जम्मू-कश्मीर के पहले गैर-कश्मीरी नागरिक बने बिहार के आईएएस अधिकारी नवीन चौधरी
जम्मू-कश्मीर सरकार के कृषि विभाग में कमिश्नर सेक्रेटरी पद पर तैनात नवीन चौधरी मूल रूप से बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं
अगर जब भी बात होती है कि सरकारी नौकरी में आखिर किस राज्य के लोग ज्यादा है तो उसमें सबसे पहले नाम बिहार का ही आता है, चाहे वो सरकारी नौकरी में, कोई भी नौकरी हो, चाहे आईएस, आईपीएस, डीएम, एसडीएम सबसे पहले आता है, ये कोई नई बात नही है बल्की इससे पहले से ही बिहार के लोग हर जगह अपनी कदम जमाए हुए है, आज फिर बिहार के आईएएस ऑफिसर ने अपना नाम इतिहास में दर्ज कराया है, वो है आईएएस (IAS) अधिकरी नवीन कुमार चौधरी, खबर ये है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार बिहार के नवीन कुमार कश्मीर के निवासी बने है, राज्य में पहली बार किसी दूसरे राज्य के व्यक्ति को निवास प्रमाण पत्र मिला है ।
जम्मू-कश्मीर सरकार के कृषि विभाग में कमिश्नर सेक्रेटरी पद पर तैनात नवीन चौधरी मूल रूप से बिहार के दरभंगा जिले के रहने वाले हैं। पूर्व में उन्होंने जम्मू के बाहू तहसीलदार कार्यालय में डोमिसाइल सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई किया था। इस आवेदन के बाद गुरुवार को बाहू तहसील के तहसीलदार रोहित शर्मा ने नवीन को डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी किया। उनको डोमिसाइल सर्टिफिकेट देते हुए तहसीलदार ने कहा कि कहा नवीन कुमार चौधरी जोकि देवकांत चौधरी के पुत्र हैं, वर्तमान समय में जम्मू के गांधी नगर के निवासी हैं, उन्हें यह सर्टिफिकेट दिया जाता है। नवीन कुमार डोमिसाइल सर्टिफिकेट पाने वाले पहले आईएएस अधिकारी हैं।
दरभंगा के हायाघाट प्रखण्ड के मझौलिया गांव रहने वाले नवीन कुमार चौधरी के पिता का नाम श्री देवकांत चौधरी और मां का नाम वैदेही देवी है, उनके चार भाई और एक बहन है, 1994 बैच के यूपीएससी परीक्षा में उन्हें 6ठवां रैक मिली थी। वर्तमान में वह ऐग्रिकल्चर डिपार्टमेंट में प्रिंसिपल सेक्रेटरी हैं, बताया जाता है कि जम्मू-कश्मीर डोमिसाइल कानून के तहत 15 साल से रहने वाले नागरिकों को यह सर्टिफिकेट हासिल करने का अधिकार है, नवीन चौधरी ने 25 साल की उम्र में जम्मू-कश्मीर का कैडर हासिल किया था, 26 साल बाद वह जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिक बने हैं।
अनुच्छेद-370 हटने के बाद मिला सर्टिफिकेट
संशोधन बिल के तहत, जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। बिल के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर से सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा छीन लिया और कहा कि, जम्मू-कश्मीर दिल्ली और पुडुचेरी की तरह होगा, जिसमें विधानसभा में होगी। वहीं, लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी और वह चंडीगढ़ की तरह होगा। हालांकि, बिल का संसद के दोनों सदन में विपक्षी दलों ने जमकर विरोध किया। लेकिन सत्तापक्ष के पास बहुमत होने की वजह से बिल दोनों सदनों से पास हो गया।
नवीन चौधरी को यह सर्टिफिकेट जम्मू-कश्मीर ग्रांट डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रोसिजर) रूल्स 2020 के नियम 5 के तहत जारी किया गया है। इस कानून को हाल ही में जम्मू-कश्मीर में लागू कराया गया था, जिसका तमाम संगठनों ने विरोध भी किया था। राज्य के इस अधिवास कानून को केंद्र सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दी थी।