कोरोना के कहर के बीच मुजफ्फरपुर में जानलेवा चमकी बुखार की एंट्री, एक बच्चा भर्ती
भर्ती बच्चा सकरा के बैजू बुजुर्ग गांव के मुन्ना राम का साढ़े तीन साल का पुत्र आदित्य कुमार है
विश्व स्तर पर फैले महामारी कोरोना वायरस से ही निपटने में सरकार नाकाम साबित हो रही है, इधर बिहार का पुराना सिरदर्द चमकी बुखार ने गर्मी बढ़ने के साथ ही अपनी दस्तक मुजफ्फरपुर में दे दी| शुक्रवार को अचानक एसकेएमसीएच में चमकी-बुखार से पीड़ित बच्चे के भर्ती होने के बाद हड़कंप है। भर्ती बच्चा सकरा के बैजू बुजुर्ग गांव के मुन्ना राम का साढ़े तीन साल का पुत्र आदित्य कुमार है। उसे पीआईसीयू में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है।
गुरुवार को आदित्य को बुखार हुआ था। शुक्रवार सुबह में चमकी शुरू हो गई। परिजन सकरा पीएचसी ले गए। वहां के डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार के बाद एसकेएमसीएच रेफर कर दिया।
ग्लूकोज का लेवल भी कम है। स्वास्थ्य विभाग से तय प्रोटोकॉल के तहत उसका इलाज किया जा रहा है। शिशु रोग प्रभारी सह विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि बच्चे के शरीर में शुगर की कमी पाई गई है। प्रोटोकॉल के तहत इलाज किया जा रहा है। बचाने की कोशिश की जा रही है। पैथोलॉजिकल जांच के लिए बच्चे के ब्लड सैंपल को भेजा गया है। रिपोर्ट आने पर बीमारी की सही जानकारी होगी। इधर, परिजनों ने बताया कि गुरुवार को अचानक तेज बुखार के साथ चमकी होने लगा। उसे दस्त व उल्टी भी हुई। उधर, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बीमार बच्चे के बारे में जानकारी अधीक्षक डॉ. सुनील कुमार शाही से ली है। उन्होंने इलाज से जुड़े संसाधन की व्यवस्था करने को कहा है।
कोरोना के संकट के समय चमकी बुखार की धमक बहुत ही चिंताजनक है और यह खाफी खतरनाक साबित हो सकता है| ज्ञात हो कि बीते साल इसी चमकी बुखार के कारण पूरे बिहार में लगभग 200 बच्चों की मौत हो गयी थी, उसमें सबसे ज्यादा मौत मुजफ्फरपुर जिले में हुई थी| कोरोना वायरस के कारण वैसे ही अस्पतालों में जगह नहीं है और उसी टाइम चमकी का आना बड़ी मुसीबत ला सकती है| सरकार को अभी से ही सतर्क हो जाना चाहिए और जो कदम उठाने की जरुरत है इस बीमारी को रोकने के लिए वह जल्द से जल्द उठाना चाहिए|
पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग के एईएस विशेषज्ञ डॉ. गोपाल शरण के अनुसार चमकी बुखार एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) का ही एक प्रकार है। इसके लक्षण दिखते ही अच्छे अस्पताल में भर्ती कराने से मरीज की जान बचाई जा सकती है। लक्षण शुरू होने और इलाज शुरू करने के बीच जितना कम समय लेंगे मरीज की जान बचने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। अंतराल ज्यादा होगा तो जान बचाना मुश्किल हो जाता है। एईएस में बच्चे की मृत्यु दर अधिक होने का कारण यही है कि इलाज में देरी हो रही है।
ये हैं चमकी के लक्षण
– एईएस में अचानक तेज बुखार होता है
– मरीज बेहोश होने लगता है।
– बच्चे की मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है।
– कुछ बच्चों में मिर्गी जैसा दौरा आता है, जबकि कुछ बच्चों में नहीं भी आता।