भारतीय गणितज्ञ एवं प्रसिद्ध एमआईटी बोस्टन के वैज्ञानिक बसंत सागर के 30वें जन्मदिन के उपलक्ष्य पर उनके सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय फॉउंडेशन की स्थापना की गई है।
उनके 30वें जन्मदिवस पर एमआईटी बोस्टन, नासा एवं विश्व के अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के सहयोगियों द्वारा शुभारंभ किये गए बसंत सागर फॉउंडेशन का उद्देश्य भारतीय गणितज्ञ बसंत सागर के समृद्ध विरासत का सम्मान करना एवं आने वाले समय में बसंत सागर जैसे असाधारण प्रतिभाशाली युवाओं को तैयार करना है।
बसंत आधुनिक बिहार राज्य से पहले स्कॉलर थे जिन्हे पूरी छात्रवृत्ति पर एमआईटी बॉस्टन जाकर स्नातक की डिग्री पाने का प्रस्ताव मिला। वह अभी तक इस उपलब्धि को पाने वाले बिहार से एकमात्र हैं। एक वैज्ञानिक, गणितज्ञ और पॉलीमैथ बसंत को अपने रिसर्च के लिए दुनिया भर में सम्मानित किया गया। एमआईटी बोस्टन और दुनिया भर के सैंकड़ो साइंटिस्ट् एवं स्कॉलर बसंत को जीनियस के रूप में देखते थे।
6 नवंबर 2017 को साइंटिस्ट बसंत सागर का पटना में निधन हुआ। देश और दुनिया भर से 3 लाख से भी अधिक लोगों ने बसंत के गुज़रने पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की जिनमे दुनिया भर के कई वैज्ञानिक, उद्यमी, शिक्षाविद एवं नेतागण शामिल हैं।
फॉउंडेशन का उद्देश्य
बसंत सागर फाउंडेशन का लक्ष्य विज्ञान, अंतरिक्ष और समाज की सेवा करने के लिए युवा पीढ़ी को प्रेरित और तैयार करना है। इस अंतर्राष्ट्रीय फाउंडेशन द्वारा देश और दुनिया भर में नए ज़माने के संस्थान एवं शोधकर्ताओं को स्थापित एवं सक्षम करना है जो आने वाले समय में समाज के हित के लिए प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में शोध कर पाएं।
अपने अल्पकालिक जीवन में बसंत सागर ने दुनिया भर के सबसे प्रतिष्ठित दिग्गजों और संस्थानों से प्रशंसा पाई। इनमे में कुछ नाम हैं नासा, एमआईटी बोस्टन, वाइट हाउस, राष्ट्रपति जॉर्ज बुश, राष्ट्रपति बराक ओबामा एवं बिल गेट्स और इलोन मस्क जैसे प्रसिद्द अरबपति-वैज्ञानिक।
एमआईटी बोस्टन के राष्ट्रपति का बयान
फॉउंडेशन के शुभारम्भ से पहले एमआईटी बोस्टन के राष्ट्रपति एवं विश्व प्रसिद्द साइंटिस्ट रफाएल रैफ ने कहा –
“श्री बसंत सागर ने एमआईटी बोस्टन के छात्र एवं शोधकर्ता के रूप में एक अद्भुत जीवन जिया। बसंत सागर का असामयिक गुज़ारना वास्तव में पूरे एमआईटी परिवार के लिए एक गहरा नुकसान है लेकिन मुझे भरोसा है कि उनकी विरासत उनके परिवार, दोस्तों, सहयोगियों और साथी शोधकर्ताओं के जीवन और काम के माध्यम से जीवित रहेगी। मैं और एमआईटी में मेरे सहयोगी बसंत के जीवन और विरासत का सम्मान करने के हर अवसर का स्वागत करेंगे।”
फॉउंडेशन का नेतृत्व
पहले दो साल के लिए फॉउंडेशन का नेतृत्व बसंत सागर के छोटे भाई एवं फ़ोर्ब्स में शामिल सीईओ और भारतीय युवा आइकॉन शरद सागर करेंगे। बसंत के पिता श्री बिमल कान्त प्रसाद फॉउंडेशन के मानद अध्यक्ष होंगे। इस नेतृत्व के अंतर्गत फाउंडेशन में एमआईटी, नासा, हार्वर्ड औरअन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के दिग्गज फाउंडेशन में विभिन्न भूमिका निभाएंगे।
बसंत सागर का जीवन
