मधुबनी रेलवे स्टेशन और बिहार सप्तक्रांति ट्रेन के कोचों को मधुबनी पेंटिंग से रंगने के बाद अब बिहार के सहरसा रेलवे स्टेशन के दीवारों को भी मधुबनी पेंटिंग से सजाया जा रहा है| यही नहीं सहरसा के बाद सिमरी बख्तियारपुर, मुरलीगंज, जानकीनगर, बनमनखी, पूर्णिया और जयनगर स्टेशन को मिथिला की कलाकृति से सजाने का काम होगा।
मधुबनी और कोसी क्षेत्र के 40 महिला और पुरुष कलाकार स्टेशन की दीवारों पर मिथिला की धरोहर का रंग भरने में जुट गए हैं।
समस्तीपुर मंडल के डीआरएम आरके जैन की सोच है कि स्टेशन की खूबसूरती के साथ-साथ मिथिला की कला और संस्कृति से जनमानस रुबरु हो। डीआरएम ने कहा कि कोसी और मिथिलांचल के कलाकारों की मदद से एनजीओ के जरिए मधुबनी, दरभंगा के बाद सहरसा और मधेपुरा स्टेशन को मिथिला पेंटिंग से सजाने का काम किया जा रहा है। स्टेशन की दीवारों पर मिथिला पेंटिंग के रंग भरने अलावा बोर्ड पर बनी मिथिला की कलाकृतियों को लगाया जा रहा है।
ज्ञात हो कि बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के कोचों पर मिथिला आर्ट की चित्रकारी को संयुक्त राष्ट्र ने भी खूब सराहा है। यूएन ने इसके लिए भारतीय रेलवे और ट्रेनों में मधुबनी आर्ट बनाने वालों की जमकर तारीफ की है|
यूएन ने एक ट्वीट में कहा- ये भारतीय रेलगाड़ियां कितनी सुंदर हैं| बिहार की महिलाओं ने इन कोचों को पारंपरिक मिथिला आर्ट से रंगा है जिसे मधुबनी आर्ट के नाम से भी जाना जाता है. इन कलाकारों ने अपनी अंगुलियों, माचिल की तीलियों, ब्रश, नेचुरल डाई और रंगों के साथ इन्हें बनाया है।
भगवान राम-सीता विवाह, कोहबर, मयूर, मछली, हंस, जलपरी सहित मिथिला की संस्कृति और धरोहर को परोसा जाएगा। स्टेशनों को तेजी से मिथिला पेंटिंग से सजा दिया जाय इसके लिए शीघ्र कलर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
दीवारों को सुसज्जित करने में जुटे मां चंद्रकला राजेश्वर सेवा संस्थान मधुबनी से जुड़े वरिष्ठ कलाकार संजीव कुमार ने कहा कि दिवाली तक मधेपुरा स्टेशन मिथिला पेंटिंग से सुसज्जित हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि एक महीने में सहरसा स्टेशन मिथिला पेंटिंग से सजा खूबसूरत दिखने लगेगा। उन्होंने कहा कि मधुबनी के कलाकार विद्यानंद ठाकुर, रितेश कुमार राय सहित मधुबनी व कोसी की महिला कलाकार रानी सिंह, प्रीति, रेखा, सुषमा, राजबाला, सुलेखा, पूनम सहित अन्य मिथिला पेंटिंग का रंग भरने में जुटी है।