बिहार के लोगों में सरकारी नौकरी को लेकर क्रेज़ जगजाहिर है| इसको लेकर एक बड़ा मजेदार कहावत भी है कि बिहार में बच्चे के जन्म लेने से पहले ही यह तय हो जाता है कि ये यूपीएससी के परीक्षा में बैठेगा|
हर साल हजारों के संख्या में बिहारी लोग आईएएस बनने का सपना लेकर शहरों तक पलायन करते हैं| यह बात सच है कि यूपीएससी के परीक्षा में बिहारियों का दबदबा रहा है मगर इसके बावजूद सीट कम होने के कारण चंद लोगों का ही सपना पूरा हो पता है| कई लोग तो इंटरव्यू तक का सफ़र तय करने के बाद भी असफल हो जाते हैं|
इंटरव्यू में असफल होने वाले लोग सरकारी अफसर बनते-बनते रह जातें हैं| उनकी मेहनत पल भर में बर्बाद हो जाता है| मगर ऐसे लोगों के लिए खुशखबरी है|
पीएससी के चेयरमैन अरविंद सक्सेना ने हाल में भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा है कि जो उम्मीदवार सिविल सेवा परीक्षा या अन्य प्रतियोगी परीक्षा को पास करने के बाद इंटरव्यू राउंड तक पहंचते हैं उन्हें भारत सरकार के मंत्रालयों में जरूरत के हिसाब से नियुक्त किया जा सकता है।
अरविंद सक्सेना ने बताया 1 साल में करीब 11 लाख उम्मीदवार UPSC की परीक्षा में हिस्सा लेते हैं. फिर प्री, मेंस और इंटरव्यू की प्रक्रिया होने के बाद 600 उम्मीदवारों को चुना जाता है|
वहीं बड़ी संख्या में ऐसे उम्मीदवार भी जो वाइवा वॉइस के अंतिम चरण तक तो पहुंच जाते हैं, लेकिन रैंक लाने में असफल हो जाते हैं| सरकार और अन्य संगठन भर्ती के दौरान उन पर विचार कर सकते हैं क्योंकि वे पहले ही मुश्किल स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजर चुके हैं और केवल अंतिम चरण में असफलता का मुंह देखना पड़ता है| वहीं अगर ऐसा होता है तो युवाओं में परीक्षा के तनाव को कम करने में मदद मिलेगी. साथ उनके मन में नौकरी को लेकर उम्मीद बनी रहेगी|
फोटो: द हिन्दू