बसंत आधुनिक बिहार राज्य से पहले स्कॉलर थे जिन्हे पूरी छात्रवृत्ति पर एमआईटी बॉस्टन जाकर स्नातक की डिग्री पाने का प्रस्ताव मिला। वह अभी तक इस उपलब्धि को पाने वाले बिहार से एकमात्र हैं। एक वैज्ञानिक, गणितज्ञ और पॉलीमैथ बसंत को अपने रिसर्च के लिए दुनिया भर में सम्मानित किया गया। बसंत अंतिम दिनों में बॉस्टन स्थित टेक्नोलॉजी कंपनी ब्राइटक़्वान्ट के चीफ साइंटिस्ट एवं सीईओ के रूप में सेवा कर रहे थे।
बिहार के छोटे शहरों और गांवों में पले बढे बसंत को 13 साल की उम्र पर पहली बार स्कूल जाने का अवसर प्राप्त हुआ। बसंत ने अपने छोटे परन्तु असामान्य जीवन काल में कई आर्थिक, प्रणालीगत एवं संस्थागत बाधाओं को पार किया और दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई। वर्ष 2007 में बसंत सागर को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के संरक्षण में पीपल टू पीपल लीडरशिप शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया था।
2010 में सागर को नासा के प्रशासक चार्ल्स एफ बोल्डन जूनियर द्वारा कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा के लिए अंतरिक्ष नीति के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
बसंत जिन्होंने खुद से उच्चस्तरीय गणित एवं विज्ञान की पढाई की केवल 14 वर्ष थे जब उन्हें नासा द्वारा एक छात्र वैज्ञानिक के रूप में चुना गया था और इस उपलब्धि के लिए उन्हें प्रसिद्ध प्लैनेटरी सोसायटी की मानद सदस्यता प्राप्त हुई।
2003 में सिर्फ 14 वर्षीय सागर के बारे में लिखते हुए भारत का प्रमुख राष्ट्रीय अखबार द पायनियर ने लिखा – “जिस समय जब इनके क्लास के बच्चे धरती माता का पाठ अपने भूगोल के पाठ्यपुस्तक में पढ़ते हैं, बसंत अंतरिक्ष की सैर कर रहे हैं और मार्स पर जीवन के संकेतों की तलाश में हैं।”
पटना में हाई स्कूल की पढाई पूरी कर बसंत बिहार से 4 करोड़ की छात्रवृत्ति पर दुनिया की नंबर एक इंजीनियरिंग संस्थान मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बोस्टन जाकर पढ़ने वाले पहले व्यक्ति बने। बसंत बिहार से इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले एकमात्र हैं।
2007 से 2011 तक एम्आईटी बॉस्टन में बसंत एक अभूतपूर्व छात्र एवं स्कॉलर रहे । बसंत द्वारा किये गए रिसर्च को यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस, एमआईटी, नासा और अन्य प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा उपयोग किया गया। बसंत ने एम्आईटी के प्रतिष्ठित मैथ मेजर मैगज़ीन की स्थापना की और उसके प्रबंध संपादक रहे। वह एम्आईटी अंडरग्रेजुएट मैथ एसोसिएशन के चेयरमैन, एम्आईटी स्टूडेंट्स फॉर एक्सप्लोरेशन ऑफ़ स्पेस के डायरेक्टर एवं एम्आईटी क्विडडिच के संस्थापक रहे। बसंत ने संगीत, चिकित्सा और गेमिंग के छेत्रों में अग्रणी टेक्नोलॉजी का अविष्कार किया।
बसंत सागर एक भारतीय नायक हैं जिन्होंने मानव जाति के लाभ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने भारत की सच्ची निष्ठा से सेवा की और देश को अनेकों बार गौरवान्वित किया। बिहार में और देश भर में लाखों बच्चों के लिए आदर्श के रूप में सामने आये। आज हम अपने देश के एक रत्न को खोने का शोक मानाने के साथ उनके असाधारण एवं अद्दितीय जीवन को सलाम करते हैं और गर्व महसूस करते हैं कि उनका जीवन दुनिया भर के युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल होगा और हमें प्रेरित करेगा कड़ी मेहनत कर अपने सपनों को सच करने के लिए, अपनी सीमाओं को पार करने के लिए और खुद से बढ़ कर मानव जाती की निस्वार्थ सेवा करने के लिए।