जानिए छठ में क्यों दिया जाता है डूबते सूरज को अर्घ्य? जानिए आज अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त..
छठ पर्व सूर्य देव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। दिवाली के बाद सबसे बड़ा त्योहार आता है छठ पूजा । इस पर्व को कई नामों से जाना जाता है जैसे छठ. छठी, डाला छठ, डाला पूजा, सूर्य षष्ठी। ये पर्व सूर्य और उसकी शक्ति को समर्पित होता है। ब्रहस्पतिवार यानी आज पंचाग के अनुसार अर्घ्य का समय दिया गया है। समय के अनुसार आप पूजा काे सम्पन्न कर सकते हैँ।
12 साल बाद छठ पर जीवात्मा संयोग, जानिए आपके लिए कैसी रहेगी छठ
पष्ठी का समय
षष्ठी तिथि प्रारंभ- प्रात: 09:37 बजे से (25 अक्तूबर 2017)
षष्ठी तिथि समाप्त – दोपहर 12:15 बजे तक (26 अक्तूबर 2017)
जानिए, अर्घ्य का समय
सायंकालीन अर्घ्य- 26 अक्टूबर (गुरुवार)
सायंकालीन अर्घ्य का समय :- सांय काल 05:40 बजे से शुरू
प्रात:कालीन अर्घ्य: 27 अक्टूबर (शुक्रवार)
प्रात:कालीन अर्घ्य का समय: प्रात: 6.28 बजे से शुरू
जानें क्यों दिया जाता है डूबते सूर्य को अर्घ्य
उगते सूर्य को अर्घ्य देने की रीति तो कई व्रतों और त्योहारों में है लेकिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा आमतौर पर केवल छठ व्रत में है| कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी को ढलते सूर्य को अर्घ्य क्यों दिया जाता है| आइए जानते हैं….
सुबह, दोपहर और शाम तीन समय सूर्य देव विशेष रूप से प्रभावी होते हैं|
सुबह के वक्त सूर्य की आराधना से सेहत बेहतर होती है| दोपहर में सूर्य की आराधना से नाम और यश बढ़ता है| शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है|
शाम के समय सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं| इसलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य देना तुरंत लाभ देता है| जो डूबते सूर्य की उपासना करते हैं ,वो उगते सूर्य की उपासना भी ज़रूर करें
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा इंसानी जिंदगी हर तरह की परेशानी दूर करने की शक्ति रखती है| फिर समस्या सेहत से जुड़ी हो या निजी जिंदगी से. ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है|