2017 के एक चुनावी भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक कहा था कि हवाई जहाज में अब हवाई चप्पल वाले लोग भी सफ़र करेंगें| मगर इस लॉकडाउन में हवाई चप्पल वालों का देश के सड़कों पर क्या दशा हुआ, उसको सबने देखा| प्रधानमंत्री ने तो मजदूरों को हवाई सफ़र तो नहीं करवाई मगर उनके विरोधी गठबंधन की झारखण्ड सरकार ने मोदी जी का सपना सच कर दिखाया|
झारखण्ड की हेमंत सरकार ने अंडमान-निकोबार से लॉकडाउन में फंसे 180 श्रमिकों को अपने खर्चे पर एयरलिफ्ट कराकर रांची वापस ले आई है| खास बात यह है कि रांची लौटे मजदूरों की मानें तो यह उनका पहला हवाई सफर था| मजदूरों के घर वापसी पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, “मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि पिछले 48 घंटे का सरकार का प्रयास सफल हुआ|”
मंत्री ने किया श्रमिकों का एयरपोर्ट पर स्वागत
हवाई जहाज़ से वापस लाये गये इन मजदूरों का स्वागत करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने प्रतिनिधि के तौर पर खुद पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर और 20 सूत्री उपाध्यक्ष स्टीफन मरांडी को बिरसा मुंडा हवाई अड्डे भेजा| सरकार की ओर से गुलाब का फूल देकर स्वागत किया गया| एयरपोर्ट पर ही लोगों के खाने और पानी की व्यवस्था की गयी थी| एयरपोर्ट से श्रमिक सम्मान रथ नामक बसों से श्रमिकों को अपने घर भेजा गया|
झारखण्ड सरकार के मंत्री स्टीफन मरांडी ने कहा कि झारखंड-बिहार के मजदूर ऑफ सीजन में दूसरे प्रदेश जाते हैं पर अभी खेती का वक्त आ रहा है और सभी यही खेती करेंगे| सरकार इनके रोजगार की पूरी व्यवस्था करेगी|
आज भी एक फ्लाइट मुंबई से उड़ी
झारखण्ड सरकार द्वारा श्रमिकों के एयरलिफ्ट करने का सिलसिला लगातार जारी है| रविवार को भी 86 प्रवासी श्रमिकों को लेकर एयर एशिया की फ्लाइट मुंबई से रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डा पहुंची| एयर एशिया फ्लाइट के माध्यम से रविवार को 186 प्रवासी सुबह साढ़े आठ बजे राजधानी रांची पहुंचे| राजधानी रांची पहुंचने वाले प्रवासी कामगार सिमडेगा, सिंहीूम, रांची, बोकारो, धनबाद, हजारीबाग, कोडरमा, गोड्डा, चतरा, पलामू और गिरिडीह जिले के रहने वाले है|