करोड़ों की भीड़ में योग्य प्रतिभा को ढूंढ निकालने में महीर माने जाने वाले दिग्गज इंटरनेट कंपनी गूगल ने बिहार के आदर्श कुमार को एक करोड़ बीस लाख रुपये सालाना पैकेज पर नौकरी दी है|
आदर्श आईआईटी रुड़की के सत्र 2014-18 के मैकेनिकल ब्रांच के छात्र हैं| गूगल द्वारा जॉब ऑफर किये जाने के बाद आर्दश अगले अगस्त माह में गूगल के जर्मनी के म्यूनिख स्थित आॅफिस में अपना योगदान देंगे| आदर्श के पिता वीरेंद्र शर्मा एडवोकेट हैं, वहीं मां अनीता शर्मा हाउसवाइफ हैं| जबकि, छोटा भाई अमनदीप आईआईटी पटना से मेकेनिकल इंजीनियरिंग कर रहे हैं|
दिलचस्प यह है कि पटना के आदर्श के पास आईआईटी रूड़की से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री है लेकिन वह अपना करियर बतौर सॉफ़्टवेयर इंजीनियर शुरू कर रहे हैं|
आदर्श अपने सॉफ़्टवेयर प्रोग्रामर बनने की कहानी कुछ इस तरह बताते हैं, ”रूड़की में मुझे मैकेनिकल ब्रांच मिला| लेकिन इसकी पढ़ाई मुझे ज्यादा जंची नहीं. मुझे मैथ्स पहले से ही पसंद था तो मैं इससे जुड़ी चीजें एक्सप्लोर करने लगा| फिर मुझे पता चला कि प्रोग्रामिंग वगैरह इससे ही जुड़े होते हैं| तो मैं वहां से सॉफ़्टवेयर प्रोग्रामिंग के फील्ड में चला गया|”
ऐसे पहुंचे गूगल
आदर्श के मुताबिक, इंजीनियरिंग के चौथे साल तक आते-आते प्रोग्रामिंग पर उनकी अच्छी पकड़ हो गई थी| उनमें आत्मविश्वास आ गया था| इस बीच कैंपस सेलेक्शन से वे एक कंपनी के लिए चुन भी लिए गए थे| लेकिन इस बीच गूगल में ही काम कर रहे उनके एक सीनियर हर्षिल शाह ने उनसे कहा कि अगर वह गूगल में नौकरी के लिए कोशिश करना चाहते हैं तो वो उन्हें रेफ़र कर सकते हैं|
आदर्श ने कहा, ”उन्होंने यह कह कर मेरा हौसला बढ़ाया कि मेरे प्रोग्रामिंग स्किल्स इंटरव्यू पास करने के लिए काफी हैं| फिर मैंने गूगल में अप्लाई किया|
इसके बाद लगभग दो महीने तक चले कई ऑनलाइन और हैदराबाद में हुए ऑन-साइट स्टेज टेस्ट से गुजरने के बाद मेरा चयन हुआ|”
अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में शिरकत
इस साल अप्रैल में चीन के बीजिंग में हुए प्रोग्रामिंग कॉन्टेस्ट एसीएम-आईसीपीसी कॉम्पटिशन में भी उन्होंने हिस्सा लिया था. इसमें दुनिया भर की टीमें आती हैं| इस प्रतियोगता में प्रोग्रामिंग से जुड़े प्रॉबल्म्स के कोड लिखने होते हैं| भारत की आठ टीमों में उनकी टीम को दूसरा स्थान मिला जबकि दुनिया भर की 140 टीमों में उन्हें 56वां स्थान मिला|
आदर्श के लिए उनका संस्थान ही रोल मॉडल रहा है क्योंकि इंजीनियरिंग कॉलेज का माहौल, वहां के कई सीनियर ऊर्जा से लबरेज़ थे| ये सब बहुत प्रेरित करने वाला था|
पैरेंट्स का ड्रीम करना है पूरा
आदर्श कहते हैं, अभी वीजा व अन्य कागजी प्रक्रिया में लगा हुआ हूं| पैरेंट्स के भी कई सपने हैं, जिसे पूरा करना है| अन्य छात्रों को सलाह देते हुए वह कहते हैं, जो भी करें उसे डेडिकेट होकर करें और प्रैक्टिस में लगातार बने रहे| इससे निरंतरता आयेगी जो अंत में सफल परिणाम देगी|