पप्पू यादव को मिला सौगात पर निरास हुए नीतीश कुमार
पटना मे पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा ना देकर बिहारियो को निराश करने के बाद जब प्रधनमंत्री अपने अगले कर्यक्रम मे मोकामा गये तो वहाँ उनके मंच पर मधेपुरा के सांसद पप्पू यादव को भी जगह मिली और वह अपने क्षेत्र के लिये सौगात भी ले गये। पप्पू यादव के माँग पर केन्द्र सरकार ने उनके क्षेत्र में महेशखूँट से सहरसा होते हुए पूर्णिया जाती राष्ट्रीय राजमार्ग का तोहफा दिया है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 107 के नाम से जाना जायेगा।
एक तरफ जहाँ पटना समेत सूबे के सभी छात्र-छात्रा निराश हुए वहीँ प्रधानमँत्री का यह दौरा सीमांचल के लोगो के लिये यह खुशी का मौका था। पप्पू यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वापसी के बाद अपनी पहली टिप्पणी में कहा है कि आज बिहार के दौरे में केन्द्रीय मंत्री नीतिन गडकरी पास हो गये हैं, पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जरुर फेल हो गये हैं| गडकरी काम करने वाले मंत्री हैं और आज उन्होंने बिहार को कई सौगात दिए हैं| लेकिन इसके साथ ही पप्पू ने कहा कि नीतीश कुमार करते तो कुछ भी नहीं हैं, हाँ रोना और दूसरों के मत्थे मढ़ना जरुर आता है|
मधेपुरा के सांसद ने कहा कि मोकामा में नीतीश कुमार के संबोधन में सिर्फ निराशा थी| टाल पर वे बहुत बोले, पर ये नहीं बता पाये कि पिछले 15 सालों में उन्होंने क्या किया इस मोकामा टाल के लिए, जबकि वे केन्द्र और राज्य दोनों में सत्ता में रहे हैं| विकास के लिए समर्पित विभागों को संभाला है| मोकामा की दुर्दशा के लिए तो सबसे अधिक नीतीश कुमार जिम्मेवार हैं, जिनके रहते मोकामा के कारखाने बंद हुए और मोकामा की रौनक खत्म हुई|
गंगा की चर्चा करते हुए पप्पू यादव ने कहा कि हम शुरु से कह रहे हैं कि नदियों में गाद की समस्या का स्थायी हल निकालना होगा| बिहार का बचाव फरक्का में बांध का निर्माण है| केवल केन्द्र और राज्य के कह देने मात्र से कुछ नहीं होगा| इसके साथ ही उन्होंने नरेन्द्र मोदी की यात्रा के बाद भी पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा नहीं मिलने पर निराशा जताई| कहा कि बिहार की उम्मीदें खत्म कर दी गई|
उन्होंने कहा कि पटना यूनिवर्सिटी ही नहीं बिहार की संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था के ध्वस्त होने के जिम्मेवार नीतीश कुमार हैं, पर केन्द्र सरकार भी जिम्मेवारी से नहीं बच सकती| जब तक कॉमन एजुकेशन के सिस्टम को लागू नहीं किया जाता, हालात नहीं सुधरेंगे| कोठारी आयोग की रिपोर्ट पर कुंडली मारकर क्यों बैठी हुई है सरकार| ठीक इसी तरीके से बिहार भी शिक्षा की बेहतरी के लिए मुचकुंद दूबे की रिपोर्ट को लागू नहीं करती| यूनिवर्सिटी में टीचर नहीं हैं, तो भर्ती करने से नीतीश कुमार को किसने रोका है? और जो भर्ती हैं, उनमें से कई ऐसे हैं, जो कहने को पटना साइंस कालेज के प्रोफेसर हैं, पर केमिस्ट्री भी लिखने नहीं आता|