बिहार कि बेटी और फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ बुधवार को इतिहास रचते हुए भारतीय वायुसेना की पहली महिला पायलट बनीं जिन्होंने लड़ाकू विमान में युद्धक मिशन पर जाने की अर्हता प्राप्त कर ली है|
भावना भारतीय वायु सेना के पहले बैच की महिला फाइटर पायलट हैं। उनके साथ दो अन्य महिला पायलट अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह को 2016 में फ्लाइंग ऑफिसर के रूप में चुना गया था। एक साल से कम समय में ही सरकार ने प्रयोग के तौर पर महिला पायलटों के लिए युद्ध मिशन में शामिल होने का रास्ता खोलने का निर्णय लिया था।
भावना बिहार के दरभंगा जिले की हैं। हालांकि उनकी पैदाइश बेगुसराय जिले के बरौनी रिफाइनरी की कॉलोनी के मकान में हुई।
उनके पिता इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में इंजीनियर, जबकि मां गृहिणी हैं। बरौनी रिफाइनरी के डीएवी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई करने के बाद भावना ने बीएमएस कॉलेज, बेंगलूरू से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी। भावना बचपन से ही पक्षी की तरह उड़ना चाहती थीं और अब फाइटर पायलट के तौर पर देश की सेवा करना चाहती हैं।
मौजूदा समय में भावना बीकानेर के नाल बेस पर तैनात हैं| एक अन्य अधिकारी ने कहा कि रात में अभियान के लिए प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्हें रात्रि अभियानों को अंजाम देने की इजाजद दी जाएगी|
जानकारी के लिए आपको बता दें कि वायुसेना में बतौर फाइटर पायलट शामिल होने वाले सदस्यों को लंबी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। एयरफोर्स अकादमी में फाइटर महिला पायलटों को बेसिक उड़ान भरने के बाद एडवांस जेट ट्रेनर हॉक पर उड़ान की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद फाइटर जेट पर वायुसेना की ओर से ट्रेनिंग दी जाती। फिर लंबे समय तक सीनियर फाइटर पायलट भी सभी पायलटों की ट्रेनिंग लेता है, जब वह यह जान लेता है कि फाइटर पायलट पूरी तरह से अकेले उड़ान भरने के दौरान हर मुश्किल का सामना करने के लिए तैयार है तब जाकर उसकी ट्रेनिंग कम्प्लीट होती है। इस तरह से एक फाइटर पायलट दिन और रात उड़ान भरकर पूरी तरह से दक्ष होते हैं, तब जाकर कमांडिंग ऑफिसर उन्हें किसी भी युद्ध में भेज सकते हैं।