आपसी सद्भाव, भाईचारे, गंगा-जमुना तहजीब की मिसाल माने जाने वाले बिहार से भी कुछ दिनों से कई जिलों में साम्प्रदायिक तनाव और दंगों की खबर आ रही है| बुद्ध, महावीर और गाँधी की कर्मभूमि बिहार, जो पूरी दुनिया को शांति का सन्देश देती है, आज दुर्भाग्य से कुछ असामाजिक तत्वों के कारण अशांत है| बिहार निवासी मशहूर पत्रकार रविश कुमार ने भी इस पर दुःख जताया है और अपने बिहार के लोगों से शांति की अपील की है| आप भी इस अपील को पढ़िए और ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिये|
मेरे प्यारे बिहारियों,
हमारा राज्य जल रहा है। इसे बचा लीजिए। इस तमाशे में किसी का भला नहीं है। दंगों की कुछ वजहें होती हैं। उसने पहले फेंका तो उसने बाद में ये कहा। पुलिस उनकी मदद के लिए आई, हमारी मदद के लिए नहीं आई। कहीं गाय का मांस फेंकना तो कहीं सुअर का मांस फेंकना। यह सब तरीका पुराना हो चुका है। आप इन चक्करों में क्यों पड़ते हैं। कई ज़िलों से तनाव की ख़बरें आ रही हैं। इन नेताओं के चक्कर में अपना भाईचारा मत गंवाइये। ये आएंगे और जाएंगे मगर आपको अपने शहर में रहना है।
निकलिए चौराहे पर, पड़ोसी का दरवाज़ा खटखटाइये। आवाज़ दीजिए कि आप दंगों की इस मानसिकता के ख़िलाफ़ है।
आप हिन्दू हों या मुसलमान थाना पुलिस और मंदिर मस्जिद कर कहीं नहीं पहुंचेंगे। आपके बच्चों पर मुकदमे हो जाएंगे। पुलिस की किताब में घर घर में दंगों के आरोपी हो जाएंगे और आपके नकली गुस्से का लाभ उठाकर नेता ऐश करेगा। सावधान रहिए।
किसी ने कुछ किया भी है तो उसे माफ कर दीजिए। सत्ता फेल हो चुकी है। उसके पास आपसे किए गए वादों को लेकर आंखें मिलाने की लाज और हिम्मत नहीं बची है। वो नहीं आ सकते हैं, चीखते हुए कि देखो ये कहा था, वो कर दिया। उन्हें दंगों की लपटों से उठते धुएं का बहाना चाहिए ताकि उसकी आड़ में छिप कर आपका वोट ले जाएं। घर आपका जल रहा होगा, ताज उनके सिर पर चमक रहा होगा।
इसके ख़िलाफ़ या उसके ख़िलाफ़ आपके तर्क सही होंगे मगर आपसी बहस को नफ़रत में मत बदलने दीजिए। ख़ूब गिला शिकवा निकालिए मगर दुकानों को मत जलाइये। किसी पर पत्थर मत फेंकिए। किसी की जान मत लीजिए। आप देखिए आपके कालेजों की हालत क्या है। लाखों छात्रों का बीए नहीं हो रहा है, किसी को नौकरी नहीं मिल रही है और बहुत चालाकी से ये नेता आपको हिन्दू मुसलमान में उलझा चुके हैं।
आपको दंगाई बनाया जा रहा है। आप चाहे हिन्दू हों या मुसलमान हों। दंगाई बनने से रोकिए ख़ुद को। मुकदमे वापस लीजिए और गले मिल जाइये।
आप एक अच्छे नागरिक हैं। अब भी वक्त है कि अपने गुस्से से वापस लौट आने का। वहीं छोड़ कर गले मिलने का। नेता आपका घर जला रहा है तो आप कहां हैं। बिहार कहां हैं। आप लोग बाहर निकलिए। इस राज्य को बचा लीजिए। नेताओं को अब सशक्त वोटर नहीं चाहिए, उन्हें दंगों में उलझा हुआ वोटर चाहिए जो उनसे वादों का हिसाब न पूछे बल्कि अपनी किसी अनजान सुरक्षा के लिए निर्भर हो जाए। उम्मीद है आप खुद को समझाने का एक मौका देंगे। ख़ुद को दंगाई बनाने का कोई मौक़ा नहीं देंगे।
आपका,
रवीश कुमार