बिहारी होना क्या होता है?
शब्द पर यदि ध्यान दें, ”बि“ का मतलब होता है विशेष और “हार” मतलब हार वो जो कंठ पर विराजमान हो. आख़िर शाब्दिक ख़ूबसूरती वाला यह राज्य क्यों आज अभिशाप बन गया? लोकतंत्र के जन्मदाता वाला राज्य जिसने पूरी दुनिया में शिक्षा का अलख जगाया,आख़िर क्या ऐसी आफ़त आ पड़ी की आज बिहार की शिक्षा दर भारत के सबसे नीचले शिक्षा दरो में शुमार है.
आज जहाँ 21वी सदी में जब पूरी दुनिया आगे जा रही है, हमारी रफ़्तार धीरे क्यों है? जबकि हम भारत के भाग्य विधाता हैं| शासन-प्रशासन हमारी हिस्सेदारी बराबर ही नहीं बल्कि ज्यादा है|.. लेकिन आख़िर क्यों, बिहारी मतलब बेबस, लाचार या पिछड़ा का पर्यायवाची हो गया है?
बेबसी हालतों से, लाचरी पलायन से, लाचरी हाशिए पर शिक्षा व्यवस्थाओं से, लाचरी जर्जर सड़कों से, लाचारी सुखाड़ और दाह्ड़ से, क्यों? क्यों हम केवल राजनीतिक यूज एंड थ्रो हथियार बन कर रह गये?
भारत के सुरक्षा में हमरा अमूल्य योगदान है, प्रशासनिक सेवा में हमें अव्वल दर्जे का तबक़ा प्राप्त है| लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के के हम सजग प्रहरी है| आइआइटी और आइएम जैसी संस्थाए अपनी शौर्य गाथा हमारे बदौलत लिख रही है| फिर भी बिहार के बड़े तबके के सरोकार से किसी को कोई मतलब नहीं है|
आज हम क्यों सड़क, पानी और अपराध मुक्त बिहार की लड़ाई लड़ रहे है?
सवाल कीजिए ख़ुद से, अपने लिए, अपने आने वाले नश्लों के लिए, कि हम कैसे बिहार को छोड़ के जा रहे है? हमारा भविष्य कही हमारे वर्तमान की ग़लतियों के चपेट में आकर, भविष्य के साथ अतीत के सुनहरे पन्नो को भी निगल न ले!
उठिए और जागिए और चाणक्य बन कर लाखों चंद्रगुप्त जैसे योद्धाओं को तैयार कीजिए| ताकि फिर कोई सीता निर्भीक होकर इस धरती को अपना मायका बना सके और स्वयं रघुनन्दन मोहित हो जाए| अभी वक़्त है संभल जाने का और इस धरती को फिर से बिरसा मुंडा के संस्कारो से अपने पढ़ियो को अवगत कराने का|
उठिए और समस्याओं पर सत्ता के रहनुमाओ से सवाल करिए| उठिए सवालों के जबाब बन कर,आज ज़रूरत है आज हमें समस्याओं का निदान बनना है| आज अपने अस्तित्व को क़ायम रखने के लिए निदान बनना ही पड़ेगा| फिर आ रहा है चुनाव, जाती-धर्म से ऊपर उठिए और सही मूल्याँकन और सही को चुनिए ताकि अपराध मुक्त सूबे में हम भी शुमार हो|
शिक्षा नीति अच्छी हो| रोज़गार के नए आयाम दिखे ताकि सशक्त और समृद्ध बिहार बन सके| आज इसके लिए ज़रूरत है सबसे पहले जागरूक बिहार बनने का| अपने खनिज संसाधन के ज़रिए, युवा संसाधन के ज़रिए बिहार पर लगे कलंक मिटाने का|
जय बिहार
– निरंजन पाठक (लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय स्नातक के छात्र है)