59 साल बाद आज दिवाली के दिन बन रहा यह लाभकारी संयोग, जानिए पूजा विधि व शुभ मुहूर्त
दीपों का त्योहार दिवाली आज पुरे धूम-धाम से पुरे देश में मनाया जा रहा है| दिवाली का त्योहार यूँ तो खुद में ख़ास होता है मगर इस साल दिवाली में एक विशेष संयोग बन रहा है| इस बार अमावस्या तिथि पर महानिशीथ काल का अभाव है, जिस कारण निशा पूजा स्थिर लग्न सिंह में की जाएगी।
दिवाली पर देव गुरु बृहस्पति, मंगल के स्वामित्व वाली वृश्चिक राशि में रहेंगे। वहीं, त्रिग्रही और आयुष्मान, सौभाग्य योग के कारण दीपावली व्यापार, राजनीति और नौकरी करने वालों के लिए अधिक मंगलकारी होगी। उद्योग जगत को दिवाली पर ग्रहों का गिफ्ट मिलेगा।
दिवाली पर यह लाभकारी संयोग 59 साल बन रहा है|
पंडित झा ने बताया कि दीपावली पर ग्रह-नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। 59 वर्षों बाद स्वाति नक्षत्र में पूजा विशेष फलदायी होगी। इस योग में माता लक्ष्मी की पूजा सुख, शांति, समृद्धि, धन-संपदा और सामर्थ्य में वृद्धि करने वाली है। उन्होंने बताया कि इसके पहले वर्ष 1959 में एक नवंबर के दिन त्रिवेणी संयोग में दीपावली की पूजा हुई थी।
पूजा का समय-
घरों पर दिवाली के पूजन का मुहूर्त
बुधवार को सायं 5.27 बजे से 8.06 बजे है।
यह अवधि 1 घंटा 59 मिनट यानी लगभग दो घंटे रहेगी।
व्यावसायिक स्थलों पर पूजन मूहूर्त
प्रदोषकाल: शाम 5.30 से रात 8.16 बजे तक।
शुभ की चौघड़िया: शाम 7.08 से रात 8.46 बजे तक।
अमृत की चौघड़िया: रात्रि 8.46 से 10.23 बजे तक।
राशि के अनुसार मां की पूजा
कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित विनोद झा वैदिक ने कहा कि दीपावली के दिन राशि के अनुसार करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी। पंडित विनोद झा ने कहा कि मेष राशि वाली गोधूली बेला में मां लक्ष्मी की पूजा करें। लाल गुलाब, लाल मिठाई एवं लाल कपड़े पहन कर पूजा करें। वृष और तुला राशि वाले सफेद वस्त्र पहनें तथा सफेद मिठाई मां को भोग लगाएं। मिथुन कन्या राशि वाले हरे कपड़े पहन कर हरे वस्तु एवं मूंग आदि से बने मिष्ठान मां को अर्पित करें। धनु व मीन राशि वाले लोग पीला कपड़ा पहन कर पीली मिठाई एवं चना दाल, केला आदि मां को अर्पित कर पूजन करें।