हाल ही में हमने एक खबर प्रकाशित किया था कि बिहार के दुसरे सबसे बड़े हॉस्पिटल पटना के एनएमसीएच के 83 डॉक्टरों ने कोरोना का ईलाज करने से मना कर दिया था और खुद को क्वरंटीन में रखने की मांग की थी| अब जब इस मामले को लेकर और खुलासा हो रहा है तो और डरावना सच सामने आ रहा है|
बीबीसी के साथ बातचीत में एनएमसीएच के जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि रमन, “हम लोग पिछले कई दिनों से कोरोना के संदिग्ध मरीज़ों का इलाज बिना पीपीई और मास्क के कर रहे हैं क्योंकि हमें प्रबंधन द्वारा दिया ही नहीं गया है| जब-जब मांग की गई तब अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि मंगवा रहे हैं| लेकिन आज तक वे मुहैया नहीं करा सके. जबकि अब यह कोरोना अस्पताल के रूप में घोषित हो चुका है और यहां दो पॉज़िटिव मरीज़ भी भर्ती हैं|”
रवि कहते हैं, “डॉक्टरों को पता है कि उन्होंने बिना WHO की गाइडलाइन के अनुपालन के संदिग्ध मरीज़ों का इलाज किया है| पिछले कई दिनों से कुछ डॉक्टरों को वायरल फ़्लू की समस्या थी|
हमने अपनी ख़ुद की जांच कराई तो हमें कहा गया कि एहतियातन होम क्वरंटीन में रहें| इसलिए हमें सेल्फ़ क्वरंटीन पर जाने की मांग की थी, लेकिन अनुमति नहीं मिली|
अब भी हम बिना संसाधनों और सुविधाओं के काम करने को मजबूर हैं|”
ज्ञात हो कि पटना के एनएमसीएच को बिहार का कोरोना अस्पताल बनाने की घोषणा हुई है. लेकिन बिहार सरकार के इस फ़ैसले पर सवाल वहां के डॉक्टर उठाते हैं| 83 जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ प्रधानमंत्री कार्यालय, बिहार स्वास्थ्य विभाग और मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र लिखकर कहा है, “अस्पताल में पीपीई और N95 मास्क डॉक्टरों को नहीं मिल पा रहा है तो मरीज़ों को कहां से मिलेगा?”
कुछ जूनियर डॉक्टरों ने बीबीसी को नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मीडिया में बात जाने पर प्रबंधन उन्हें डरा रहा है| इस बात की धमकी दी जा रही है कि अभी उन्हें डॉक्टरी की डिग्री मिलनी बाकी है|
क्या संक्रमित डॉक्टर कर रहे हैं ईलाज?
पूरे मामले का अगर कोई भी ईमानदारी से विश्लेषण करे तो यह साफ़ है कि 83 जूनियर डॉक्टरों द्वारा बिना किसी उचित सुरक्षा के कोरोना का ईलाज किया गया है| ये डॉक्टर भी संक्रमित हो सकते हैं, जिसका सक खुद इन डॉक्टरों को है| जांच के बाद इन्हें खुद को होम क्वरंटीन होने के लिए कहा गया है मगर नीतीश सरकार जबरदस्ती इन्हें डरा कर ईलाज करने को मजबूर किया जा रहा है| जरा सोचिये अगर ये डॉक्टर संक्रमित हुए तो क्या त्रासदी घट सकती है? बिहार सरकार लोगों के जिन्दगी से क्यों खेल रही है?