बिहार के तथागत को मिले न्याय: सबसे कम उम्र के आईआईटी प्रोफेसर को नौकरी से निकला गया
बचपन में एक नाम बहुत सुनने को मिलता था- तथागत अवतार तुलसी. बेहद कम उम्र में बड़ी बड़ी डिग्रियां लेने वाला एक मेधावी विद्यार्थी. बिहार में जन्में तुलसी महज 12 वर्ष में एमएससी और 22 वर्ष की उम्र में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस से पीएचडी करने में सफल रहे. ये पहले भी हो सकता था मगर बीच में ब्रेक लेने की वजह से देरी हुई.
बाद में मैंने अधिक फॉलो नही किया. इसी बीच बिहार के एक मेधावी विद्यार्थी सत्यम ने महज 12 वर्ष की उम्र में IIT पास की और IIT में दाखिला लिया तो उत्सुकता हुई कि तथागत क्या करते है जाने. इसी बीच सत्यम फेसबुक के जरिये जुड़े तो तथागत के साथ देखा उनकी तस्वीर (see the photo). पता चला तथागत IIT-Mumbai में पढ़ाते है. (सत्यम IIT कानपुर से पढ़ाई पूरी कर अमेरिका के टेक्सास यूनिवर्सिटी से अभी पीएचडी कर रहा है.)
इसी बीच कल ख़बर आई कि IIT मुंबई ने तथागत को नौकरी से निकाल दिया है. ख़बर की माने तो मुंबई का मौसम उन्हें सूट नही कर रहा था. बीमार चल रहे थे. IIT दिल्ली में अपना ट्रांसफर करवाना चाहते थे. लेकिन IIT में तबादले की नीति न होने की वजह से ऐसा संभव नही हुआ.
सत्यम और तथागत तुलसीये पूरा वाकया अजीब सा लगता है. IIT में एक जगह से दुसरे जगह तबादले क्यों नही हो सकते! दूसरी बात मुंबई से दिल्ली आने का निर्णय व्यक्तिगत तौर भी आसान नही लगता. मुझे जितना पता है IIT मुंबई का ब्रांड वैल्यू किसी भी IIT से कही अधिक है और आर्थिक राजधानी होने की वजह से विद्यार्थीयों में खड़गपुर और मुंबई में किसे चुने, इसमें वे अपनी वरीयता मुंबई को ही देना ज्यादा पसंद करते है. दिल्ली आने के निर्णय में MHRD और IIT को सहयोगी बनना चाहिए था.
एक वैसे समय में जब देश में गिने-चुने IIT है, एक संस्थान से दुसरे संस्थान में तबादले की स्पष्ट नीति का बनना बेहद जरुरी है. हो सकता है शोध कार्य को वरीयता देने की वजह से यह सामान्य स्थिति में संभव न हो तो विशेष परिस्थितियों में तो संभव हो ही सकता है.
नोबल पुरस्कार जीतने का ख़्वाब रखने वाले तथागत का फिजिक्स के प्रति दीवानापन है. तथागत फिलहाल कोई चमत्कारिक बातों के लिए ख़बरों में नही आ रहे है, इसमें कोई दिक्कत नही है, लेकिन यह नया डेवलपमेंट जरुर चिंता का विषय है.
यहाँ बताता चलू कि तथागत प्रधानमंत्री मोदी के बड़े फैन है और वर्ष 2012 में हुई मुलाकात के किस्से गाहे बगाहे साझा करते रहते है. तथागत 2012 में अपने रिसर्च कार्य में मिली विफलता के बाद हुए निराशा से उबरने में मोदी जी से मिले प्रेरणा को मुख्य वजह बताते है.
वैसे समय में जब मोदी जी की सरकार है तो इस एक प्रतिभावान अध्यापक की प्रतिभा जाया न हो, इसकी चिंता सक्षम लोगों को जरुर करनी चाहिए. तथागत से देश के अनेकों युवा कम उम्र में ही बड़ा करने का स्वप्न देखने की प्रेरणा पाते है, ऐसे प्रेरक व्यक्तित्व के साथ देश अन्याय नही करेगा, यही उम्मीद है.
– अभिषेक रंजन (लेखक सामजिक कार्यकर्ता हैं और गाँधी फेल्लो रह चुके हैं)