कुछ दिन पहले ही बिहार से दिल्ली आया हूँ और किसी कारण वश इस बार दिवाली में घर नहीं जा पाया। मेरे लिए दिल्ली नई और अनजान है। कॉलेज की छुट्टी थी, तो केशव झा सर, जिनकी दिल्ली में सॉफ्टवेयर की एक कंपनी है और जो ‘आपन बिहार’ के टेक्निकल प्रमुख भी हैं, के साथ आज दिल्ली घूम रहा था। उनके कुछ खास क्लाइंट से भी मिलने का मौका मिला।
इसी क्रम में एक बड़ी टेक्सी कंपनी के कार्यालय, जो दिल्ली के वसंतकुंज में स्थित है, वहां जाने का मौका मिला। कार्यालय में दिवाली के जश्न का माहौल था। कार्यालय में जाते ही कर्मचारियों के बीच से एक युवा, अचंभित पर मुस्कुराते से चेहरे के साथ मेरी तरफ बढ़ा और हाथ मिलाते हुए बोला, “अरे! अविनाश जी आप यहां? कैसे हैं?”
मैं भी हैरान था। आश्चर्य में पूछा, “आप हमें पहचानते हो?” उन्होंने कहा, “हाँ, अविनाश हो, ‘आपन बिहार के संस्थापक और एडमिन। आपको हम बहुत दिनों से जानते हैं। अपना बिहार को वर्षों से फौलो करता हूँ, उसका पोस्ट पढ़ता हूँ और सबको दिखाता भी हूँ। आपके सोच, विचार और काम का मैं फैन हूँ।”
उसके बाद उन्होंने अपने कार्यालय में और भी बिहारी लोगों से मिलवाया जो ‘अपना बिहार’ को पढ़ते हैं और पसंद करते हैं।
मैं पूरे घटनाक्रम से आश्चर्यचकित था, हैरान था। हलांकि इतना तो जानता था, पटना के बाद दिल्ली में ‘अपना बिहार’ के सबसे ज्यादा प्रशंसक हैं, उनकी प्रतिक्रिया भी मैसेज के द्वारा ही मिलती रहती है मगर पहली बार मैं इसे साक्षात देख रहा था, महसूस कर रहा था।
उनसे बात करने के बाद पता चला कि उनका नाम सुधांशु सत्यम झा है, हाजीपुर से हैं और अभी उस टैक्सी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। इसके बाद उन्होंने हमें अपने बॉस से भी मिलवाया।
सब से अच्छा तो तब लगा जब उनके बॉस ने मेरे सामने उनके काम और व्यवहार की जबरदस्त तारीफ की। बहुत गर्व महसूस होता है जब कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति आपके सामने उसकी तारीफ करे जो आपके गांव, समाज, राज्य या देश का हो। सुधांशु दिल्ली में ‘ब्रांड बिहार’ की छवि को और मजबूती प्रदान कर रहें है और रीयल बिहारी का उदाहरण भी दुरुस्त कर रहे हैं, वही बिहारी जो अपने ईमानदारी, काम और व्यवहार के कारण जाने जाते हैं।
‘अपना बिहार’ भी तो इसी ‘ब्रांड बिहार’ की छवि को 5 सालों से गढ़ने का प्रयास कर रहा है। मैं आज दिल से बहुत खुश हूँ। दिवाली में घर नहीं जा सका मगर आज दिल्ली में मैंने दिवाली और छठ दोनों मना लिया… आखिरकार मैंनें आज दिल्ली के दिल में भी ‘अपना बिहार’ जो देख लिया।
– अविनाश कुमार, संस्थापक, अपना बिहार