बिहार बोर्ड के स्कूली किताबों में दिखेंगे माउंटेनमैन दशरथ मांझी : मुख्यमंत्री

पर्वत पुरुष कहे जाने वाले दशरथ मांझी को वर्ष 2006 में अपनी कुर्सी पर बिठाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को पहली बार गेहलौर पहुंचकर उनके काम को देखा। सीएम नीतीश कुमार ने दशरथ मांझी महोत्सव में आये लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि  मैं पहली बार गेहलौर आया हूं। आज दशरथ मांझी के किए कार्यों को प्रत्यक्ष रुप से देखने का मौका मिला है। पहले सिर्फ इनके कार्यों के बारे में जानकारी थी। बाबा दशरथ मांझी मगध की की पावन धरती पर जन्मे हैं। इसे ज्ञान की भूमि से लोग जानते थे। लेकिन पर्वत पुरुष के संकल्प से अब यह कर्म की भूमि भी बन गई है।

मांझी के द्वारा बनाए गये रास्ते को और बनाया जाएगा सुगम
मगध ऐसा क्षेत्र है जहां ज्ञान, मोक्ष और निर्माण सभी कुछ का संगम है । दशरथ मांझी ने 22 वर्षो तक पहाड़ को काटकर रास्ता बनाया। हालांकि इस रास्ते की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण लोगों को आने-जाने में परेशानी होती है। इसलिए इस रास्ते को काटकर और नीचे किया जाएगा। ताकि दोनों तरफ से आवागमन सुगम हो सके।

दशरथ मांझी की जीवनी पाठ्क्रम में होगा शामिल

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार सरकार ने तय किया है कि वह अपने स्कूलों में चलनेवाले टेक्स्ट बुक में दशरथ मांझी पर एक अध्याय जोड़ा जायेगा| माउंटेनमैन दशरथ मांझी से जल्द ही बिहार के तमाम स्टूडेंट्स परिचित हो जायेंगे. उनके बारे में ढेर सारी जानकारियां पाने लगेंगे|

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरक होगा| इसके अतिरिक्त श्री कुमार ने गेहलौर में प्रखंड मुख्यालय बनाने, गेहलौर पहाड़ पर दशरथ मांझी द्वारा बनाये गये ऐतिहासिक रास्ते की ऊंचाई कम करने तथा गेहलौर गांव की मौजूदा तस्वीर को बदलने पर काम करने के बाबत पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के प्रस्तावों से भी सहमति जतायी| उन्होंने कहा कि गेहलौर गांव की तस्वीर बदलने के लिए काम जल्द शुरू किया जायेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि गेहलौर को प्रखंड बनाने का प्रस्ताव है| इस पर काम होगा| जल्दी ही इस प्रस्ताव को मूर्त रूप दिया जायेगा|

दशरथ मांझी की प्रतिमा का हुआ अनावरण 
मुख्यमंत्री ने गेहलौर में लगी उनकी आदमकद प्रतिमा का अनावरण भी किया| ऐतिहासिक गेहलौर घाटी मार्ग के पास लगी इस प्रतिमा के करीब ही मुख्यमंत्री ने पीपल का एक पौधा भी लगाया| ज्ञात हो कि स्वर्गीय मांझी के समाधिस्थल के सौंदर्यीकरण के लिए प्रशासन ने पहले चरण में 61 लाख रुपये और दूसरे चरण में 23.85 लाख खर्च किये है।
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