बिहार तुम बता दो कि तुम्हारा होना हिन्दू मुसलमान दोनों का होना है
सुनो बिहार,
सारे शोर के बीच ये कभी मत भूलना कि तुम बिहार हो। दिल्ली,मुम्बई और बंगलौर में बैठे लोग सोशल मीडिया पर सुबह जगते ही तुम्हे जला दे रहे हैं। जिसे देखो, बिहार जल रहा है की घोषणा कर चुके हैं। सोशल मीडिया पे आ के देखो तो लोग जले बिहार को राख़ कर चुके हैं और उसका भस्म लगा पोस्ट पे पोस्ट ठेल रहे हैं।
ये तुम्हारे घर के चूल्हे की आग में बारूद फेंक उससे घर जला दे रहे हैं।ये लोग चूल्हे की आग से निकलते धुएं को चिता की आग का धुँआ बता देंगे। यहां हर कोई अभी बिहार सेंक रहा है। महानगरों में इतनी गर्मी और उमस है लेकिन फिर भी हर हाथ में जला हुआ बिहार ताव में है। इन महानगरों के घरों के बच्चे सुबह-सुबह हल्के स्टीम पे सेंके हुए ब्रेड सैंडविच खा, हल्की आंच पे पका मैगी टिफिन में पैक कर स्कूल को निकल गए होंगे और अब इनके माँ बाप इत्मीनान से जला हुआ बिहार खोर-खोर के देख रहे होंगे सोशल मीडिया पे।
इनके लिए तो अब बिहार बचा हुआ कोयला भर है जिस पर दिल्ली इंडिया गेट में भुट्टा सेंकेगी। इनको इस बात से कोई मतलब नही कि तुम्हारे यहां के झोपड़ी और फूस के घरों में रहने वाले बच्चे अभी सुबह जग के गुल्ली खेल रहे होंगे, खेत गये होंगे या किसी दूकान ये होटल पे कमाने चले गए होंगे। अगर इनमें कुछ नहा-धोआ के स्कूल जाने वाले भी होंगे तो ये भद्र लोग दिल्ली बम्बई में बैठे जलता हुआ बिहार दिखा तुम्हारे बच्चों को वापस घर भेज देने को तैयार बैठे हैं सोशल मीडिया पे। ये तुमसे पूछेंगे भी नही कि तुम हिन्दू थे या मुस्लिम।
सोशल मीडिया इंटरनेट और डाटा से नही बल्कि खून और आग से चल रहा है। ये लोग हर सुबह एक आग खोज रहे, लहू जमा कर रहे दिन भर नेट चलाने के लिए, फेसबुक पे सक्रियता के लिए सामान चाहिए इनको। अबकी बिहार तुम्हारा नंबर है। तुम नही होते तो यूपी में आग खोज लेते, बंगाल में तो परमानेंट एक भट्टी रखा हुआ है सोशल मीडिया के लिए। पर इस बार चूँकि उपयोग में तुम लाये गए हो इसलिए तुमसे कह रहा हूँ, सुनो बिहार।
तुम बिहार हो ये बताने के लिए समय तुम्हे बार बार अवसर नही देगा। लेकिन जब कभी भी ये अवसर मिला है तुम्हे ये बताने से नही चूकना चाहिए कि, हाँ तुम बिहार हो।
तुम आज बताओ इस दुनिया को कि जिस वक़्त दिल्ली बम्बई के कूल लोग अपने अपने राष्ट्रीय दायित्व का निर्वाहन कर तुम्हे जलता हुआ दिखला रहे हैं ठीक उसी वक़्त कटिहार से लेकर भागलपुर तक गंगा माता के किनारे पे अभी कई दाढ़ी वाले मुसलमान ने वजू कर लिया होगा। उन्हें रास्ते में गंगा नहा के घर जाता हुआ कोई हिन्दू मिला होगा जिससे किसी मुसलमान ने झट से खैनी बनाने को कहा होगा और दोनों ने जल्दी जल्दी खैनी खा अपने अपने घर का रास्ता पकड़ लिया होगा।
