हम छी मिथिला केर वासी माई मैथिलि महान
आज से हम शुरुआत करते हैं एक कड़ी की जिसमें हम आपको प्रत्येक रविवार के दिन मिथिला के एक महान हस्ती की गाथा पढ़वाएँगे।
मिथिला का इतिहास बहुत पुराना है। रामायण और महाभारत में भी मिथिला के बारे में बहुत जगह लिखा गया है।
देशेषु मिथिला श्रेष्ठा गङ्गादि भूषिता भुविः।
द्विजेषु मैथिलः श्रेष्ठः मैथिलेषु च श्रोत्रियः ॥
मिथिला जहाँ राजा जनक की पुत्री के रूप में स्वम् माता सीता नें जन्म लिया। जहाँ के विद्यापति के घर नौकर बनकर उगना के रूप में स्वम् भगवान शिव रहते थे। वही मिथिला जो मंडन मिश्र जैसे विद्वान की जन्म भूमि है, जिनकी पत्नी विदुषी भारती ने आदि शंकराचार्य को शास्त्रार्थ में पराजित कर दिया था।
मैथिलि भाषा की भी अपनी एक अलग पहचान है। अगर कोई मैथिलि भाषी आपसे बहस भी कर रहा हो तो वो भी आपको कर्ण प्रिय लगेगा। मैथिलि शहद से मीठी भाषा है। पहले इसे मिथिलाक्षर तथा कैथी लिपि में लिखा जाता था। जो बांग्ला और असमिया लिपियों से मिलती थी पर कालान्तर में देवनागरी का प्रयोग होने लगा। मिथिलाक्षर को तिरहुता या वैदेही लिपी के नाम से भी जाना जाता है। यह असमिया, बाङ्गला व उड़िया लिपियों की जननी है।