देश में सबसे दयनीय है बिहार की स्वास्थ व्यवस्था, 11 जिलों के सरकारी अस्पतालों में एक भी वेंटिलेटर नहीं

कोरोना वायरस को लेकर चिकित्सा व्यवस्था चर्चा के केंद्र में है| वैसे तो पूरे देश में स्वास्थ सेवाओं की कमी है मगर बिहार की स्थिति सबसे दयनीय है| बिहार सबसे पिछड़ा राज्य है, यहाँ हर साल कोई न कोई स्वास्थ सम्बन्धी खतरा बना रहता है| पिछले साल ही चमकी बुखार के कारण लगभग 185 बच्चों की मौत हो गयी थी| इस सब के बावजूद सरकार के प्राथिमिकता में स्वास्थ नहीं आया है| यही कारण है जब कोरोना वायरस बिहार में दस्तक दिया तो बिहार के सरकारी आस्पतालों में बुनियादी स्वास्थ सुविधाओं की कमी सबके सामने आ गयी|

मरीजों के ईलाज के लिए अस्पतालों में वेंटिलेटर की सुविधा होना बहुत आवश्यक है| अन्य कई बिमारियों के साथ यह कोरोना के ईलाज के लिए भी बहुत जरुरी है मगर आपको जानकर हैरानी होगी कि 2018 में विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के दिए जवाब के अनुसार लगभग 12 करोड़ की आवादी वाले बिहार के 11 जिलों के सरकारी अस्पतालों में एक भी वेंटिलेटर नहीं है|

इसी में से एक जिला है बिहार का सीतामढ़ी जहाँ कल ही एक मरीज जिसका नाम:-ऋषि कुमार,पिता:-सुरेन्द्र साह,उम्र:-11साल,मूल रूप से ग्राम:-नंदवार,बैरगनिया के निवासी है , को सदर अस्पताल सीतामढ़ी में एक जहरीले साँप को काटने के उपरांत भर्ती कराया गया था। अस्पताल में एंटीवेनम एवं अन्य जरूरी प्रथमिक उपचार किया गया था लेकन कुछ ही देर बाद मरीज को सांस लेने में परेशानी होने लगी जिसके लिए डॉक्टर के अनुसार मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता थी परन्तु सीतामढ़ी की जनसंख्या 40 लाख से भी ज्यादा होने के बाबजूद सदर अस्पताल सीतामढ़ी में एक भी वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं होने के तदुपरांत मरीज की स्थिति को देखते हुए SKMCH मुज़फ़्फ़रपुर रेफर कर दिया गया|

कोरोना वायरस ने जब बिहार में दस्तक दी, तब जाकर इसको लेकर सरकार की आँखे खुली है| बिहार में वेंटिलेटर की कितनी कमी है इसका अंदाजा इसी से लगाइये कि हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगते हुए राज्य को 100 वेंटिलेटर देने की मांग की है मगर जवाब में केंद्र सरकार ने अभी तक एक भी वेंटिलेटर राज्य को नहीं दिया है|

गौरतलब है कि प्रति मरीज बिस्तर और डॉक्टरों की सबसे कम उपलब्धता के मामले में बिहार सबसे ऊपर है।  रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में डॉक्टर-जनसंख्या का अनुपात 1: 17,685 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 1: 11,097 है।

वेंटिलेटर है क्या?

बहुत सरल भाषा में कहें तो यह एक मशीन है जो ऐसे मरीजों की जिंदगी बचाती है जिन्हें सांस लेने में तकलीफ है या खुद सांस नहीं ले पा रहे हैं। यदि बीमारी की वजह से फेफड़े अपना काम नहीं कर पाते हैं तो वेंटिलेटर सांस लेने की प्रक्रिया को संभालते हैं। इस बीच डॉक्टर इलाज के जरिए फेफड़ों को दोबारा काम करने लायक बनाते हैं।

कोरोना मरीजों के लिए क्यों जरूरी है वेंटिलेटर?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, कोविड-19 से संक्रमित 80 पर्सेंट मरीज अस्पताल गए बिना ठीक हो जाते हैं, लेकिन छह में से एक मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है और उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगती है। ऐसे मरीजों में वायरस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। फेफड़ों में पानी भर जाता है, जिससे सांस लेना बहुत मुश्किल हो जाता है। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। इसलिए वेंटिलेटर्स की आवश्यकता होती है। इसके जरिए मरीज के शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को समान्य बनाया जाता है।

 

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