सुनो बिहार, तुम इस दुनिया को बता दो कि बुद्ध को अहिंसा की छांव देने वाला पीपल शशांक गौड़ के काटने के बाद भी कटा नही है और वो केवल बुद्ध के जीवन का इतिहास नही है बल्कि वो बिहार का वर्तमान भी है जहां बिहार में तो हर गांव के पास एक पीपल का पेड़ है, उसके नीचे का चौपाल है जहां भोरे भोर न जाने कितने बुद्ध पलथी मार बैठ गए होंगे रेडियो ले के। उनमें कितने हिन्दू होंगे और कितने मुसलमान ये काम पे निकलने वाले के समय के अनुपात पर निर्भर होगा। राजमिस्त्री का काम करने वाला 7 बजे निकल गया होगा,मास्टर साब 8 बजे निकले होंगे, दर्जी आराम से नौ बजे तक जा के खोलेगा दूकान, किराना दुकान वाले को चिंता नही, जब मन होगा तब खोलेगा। ये सब इस बात से तनिक भी नही धधके होंगे कि बिहार जल रहा है।
बिहार सुबह जगता होगा और शाम तक कमा के घर लौट आ रहा है, जा के राशन लाता है, खाना बनता है, तावे पे सेंकी जा रही रोटी को पता भी नही कि वो हिन्दू के तावे पे है या मुसलमान के तावे पे|
बिहार तुम बता दो कि तुम्हारा होना हिन्दू मुसलमान दोनों का होना है। ये चार दिन की राजनीति और इसके गिद्ध तुमसे तुम्हारी दोनों आँखे नही नोच सकते। ये दो कौड़ी की राजनीती और इसके क्षणिक बवाल से तुम्हारा ताना बाना नहीं उघड़ेगा मेरे बिहार, ये जोरदार भरोसा दो दुनिया को।
इसे बताओ कि नालंदा जल के ख़ाक होने के बाद भी आई आई टी के आर्यभट तुम कैसे पैदा कर लेते हो। इसे बताओ कि तुम्हारा हिन्दू बेटा ग़दर की कहानी में बाबू वीर कुंवर सिंह के शौर्य और पीर अली के शहादत दोनों पे कैसे गर्व करता है। इसे इतिहास नही, अपना वर्तमान बताओ मर्दे कि आज भी मनेर के लड्डू को मनेर के दरगाह पे हिन्दू भी चढ़ा के आता है। इन्हें बताओ कि जब भागलपुर और सुल्तानगंज से डाक बम का जत्था गंगाजल ले के निकलता है तो मुसलमानों की टोली रसगुल्ला और शर्बत लेके खड़ी रहती है। ये सब हवाबाज़ी और किसी कवि की कविता या शायर की रूहानी कल्पना नही, बिहार का सच है, इसे बताओ यार बिहार।
ये बिहार को कब का जला समझ उसे छोड़ आए और देश के कोने-कोने जा बसे बिहारी जो बड़े अधिकार के साथ बड़े ऑथेंटिक हो के तुम्हारे जलने की खबर दे रहे हैं इनसे कहो कि तुम्हारे छोटे मोटे फफोलों को जला हुआ बिहार न समझें। कायदे से तो चाहिए ये था कि ये तुम्हारे लिए कुछ मलहम लाते, लगाते लेकिन नही, सबको जलता बिहार दर्ज करना है। जिसके आंगन में दस चूल्हे जल रहे हों और खाने बनाने वाले इतने हों तो भला किसी के हाथ या किसी का पल्लू तो कभी कभार जल ही जाता है, उसे कितनी जल्दी बुझा लेने की तलब होनी चाहिए न कि घर को जला हुआ राख़ का ढेर कह देने की हड़बड़ी होनी चाहिए।
ये सच है कि आज कई जगह छिटपुट गुंडे मवाली राम और रसूल के नाम पर नियम और वसूल तोड़ रहे हैं। ये तलवार पे राम लिख और खंजर पे अल्लाह लिख धर्म निभा रहे हैं। पर बिहार तुम इन्हें जवाब देना, बताना कि ये वो बिहार है जहां बेलपत्र पे अबीर से राम-राम लिख कई बुढ़िया शिवलिंग पूज चुकी होगी। यहां कण कण विद्यापति के पद गाता है, डुमरांव के बिस्मिल्लाह खान की शहनाई उत्तर प्रदेश जा के बाबा विश्वन्नाथ को पूज आती है।
