संयुक्त राष्ट्र के एसडीएसएन-यूथ के ‘लोकल पाथवे फेलोशिप’ के लिए बिहार की बरसा का हुआ चयन

बिहार के लोग अपने प्रतिभा के लिए जग-जाहिर हैं| वे अपने प्रतिभा से सिर्फ अपना भविष्य ही नहीं बनाते बल्कि उसके मदद से राष्ट्र-निर्माण और समाज सेवा में भी योगदान देते हैं| मूल रूप से सिवान जिले के जीरादेई निवासी बरसा, एक ऐसी ही प्रतिभा की उदाहरण है|

पर्यावरण विशेषज्ञ और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में रिसर्च स्कॉलर बरसा संयुक्त राष्ट्र के एसडीएसएन-यूथ के ‘लोकल पाथवे फेलोशिप’ के लिए चुनी गयी है| वे बिहार राज्य से चुनी गयी एकलौती फेलो हैं| 

‘लोकल पाथवे फेलोशिप’ दुनिया भर के 50 से अधिक शहरों से 56 युवा विचारों के लीडर्स, शहरी योजनाकारों, स्थायित्व की वकालत करने वालों, शोधकर्ताओं और नवप्रवर्तनकों को चुनता है।

दुनियाभर से चुने गये ये फेलो अपने शहरों में रहते हुए, 12 महीने लम्बी प्रक्रिया के दौरान वे शहरी विकास के लिए विश्व स्तर पर अपनाए गए उद्देश्य एवं लक्ष्यों को स्थानीय स्तर पर लागू करने के तरीकों का खोज करेंगे, ज्ञान और विचारों का आदान-प्रदान करेंगे और अपने नागरिकों के लिए बेहतर भविष्य की दिशा में स्थानीय हितधारकों के साथ एक संवाद में स्थापित कर काम करेंगे।

अमेरिका के कोलंबिया यूनीवर्सिटी से पढ़ी है बरसा 

बरसा सिवान के मूल निवासी और विश्वप्रसिद्ध डेक्सटेरिटी ग्लोबल के अध्यक्ष विमलकांत प्रसाद की बेटी हैं| वे चार करोड़ की छात्रवृत्ति के साथ विश्व प्रसिद्ध कोलंबिया विश्विद्यालय से ग्रेजुएट हैं और अभी पटना में रहकर क्लाइमेट चेंज पर रिसर्च कर रही हैं। यही नहीं, बरसा भारत के प्रसिद्ध जागृति यात्रा की आयोजक रह चुकी हैं और अमेरिका स्थित प्रसिद्ध एमआईटी के ‘Climate Co-Lab’ में भी काम कर चुकी हैं। इस से पहले भी वे यूएन पर्यावरण कार्यक्रम की एम्बेसेडर रह चुकी हैं|

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