Delhi Eletion: दिल्ली में बिहारियों ने भी बोला, जमे रहो केजरीवाल

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दिल्ली में विधानसभा चुनाव था मगर चर्चा यूपी-बिहार का भी जोड़ो पर था| कारण था कि दिल्ली के लगभग 15 सीटों पूर्वांचल बहुल है जबकि आधी से ज्यादा सीटों पर पूर्वांचली वोटर जीत-हार तय करते हैं| आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) से लेकर कांग्रेस पार्टी, सबकी नजर पूर्वांचली वोटर्स पर थी| पूर्वांचली को लुभाने के लिए बीजेपी ने जहाँ प्रसिद्ध भोजपुरी गायक मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया हुआ है, तो कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले कृति आज़ाद (Kriti Azad) को प्रचार समीति का प्रमुख बनाया था| वहीं आम आदमी पार्टी को अपनी जन कल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा था|

पूर्वांचलियों ने लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के पक्ष में वोट किया था| इसलिए बीजेपी को विधानसभा में भी उनसे बहुत उम्मीदें थी| मगर 11 फरवरी को रिजल्ट उसके ठीक उलट आया| बिहार और यूपी के लोगों ने बीजेपी के हिन्दू राष्ट्रवाद को नकार दिया और केजरीवाल(Arvind Kejriwal) के विकाश को अपना पूरा समर्थन दिया| यहाँ तक कि कांग्रेस और बीजेपी जैसे राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन में लड़ रही बिहार की तीन पार्टियों का हाथ भी खाली रहा|

जहां बीजेपी ने दो सीटें जेडीयू और एक सीट एलजेपी को दी थी वहीं कांग्रेस ने आरजेडी के लिए चार सीटें छोड़ी थी| लेकिन लगभग सभी पूर्वांचली सीटों पर आप का परचम लहराया| सबसे बुरा हाल आरजेडी का रहा जिसके चारों उम्मीदवारों की जमानत तो जब्त हुई ही, तीन को नोटा से भी कम वोट मिले|

पिछले कुछ चुनाव से लगातार इंडिया टुडे एग्जिट पोल (India Today Exit Poll) लगभग सही हो रहा है| उनके सर्वे के अनुसार इस विधानसभा चुनाव में कम्युनिटी वाइज वोट शेयर को देखा जाए तो लोगों ने आम आदमी पार्टी पर भरोसा जताया है| AAP के साथ दिल्लीवासी (55 फीसदी), पूर्वांचली (55 फीसदी), हरियाणवी (54 फीसदी), राजस्थानी (61) और अन्य (55 फीसदी) रहे| यानी इस चुनावी नतीजे से पता चलता है कि 2015 की तरह इस बार भी पूर्वांचली वोटर्स ने आम आदमी पार्टी को ही वोट दिया है|

दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा. Image: Subhash Barolia

पूर्वांचली के वोटिंग पैटर्न को लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद एक दिलचस्प आंकड़ा सामने आया था| 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सीएसडीएस ने पूर्वांचली वोटर्स पर एक सर्वे करवाया| इस सर्वे में जिन 56 फीसदी पूर्वांचली ने लोकसभा के चुनाव में बीजेपी को वोट दिया था, उनमें से 24 फीसदी पूर्वांचली ने कहा कि वो राज्य विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी को वोट करेंगे| मतलब बीजेपी के आधे वोटर्स पहले से ही मन बना चुके थे कि वो 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वोट करेंगे| नतीजों से ऐसा लग भी रहा है|

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एक बड़ी बात ये भी रही है कि दिल्ली में पूर्वांचल के ज्यादातर वोटर्स वर्किंग क्लास से आते हैं| बहुत सारे लोग मेहनत मजदूरी करने वाले हैं| इन लोगों के लिए केजरीवाल सरकार की कल्याणकारी योजनाओं ने काम किया| इस वजह से भी एक तरफ वो मोदी के चेहरे को केंद्र में देखना चाहते थे तो राज्य में उन्हें केजरीवाल जैसा सीएम ही चाहिए था| दिल्ली का मिडिल क्लास पूर्वांचली वोटर्स भी आम आदमी पार्टी का समर्थक है- वजह है बिजली और पानी पर मिलने वाली छूट| सरकारी स्कूलों की बेहतर हालत और स्वास्थ्य सेवाओं की सुधरती स्थिति|

दिल्ली का चुनाव में बिहारियों या पूर्वांचलियों का वोट पैटर्न समझाना इसलिए भी जरुरी है कि इसी साल बिहार में भी विधानसभा चुनाव है| बिहार में भी भाजपा एक बड़ी पार्टी है| दिल्ली में उसके कट्टर हिंदूवादी प्रयोग के असफल हो जाने के बाद उसको फिर से अपनी रणनीति पर सोचना पड़ेगा| एक तरफ बीजेपी के कमजोर होने से उसके सहयोगी दल जदयू (Janta Dal United) खुश होगी, क्योकि अब वह बीजेपी से ज्यादा सीट लेने का दवाब बना सकेगी| वही दुसरे तरफ दिल्ली में शिक्षा के चुनावी मुद्दा बन जाने से नीतीश थोड़ा मुश्किल में होंगे, क्योंकि नीतीश कुमार के 15 साल के राज में शिक्षा उनकी सबसे कमजोर पक्ष है|

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