जानकारी के अनुसार वह शख्स कुछ दिनों पहले ही क़तर की यात्रा से वापिस लौटा था। इसके बाद पटना एम्स में ही अनीसाबाद की एक महिला को कोरोना की पुष्टि हुई। तीसरा नंबर स्कॉटलैंड के एक युवक का था । चौथी रिपोर्ट भी एनएमसीएच से ही पॉजिटिव आई। पांचवे और छठे नंबर पर मुंगेर के पीड़ित के परिवार से ही दो लोगों (जिनमें एक महिला और एक बच्चा है) की पॉजिटिव रिपोर्ट आई।
इसको देखते हुए राज्ये सरकार ने 25 मार्च से हे राज्य में लॉकडाउन जारी कर दिए था। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 29 जून 2020 तक कुल 9,506 मामलों की पुष्टि की है। राज्ये के 38 जिलों में वायरस फैल चूका है, जिसमे से पटना में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। 22 मार्च से 22 अप्रैल तक बिहार में 100 नए मामले सामने आए। बिहार में कोरोना वायरस के मामलो की संख्या बढ़ने का कारण प्रवासी मजदुर और बिहार के कई लोग की अन्य राज्यों से वापसी है।
मृत्यु दर अन्य राज्यों से कम
अच्छी खबर यह है कि भारत में कोरोना मृत्यु दर दुनिया में सबसे कम है। बिहार में कोरोना के कारण सिर्फ 63 लोगो की मौत हुई है। राज्ये का कुल मृत्यु दर अन्य राज्ये जैसे दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात से कम हैं। बिहार में कुल 9,506 मामले दर्ज हुए है, जिनमें से 7,374 लोग ठीक हो चुके है।
सरकार ने क्या-क्या कदम उठाये
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 22 मार्च को नीतीश सरकार ने 31 मार्च तक पहला लॉकडाउन जारी किया। जिसमे सिर्फ आवश्यक व् अनिवार्य सेवाओं की अनुमति दी गई।
प्रवासियों के लिए सरकार ने बनवाए क्वारंटाइन सेंटर
मार्च के अंत में जब प्रवासियों ने बिहार लौटने शुरू किया, तब राज्ये सरकार ने संगरोध की तीन परतें बनाईं। पहली श्रेणी स्तर स्रोत, दूसरी पंचायत और तीसरी गांव। सरकार ने प्रवासियों का 14 दिन तक क्वारंटाइन सेंटर में रहना अनिवार्य किया। लेकिन कुछ दिनों बाद सरकार ने रणनीति बदली और 15 जून को सभी सेंटर बंद करवा दिए। और प्रवासियों को होम क्वारंटाइन के लिए भेज दिया गया।
गरीब कल्याण रोजगार योजना
20 जून 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने गरीब कल्याण रोजगार योजना लॉन्च की। मजदूरों और ग्रामीण श्रमिकों को रोजगार देने के मकसद से यह योजना शुरू की गयी। और कहा गया की इस योजना में बिहार के 32 जिलों को फयदा होगा। योजना के तहत, मिशन मोड के तहत 25 विभिन्न प्रकार के कार्य प्रदान किए जाएंगे। इस योजना में 12 विभिन्न केंद्र सरकार के मंत्रालय और विभाग – ग्रामीण विकास, पंचायती राज, सड़क परिवहन और राजमार्ग, खान, पेयजल और स्वच्छता, पर्यावरण, रेलवे, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, नई और नवीकरणीय ऊर्जा, सीमा सड़कें, दूरसंचार और कृषि शामिल होंगे।
अनलॉक 1 के लिए बनये गए नए नियम
केंद्र सरकार द्वारा अनलॉक-1 के तहत दी गई छूट के मुताबिक मंदिर-मस्जिद व अन्य धर्मस्थलों खोल दिये गए। इसके अलावा होटल-रेस्तरां और मॉल भी खुल गए। केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के तहत बिहार सरकार ने अनलॉक-1 के प्रथम चरण में इन गतिविधियों की इजाजत दी। इस दौरान कोरोना से बचाव के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा -निर्देश का पूर्णत: पालन करने को कहा गया।
कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण मजदूरों को हुई परेशानी
अन्य राज्यों में फसे मजदूरों के लिए सरकार ने 2 मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेन से मजदूरों को वापिस बुलाने का फैसला लिया। साथ ही साथ सरकार भी किया की प्रवासी मजदूरों को बिहार में ही रोजगार मिलेगा उन्हें कही और जाने की ज़रूरत नहीं। लेकिन सरकार के दावे पर भरोसा न करते हुए मजदूरों को कोरोना संक्रमण के बिच काम ढूढ़ने के लिए अन्य राज्यों में लौटना पढ़ा।