बिहार सुनो, हम बिहारी जब घर से दूर रोजी रोटी खोजने निकलते हैं तब हमसे कोई हमारी जात, हमारा धर्म नही पूछता। हम बिहारी हैं, यही हमारा परिचय होता है। आज हमारे घर में ही कैसे हमसे कोई हमारा धर्म पूछ लेगा और तुम सह लोगे? नही, तुम बिहार हो और बस यही तुम्हारी पहचान है, और हम बिहारी हैं। ये जो किसी दिल्ली हाट टाइप मेले में मधुबनी पेंटिंग देख के बिहार के रंग और चित्रकारी को समझ लेने का दावा ठोंकने वाले जो दिल्ली मुंबई छाप बुद्धिजीवी हैं न ,इनको बताओ कि तुम्हारे घर के दुल्हिन के कोहबर में कोई आग नही, कोई आग नही तुम्हारे भनसा घर में, सब निर्मल हैं और पवित्र हैं।
इनको बताना कि बिहार के रंग में पटना कलम भी है जो विकसित तो मुग़ल दरबार में होता है पर बिहार आते चटख लाल चंद्र और गोपाल चंद्र की कूची से होता है। इन्हें बताओ कि, सोशल मीडिया की बारूद से भगलपुरिया सिल्क थोड़े जल जाएगा। अभी मेरे गाँव घूम-घूम जो ढाड़ी वाला मुसलमान बौंसी का पतरका पियरका खद्दर वाला चादर बेच रहा होगा उसे बिना धर्म पूछे भर चैत ओढ़ के सोयेगा हिन्दू का गांव। इन दोनों को पता भी नही होगा कि बिहार जल चूका है। बिहार, अपने सामान की रक्षा स्वंय कर लो। किसी बहकावे में मत आओ। दस लफंगे मवाली हर तरफ हैं, इनसे यहीं निपट लो। ये हिन्दू मुस्लिम कर के तुम्हारे बच्चे से शिक्षा और तुमसे रोजगार छीनेंगे। इनसे यही दोनों मांगो, वापस कर दो राम और अल्लाह का नारा।
इनसे कह दो कि वे हमारे मन के मंदिर और इबादतखाने में हैं। नकली राम, नकली रहीम लौटा दो। असली राम अपने घर के बुढ़िया के तुलसी माला में खोजो। गांव जलेगा तो आदमी जलेंगे, आग तुमसे हिन्दू मुस्लिम नही पूछेगी। सुनो बिहार, इतना पानी है तुम्हारे पास, सारा पानी छोड़ दो इन आग लगती खबरों पर। एक फफोला भी न दो देखने इन मक्कारों को।
ये मक्कार हिन्दू मुसलमान नही, तुम्हारा घर जलाने आये हैं, तुम्हारी रोजी रोटी जलाने आये हैं।
राजनीती भूखी गिद्ध हो चुकी है। इसे शहर तंदूर दिखने लगा है, कोई हिन्दू टिक्का सेंकेगा, कोई मुस्लिम कबाब सेंक के खायेगा। किसी पे भरोसा न करो..रहबर तो रहबर, रहनुमा पे भी नही। आग लगी है न, हिन्दू मुस्लिम बाल्टी ले के निकलो, तलवार लेकर नही। भजन और अजान की ध्वनि बढ़ा दो, भीड़ का नारा मत सुनो। तुम सदियों से साथ हो, यही जलोगे, यहीं दफ़न होना है। फिर किसके बहकावे में हो। राम या अल्लाह क्या पार्टियों के झोले में हैं? इन ठगों को ठेलो पीछे।अभी मैं तीन दिन पहले कटिहार में था, दिन भर उर्दू के मंच पर मौलवी और उलेमाओं के बीच..कितना शीतल और घर के आंगन जैसा तो था सब कुछ।
अब तीन दिन में क्या वो बिहार बदल गया होगा, जल गया होगा? सब झूठ है।तीन दिन में तो आदमी लुंगी धोती नही बदलता हमारे यहां, बिहार का समाज बदल गया होगा और आग लग गया होगा? ये साजिश समझो मेरे बिहार। हिन्दू मुसलमानों एक दूसरे का हाथ पकड़ के डट जाओ, देखते हैं कौन तुम्हारा घर जलाता है।क्योंकि तुम बिहार हो। जय हो।
– साभार: नीलोत्पल मृणाल (डार्क हॉर्स के लेखक)